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अगस्त में कम बारिश से नहीं हो पाई धान की खेती, दलहन और तिलहन से किसानों को उम्मीदें! - Rain in jharkhand - RAIN IN JHARKHAND

Less rain in Deoghar. जुलाई के बाद अगस्त में बारिश को लेकर किसानों को काफी उम्मीदें थीं. इस महीने में अब तक अनुकूल बारिश न होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी है. इस कारण देवघर में धान की खेती में कमी आई है, आलम ऐसा है कि अब मात्र 20 प्रतिशत भूमि पर ही रोपनी हो पाई है.

Decrease in paddy cultivation due to less rain in Deoghar
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 22, 2024, 2:13 PM IST

देवघर: जिला में अगस्त महीने में भी बारिश काफी कम हुई है. जिसका खामियाजा देवघर के किसानों को भुगतना पड़ रहा है. जुलाई महीने के बाद अगस्त महीने में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि इस महीने पर्याप्त बारिश होगी ताकि देवघर के किसान धान की खेती कर सके. लेकिन अगस्त महीने में देवघर में बारिश ना के बराबर हुई जिस वजह से धान की खेती करने वाले किसान के चेहरे पर मायूसी देखने को मिल रही है.

देवघर में कम बारिश से किसान मायूस (ETV Bharat)

जिला के किसानों ने बताया कि इस वर्ष मात्र 20% जमीन पर धान की खेती हो पाई है बाकी सारे जमीन खाली पड़े हुए हैं. जिस तरह से सुखाड़ की स्थिति हो गई है. ऐसे में गेहूं का भी खेती करना मुश्किल लग रहा है. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता व किसान नेता विनोद कुमार ने बताया कि देवघर के मोहलीडीह, भातूबड़ी, नगादारी, बदिया, पहरियाबाड़ी सहित तमाम गांव के किसान धान की खेती नहीं होने से परेशान है. उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारी और राज्य सरकार के कार्य शैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिला में बैठे कृषि पदाधिकारी सिर्फ कार्यालय में कुर्सी तोड़ने का काम करते हैं. इसीलिए देवघर जिला का रिपोर्ट सिर्फ सुखाड़ग्रस्त जिला के रूप में दी गई है जबकि यहां पर किसानों की हालत ऐसी है कि इस वर्ष देवघर जिला अकालग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए.

वहीं जिला कृषि पदाधिकारी अशोक सम्राट ने बताया कि अगस्त महीने में बारिश की जो उम्मीद जताई गई थी निश्चित रूप से उम्मीद से कम बारिश भी है. ऐसे में किसानों को मदद करने के लिए सरकार की तरफ से दलहन और तेलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए मोटे अनाज की खेती के लिए भी जानकारी दी जाएगी ताकि जहां पर बारिश नहीं हुई हो वहां के भी किसान अपने खेतों में लहलहाती फसल उपजा सकें.

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