आगरा: ताजनगरी का डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार चर्चा हो रही है एक कर्मचारी की वजह से जिन्होंने राष्ट्रपति और राज्यपाल को पत्र लिखकर परिवार सहित इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है. कर्मचारी का आरोप है कि, नौकरी पर बहाल करने के लिए 10 लाख रुपए मांगे जा रही है. पिछले 3 सालों से नौकरी पर बहाल कराने के लिए चक्कर काट रहा है. रिश्वत नहीं देने पर उसकी सुनवाई नहीं हो रही है. कर्मचारी के परिवार सहित इच्छामृत्यु की गुहार से यूनिवर्सिटी प्रशासन में हड़कंप मच गया है.
बता दें कि, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के तकनीकी विभाग में तैनात कर्मचारी वीरेश कुमार ने इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है. जिसमें कहा कि, पिछले 24 सालों से विश्वविद्यालय में काम करते आ रहे हैं. वीरेश ने इतिहास विभाग में कार्यरत रहे प्रो. अनिल वर्मा और डॉ. बीडी शुक्ला पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.
कर्मचारी वीरेश का आरोप है कि, प्रो. अनिल वर्मा के खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है. मामले भी दर्ज हैं. इन दोनों ने ही 3 साल पहले कुलपति प्रो. अशोक मित्तल के कार्यकाल में एक षडयंत्र में फंसाकर फर्जी तरीके से मार्कशीट जलाने के आरोप लगाकर मुझे फंसा दिया था. जिसमें मुकदमा भी दर्ज कराया गया. प्रो. अशोक मित्तल को राज्यपाल की ओर से हटाए जाने के बाद नौकरी पर बहाल होने के लिए प्रार्थना पत्र दिया. जिस पर विश्वविद्यालय ने विधिक सलाह ली. विधिक राय में भी मुझे दोषमुक्त पाया.
आरोपी अधिकारियों ने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर संदेह जाहिर करके नई समिति के गठन की मांग की. विश्वविद्यालय ने जांच समिति का गठन किया. समिति ने रिपोर्ट दी कि, कर्मचारी वीरेश की नौकरी पर बहाली की जाए. कार्य परिषद में भी यह मामला रखा गया. नवंबर 2022 में हुई कार्य परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि, वीरेश पहले विश्वविद्यालय के खिलाफ किए गए मुकदमे वापस ले ले. उसके बाद बहाली पर विचार किया जाएगा. जिसके बाद मैंने मुकदमा वापस ले लिया. लेकिन, अब तक बहाली नहीं हुई है.