जयपुर. राज्य और केंद्र सरकार के साथ सुप्रीम कोर्ट से भी बधिर समुदाय को कई तरह के अधिकार दिए जा चुके हैं, लेकिन अभी भी उन अधिकारों की समझ नहीं होने से और सांकेतिक भाषा के अभाव में बधिर समुदाय को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बधिर समुदाय और अन्य दिव्यांगजन को समाज मे समान भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नूपुर संस्थान की जनसुनवाई और संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस जन सुनवाई में विधि विशेषज्ञ, पुलिस और सामाजिक संगठन से जुड़े प्रतिनिधि समस्याओं को सुना और समाधान की दिशा में कार्य किया.
ये आई समस्या सामने : नूपुर संस्थान के संस्थापक मनोज भारद्वाज ने बताया कि संस्था के नवाचारों में बधिर व्यक्तियों को समान अवसर और पूर्ण भागीदारी के अवसर प्रदान करने के क्रम में यह जन सुनवाई विशेषकर बधिर समुदाय के लिए आयोजित की गई है. उन्होंने बताया कि बधिर आशार्थियों ने अपनी समस्याओं में मुख्य रूप से "दिव्यांगजन प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया और गलत प्रमाणपत्र के कारण सुविधाओ से वंचित होना बताया. कुछ लोगो ने वैवाहिक जीवन मे गृह क्लेश के कारण पारिवारिक मामलों में विशेष रूप से कानूनी मार्गदर्शन प्राप्त किया, साथ ही अन्य प्रकरणों में विशेष रूप से स्थानीय पासपोर्ट कार्यालयों से जुड़ी समस्या, जमीन विवाद, चिकित्सा, रोजगार, चुनाव ड्यूटी जिले के बाहर लगाने, बाहर से आये बधिर आशार्थी के दिव्यांगजन प्रमाणपत्र और UDIB कार्ड, बधिरों को ड्राइविंग लाइसेंस के पात्र मानने के बाद भी ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया को सरल न बनाया जाना ,RPWD 2016 एक्ट की धारा 44,45,46,47 का उल्लंघन करने के विषय से संबंधित समस्याएं बताई . भारद्वाज ने बताया को कार्यक्रम के अगले चरण में आगामी माह के पहले शनिवार को दो विशेष विषयों पर अधिकारियों को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा, ताकि बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित हो सके.