देहरादून: शहर की सफाई व्यवस्था में लगाए नगर निगम की ओर से स्वच्छता समिति के तहत सफाई कर्मचारियों के नाम पर हुए करोड़ों रुपए के वेतन फर्जीवाड़े में कार्रवाई का इंतजार और लंबा हो गया है. करीब 7 महीने से जांच के बाद जांच रिपोर्ट और फाइल इधर से उधर घूमने सिलसिला तो अभी चल ही रहा था, लेकिन अब शासन स्तर से मामले में एक और जांच बैठा दी गई है.
दून नगर निगम महाघोटाला: इस पूरे मामले में अब शहरी विकास निदेशालय जांच करेगा और निदेशालय ने कमेटी का गठन कर अब तक हुई जांच का परीक्षण शुरू कर दिया है. साथ ही निदेशालय की कमेटी ने मामले से जुड़े दस्तावेज और अब तक की गई जांच की रिपोर्ट मांगी है. बता दें कि साल 2019 में तीसरी बोर्ड बैठक में निर्णय लेने के बाद देहरादून नगर निगम के सभी 100 वार्डों में साफ-सफाई के लिए स्वच्छता समिति बनाई गई थी. प्रत्येक वार्ड में बनाई गई समिति में 8 से 12 सफाई कर्मचारी कार्यरत बताए गए थे. इनके वेतन के लिए 15-15 हजार रुपए स्वच्छता समिति को दिए जाते थे. ऐसे में शहर भर में यह संख्या करीब एक हजार है.
स्वच्छता समिति के नाम पर हुआ घोटाला: नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने से पहले सफाई कर्मचारियों का वेतन स्वास्थ्य समिति को दिया जाता था. लेकिन 2 दिसंबर 2023 को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया था. कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन की धनराशि ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए नगर निगम ने समितियों के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थित, आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या जुटाए थे.