गोरखपुर:दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) गोरखपुर विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान विभाग के डॉ. निखिल रघुवंशी ने, एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने सौर ऊर्जा से बहु कीट-पतंग पकड़ने का तरीका इजाद किया है, जिसे यूके ने अपना पेटेंट प्रदान किया है. यह अंतरराष्ट्रीय पेटेंट है. उनके इस नए आविष्कार, सौर-ऊर्जा से संचालित कीट पकड़ने की यांत्रिकी, कृषि में रसायनों के खर्च को कम करने और पर्यावरण को पेस्टिसाइड्स की तैयारियों से बचाने में मदद करेगी. डॉ. रघुवंशी ने सौर-ऊर्जा से संचालित बहु-कीट पकड़ने की जो यांत्रिकी तैयार की है वह, पीले और नीले चिपचिपे जालों, प्रकाश आधारित और फेरोमोन जालों के कार्यक्षेत्र का एकीकरण करते हुए बनी है. यह कृषि क्षेत्र का एक नवीन अविष्कार माना जा रहा है.
यह नवाचारी यांत्रिकी का तरीका विभिन्न फसलों पर, विभिन्न कीट प्रबंधन में विविधता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है. जबकि, ऊर्जा की कुशलता और विभिन्न कीट प्रकारों के साथ इसका विन्यास किया गया है. इस यांत्रिकी पेटेंट की एक मुख्य विशेषता यह है, कि इसकी समीक्षा विभिन्न फसलों की ऊंचाई के लिए सहज होती है. यह यांत्रिकी, पेटेंट की ऊंचाई आसानी से समायोजित की जा सकती है. ताकि कीटों को उचित स्थान पर अच्छी तरह से पकड़ा जा सके. साथ ही, इस यांत्रिकी पेटेंट का सौर ऊर्जा से संचालित होना बाहरी बिजली स्रोतों पर आधारित निर्भरता को कम करता है. जिससे, इसका उपयोग दूरस्थ या बिजली नहीं मिलने वाले कृषि क्षेत्रों में संभव होता है.
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डीडीयू के प्रोफेसर ने सौर ऊर्जा से कीट-पतंगें पकड़ने का तरीका खोजा, यूके ने दिया पेटेंट - UK granted patent to DDU professor
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ने सौर ऊर्जा से बहु कीट-पतंग पकड़ने का तरीका खोज निकाला है. जिसे यूके ने अपना पेटेंट भी प्रदान किया है.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : May 19, 2024, 8:02 AM IST
यहां कीट प्रबंधन के लिए एक आशाजनक समाधान प्रदान करते हुए, वह प्रस्तावित पेटेंट है जो विभिन्न क्रॉपिंग प्रणालियों में कृषि के लिए एक बदलावपूर्ण, ऊर्जा संवेदनशील और पर्यावरण में मित्रता की एक नई यांत्रिकी है. डॉ. रघुवंशी ने पूर्व में भी कुछ पेटेंट और अच्छे लेख/आलेख प्रकाशित किए हैं, जो संवेदनशील कृषि और रसायनिक मुक्त कृषि के क्षेत्र में उनके प्रयासों को दर्शाते हैं. इस अवसर पर, विश्वविद्यालय की वीसी प्रोफेसर पूनम टंडन ने डॉ. रघुवंशी के शोध और काम की सराहना की और उनके योगदान को महत्वपूर्ण माना है.
इस सौर ऊर्जा से संचालित यांत्रिकी की संदर्भ में प्रोफेसर ने बताया, कि यह तकनीक विभिन्न प्रकार की कीटों को नियंत्रित करने में सक्षम है. जिससे, किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और साथ ही पर्यावरण को भी बचा सकते हैं. इस प्रक्रिया में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता के साथ-साथ कृषि विकास को बढ़ावा मिलेगा.
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