सिरमौर: बेहाल हो चुकी स्लेटनुमा छत, उसके नीचे सड़ चुकी लकड़ियों के बीच अंदर आती सूरज की किरणें, बरसात में टपकता पानी, खस्ताहाल कच्ची दीवारें और उखड़े हुए फर्श वाला जर्जर मकान गरीब परिवार पर कभी भी मौत के पहाड़ के रूप में गिर सकता है. बावजूद इसके छोटे-छोटे बच्चों संग ये परिवार डर के साये में नरकीय जीवन जीने को मजबूर है.
पिछली बरसात भी बमुश्किल काटी
पिछले साल की बरसात भी बमुश्किल से काटी और अब हालात उससे भी कहीं अधिक बद से बदतर हो चुके हैं, लेकिन कोई इस परिवार की फरियाद सुनने को तैयार नहीं है. अब बजट उपलब्ध होने के बाद पक्का मकान बनाने के लिए राशि उपलब्ध करवाने की बात कही जा रही है, लेकिन मानसून के दस्तक के बाद एक बार फिर इस परिवार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. बरसात में खतरा काफी अधिक बढ़ चुका है. ये दर्द भरी दास्तां प्रदेश के उद्योग मंत्री के गृह विधानसभा क्षेत्र शिलाई के कोटा पाब पंचायत के रहने वाले बुजुर्ग दयाराम की है.
आंखें नम कर देगी गरीब परिवार की दयनीय हालत
गरीब दयाराम इस खस्ताहाल और जर्जर मकान में अपनी पत्नी, बेटे-बहू और पोते-पोतियों के साथ रहता है. परिवार में 7 बच्चों सहित कुल 11 सदस्य शामिल हैं. बरसात शुरू हो चुकी है, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब परिवार के मकान की फाइल अब भी सरकारी दफ्तर में धूल फांक रही है. यकीन मानिए, गरीब परिवार के ये हालत और इस जर्जर मकान में परिवार सहित रह रहे मासूमों को देख आपकी भी आंखें भर आएंगी, लेकिन बावजूद इसके सरकारी व्यवस्था परिवार की समस्या का समाधान करवाने की अपनी ढीली रफ्तार को गति देने को तैयार नहीं है. अब भी केवल यहीं आश्वासन दिया जा रहा है कि बजट उपलब्ध होते ही मकान के लिए राशि स्वीकृत कर दी जाएगी, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि यदि बरसात में परिवार के साथ कोई अनहोनी हो जाए, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? जबकि हालात ये हो चुके हैं कि अब मकान की रिपेयर तक नहीं हो सकती.
बच्चों-परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित
इस जर्जर मकान के मालिक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले बुजुर्ग दयाराम ने कहा कि उनकी 80 वर्ष की उम्र हो गई, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया. मकान के साथ-साथ यहां पर शौचालय की सुविधा भी नहीं दी. वोट भी कई बार दिए, लेकिन कुछ नहीं मिला. मकान के हालत ऐसे हो चुके हैं कि बाल बच्चों के लिए खतरा बना हुआ है. मकान पूरी तरह सड़ चुका है. उन्होंने प्रदेश सरकार से अपील करते हुए कहा कि सरकार उनके परिवार पर रहम करे और समस्या का समाधान किया जाए.
सरकार से पक्के मकान की गुहार
वहीं, दयाराम के बेटे फकीर चंद ने कहा कि उन्हें मकान की बहुत भारी दिक्कत आ रही है और परिवार को लगातार जान का खतरा बना हुआ है. सरकार सहित कोई भी उनकी फरियाद नहीं सुन रहा है और आज तक किसी ने कुछ नहीं दिया. उन्होंने आग्रह किया है कि सरकार उनकी समस्या का समाधान करें, ताकि उसके बच्चे और उनका परिवार सुरक्षित मकान में रह पाए. उन्होंने बताया कि पिछली बरसात भी परिवार ने बाहर तिरपाल के नीचे गुजारी और अब फिर से बरसात दस्तक दे चुकी है. ऐसे में यदि कोई अनहोनी होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
अब हालात हुए बद से बदतर
उधर दयाराम की बहू ने स्थानीय भाषा में भरी आंखों के साथ अपनी फरियाद सुनाते हुए कहा कि छत पर तिरपाल डालकर खस्ताहाल मकान में रह रहे हैं. बरसात में छत से पानी टपकता है. बरसात होती है, तो वो बच्चों को लेकर मकान से बाहर आ जाते हैं. मकान गिरने से कब हादसा हो जाए, यही डर हर पल सताता रहता है. बावजूद इसके पंचायत से लेकर सरकार तक उनकी कोई भी नहीं सुन रहा है.