नई दिल्ली:आम आदमी पार्टी (AAP) संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने दिवाली से पहले दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) के सैकड़ों संविदा कर्मचारियों की आजीविका छीनने का आरोप लगाया है. केजरीवाल ने प्रभावित कर्मचारियों को आश्वासन दिया है कि उनकी पार्टी उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उनके लिए नौकरी बहाल करने के लिए सारी कोशिशें की जाएंगी.
डीसीडब्ल्यू का बर्खास्तगी का आदेश:सोमवार को जारी एक आदेश में डीसीडब्ल्यू ने अपने सभी संविदा कर्मियों की सेवाओं को तुरंत समाप्त करने का निर्णय लिया. इस निर्णय की प्रतिक्रिया में केजरीवाल ने कहा कि यह कदम दिवाली जैसे महापर्व से ठीक पहले समाज के कमजोर वर्ग पर एक अन्याय है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी भावनाओं को साझा करते हुए लिखा, "मैं डीसीडब्ल्यू से निकाली गई अपनी बहनों को आश्वासन देता हूं कि मैं उन्हें उनकी नौकरी वापस दिलाऊंगा, चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े."
मनीष सिसोदिया की प्रतिक्रिया
"भाजपा ने दिवाली से ठीक पहले लोगों की नौकरियां छीनकर गलत किया है।" उन्होंने कहा कि यह विरोधाभासी है कि भाजपा ने पिछले 30 वर्षों से अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरियां समाप्त की हैं, जबकि उनके घोषणापत्र में रोजगार देने का वादा किया गया था." -मनीष सिसोदिया, पूर्व डिप्टी सीएम
स्वाति मालीवाल का तीखा बयानःवहीं, दिल्ली महिला आयोग की पूर्व चेयरपर्सन और AAP की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने इस आदेश की तीखी निंदा की और इसे "अवैध और दुर्भावनापूर्ण" करार दिया. उन्होंने अपने X अकाउंट पर लिखा, "मैं DCW में मेहनती कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को अचानक हटाए जाने की कड़ी निंदा करती हूं." उन्होंने आरोप लगाया कि जब से दिल्ली सरकार ने कर्मचारियों के फंड को रोक दिया है, तब से ये कार्यकर्ता कई महीनों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं.
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मालीवाल ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल से अपील की कि वे इस आदेश को तुरंत रद्द करें और नियुक्त किए गए कर्मचारियों की बहाली सुनिश्चित करें. इसके साथ ही उन्होंने दिवाली से पहले कर्मचारियों को वेतन देने की भी मांग की.
भाजपा की चुप्पी: AAP के आरोपों पर भाजपा की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, डीसीडब्ल्यू द्वारा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग के पहले के आदेशों पर आधारित बताया जाता है. इस निर्णय के पीछे नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतें थीं. डीसीडब्ल्यू में कुल 223 संविदा पद सृजित किए गए थे, लेकिन जब अप्रैल में उनके सेवाओं को समाप्त किया गया, तब केवल 52 कर्मचारी कार्यरत थे.
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