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DBRAU कर्मचारी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर लगाई इच्छामृत्यु की गुहार... जानें पूरा मामला - DBRAU employee demand euthanasia - DBRAU EMPLOYEE DEMAND EUTHANASIA

आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कर्मचारी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर लगाई इच्छामृत्यु की गुहार. कर्मचारी ने आरोप लगाया कि उसे फिर से बहाल किए जाने के बदले रिश्वत मांगी जा रही हैं. कर्मचारी के आरोपों से विवि प्रशसान में खलबली मची हुई है.

इच्छामृत्यु की गुहार DBRAU में हड़कंप
इच्छामृत्यु की गुहार DBRAU में हड़कंप (PHOTO Credits ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 20, 2024, 7:41 PM IST

आगरा: ताजनगरी का डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार चर्चा हो रही है एक कर्मचारी की वजह से जिन्होंने राष्ट्रपति और राज्यपाल को पत्र लिखकर परिवार सहित इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है. कर्मचारी का आरोप है कि, नौकरी पर बहाल करने के लिए 10 लाख रुपए मांगे जा रही है. पिछले 3 सालों से नौकरी पर बहाल कराने के लिए चक्कर काट रहा है. रिश्वत नहीं देने पर उसकी सुनवाई नहीं हो रही है. कर्मचारी के परिवार सहित इच्छामृत्यु की गुहार से यूनिवर्सिटी प्रशासन में हड़कंप मच गया है.

कर्मचारी ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र (PHOTO Credits ETV BHARAT)

बता दें कि, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के तकनीकी विभाग में तैनात कर्मचारी वीरेश कुमार ने इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है. जिसमें कहा कि, पिछले 24 सालों से विश्वविद्यालय में काम करते आ रहे हैं. वीरेश ने इतिहास विभाग में कार्यरत रहे प्रो. अनिल वर्मा और डॉ. बीडी शुक्ला पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.

कर्मचारी ने विवि प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप (PHOTO Credits ETV BHARAT)

कर्मचारी वीरेश का आरोप है कि, प्रो. अनिल वर्मा के खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है. मामले भी दर्ज हैं. इन दोनों ने ही 3 साल पहले कुलपति प्रो. अशोक मित्तल के कार्यकाल में एक षडयंत्र में फंसाकर फर्जी तरीके से मार्कशीट जलाने के आरोप लगाकर मुझे फंसा दिया था. जिसमें मुकदमा भी दर्ज कराया गया. प्रो. अशोक मित्तल को राज्यपाल की ओर से हटाए जाने के बाद नौकरी पर बहाल होने के लिए प्रार्थना पत्र दिया. जिस पर विश्वविद्यालय ने विधिक सलाह ली. विधिक राय में भी मुझे दोषमुक्त पाया.

फिर सुर्खियों में DBRAU (PHOTO Credits ETV BHARAT)

आरोपी अधिकारियों ने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर संदेह जाहिर करके नई समिति के गठन की मांग की. विश्वविद्यालय ने जांच समिति का गठन किया. समिति ने रिपोर्ट दी कि, कर्मचारी वीरेश की नौकरी पर बहाली की जाए. कार्य परिषद में भी यह मामला रखा गया. नवंबर 2022 में हुई कार्य परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि, वीरेश पहले विश्वविद्यालय के खिलाफ किए गए मुकदमे वापस ले ले. उसके बाद बहाली पर विचार किया जाएगा. जिसके बाद मैंने मुकदमा वापस ले लिया. लेकिन, अब तक बहाली नहीं हुई है.

कर्मचारी वीरेश ने आरोप लगाया कि, जब अपनी शिकायत और मांग को लेकर कुलपति प्रो. आशु रानी से मिला. उन्होंने मुझे डिप्टी रजिस्ट्रार पवन कुमार से मिलने के लिए कहा. वीरेश का आरोप है कि, कुलपति के आदेश पर जब डिप्टी रजिस्ट्रार पवन कुमार से मिला तो उन्होंने नौकरी बहाली के लिए 10 लाख रुपए की मांग रखी. पवन कुमार ने कहा कि, नौकरी बहाली को लेकर कुलपति और रजिस्ट्रार राजीव कुमार से बात हो गई है. जिस दिन रुपए दोगे, उसी दिन बहाली हो जाएगी.

वहीं डिप्टी रजिस्ट्रार पवन कुमार ने वीरेश के आरोपों को बेबुनियाद बताया है. साथ ही पवन कुमार ने कहा कि, मैं पिछले कई दिनों से बीमार हूं. इसलिए, विश्वविद्यालय ही नहीं आ रहा हूं. कर्मचारी के आरोप निराधार हैं.

कर्मचारी वीरेश ने बताया कि, मैंने राष्ट्रपति और राज्यपाल को पत्र लिखकर प्रार्थना की है कि, 3-4 साल से विश्वविद्यालय के चक्कर काट रहा हूं. जो जमा पूंजी थी, वो खर्च हो गई है. मगर, जिम्मेदार अधिकारी पवन कुमार, कुलपति और कुलसचिव रिश्वत नहीं मिलने पर बहाली नहीं कर रहे हैं. जिससे मैं और मेरा परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहा है. हमें इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान की जाए.


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