मिस्टर डिपेंडेबल, जेंटलमैन ऑफ द जेंटलमैन गेम और द वॉल, ये टीम इंडिया के कोच राहुल द्रविड़ की पहचान है. फिलहाल टी20 वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ उनका एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. शनिवार को टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल जीतने के बाद जैसे ही ट्रॉफी राहुल द्रविड़ के हाथ में आई, अमूमन शांत रहने वाले राहुल द्रविड़ का रिएक्शन 25 बरस के खिलाड़ी जैसा था. 51 बरस के राहुल द्रविड़ के इस जोशीले सेलिब्रेशन में एक सुकून छिपा है, जो उन्हें 17 बरस बाद मिला है. कमाल की बात ये है कि कोच के रूप में टीम इंडिया के साथ आखिरी दिन उन्हें ये सुकून उसी जमीन पर मिला है जहां 17 बरस पहले उन्हें सबसे बड़ा जख्म मिला था.
“No dream is ever chased alone.”
— CinemaRare (@CinemaRareIN) June 30, 2024
~ Rahul Dravid pic.twitter.com/rSHVF5QuFu
रील नहीं रियल है ये कहानी
पहली नजर में ये कहानी फिल्मी लग सकती है और हो सकता है कि कुछ साल बाद ये कहानी फिल्मी पर्दे पर भी अपनी जगह बना ले, लेकिन क्रिकेट के सबसे बड़े जेंटलमैन की ये कहानी बिल्कुल सच है. जिसमें उसने 17 साल बाद दुनिया की सभी टीमों से ऐसा बदला लिया कि हर कोई उस शख्स को सैल्यूट कर रहा है. 17 साल पुराने उस जख्म को शायद कोई भारतीय खिलाड़ी या फैन याद नहीं रखना चाहता, लेकिन टी20 विश्व कप 2024 में वेस्टइंडीज में मिली शानदार जीत के बाद 2007 की तस्वीरें भी ताजा हो गई हैं. जिसने टीम इंडिया के साथ-साथ राहुल द्रविड़ को अपने कैरियर का सबसे बड़ा दर्द दिया था.
𝗗𝗿𝗲𝗮𝗺 𝗙𝗶𝗻𝗶𝘀𝗵! ☺️ 🏆
— BCCI (@BCCI) June 29, 2024
Signing off in a legendary fashion! 🫡 🫡
Congratulations to #TeamIndia Head Coach Rahul Dravid on an incredible #T20WorldCup Campaign 👏👏#SAvIND pic.twitter.com/GMO216VuXy
तब कप्तान, अब कोच
17 बरस पहले मार्च 2007 में वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन वेस्टइंडीज में ही हुआ था. राहुल द्रविड़ की कप्तानी वाली भारतीय टीम वेस्टइंडीज पहुंची थी. तब भी भारतीय टीम को जीत का दावेदार माना जा रहा था, क्योंकि उस वक्त भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली, युवराज सिंह, महेंद्र सिंह धोनी, रॉबिन उथप्पा, हरभजन सिंह, जहीर खान, मुनाफ पटेल, अजीत अगरकर जैसे खिलाड़ी मौजूद थे, लेकिन 2007 का विश्व कप भारतीय टीम के लिए इतिहास का सबसे बुरा विश्वकप साबित हुआ.
Congratulations, coach 💙
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The perfect end to Rahul Dravid's tenure 🏆 pic.twitter.com/ZqMFQILsyV
सुपर-8 में भी नहीं पहुंच पाई थी टीम इंडिया
2007 विश्वकप में कुल 16 टीमें थी, जिन्हें 4 ग्रुप में बांटा गया था. हर ग्रुप में 4 टीमें थी और हर ग्रुप में से 2 टीमों को सुपर-8 के लिए क्वालीफाई करना था. टीम इंडिया ग्रुप B में थी. जहां टीम को ग्रुप स्टेज में बांग्लादेश, श्रीलंका और बरमुडा के खिलाफ खेलना था. फैन्स से लेकर क्रिकेट दिग्गजों तक किसी को भी अंदाजा नहीं था कि भारतीय टीम ग्रुप स्टेज के आगे नहीं बढ़ पाएगी. 17 मार्च 2007 को बांग्लादेश ने टीम इंडिया को 5 विकेट से हरा दिया, जिससे वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की मुश्किलें बढ़ गई. भारतीय टीम ने अगले मैच में बरमूडा के खिलाफ 413 रन का रिकॉर्ड स्कोर बनाया और 257 रन की बड़ी जीत हासिल की, लेकिन करो या मरो के आखिरी ग्रुप मुकाबले में भारतीय टीम श्रीलंका के सामने ढेर हो गई. श्रीलंका के 254 रनों का पीछा करते हुए टीम इंडिया 185 रन पर ऑल आउट हो गई और 69 रन से मैच हारकर वर्ल्ड कप से बाहर हो गई.
Dravid saab, No Way 🤣🤣 pic.twitter.com/yuDrH7dLUD
— ∆ 🏏 (@CaughtAtGully) June 29, 2024
खिलाड़ियों के पुतले जलाए गए
भारत में क्रिकेट धर्म और क्रिकेट के खिलाड़ी भगवान, लेकिन 2007 विश्वकप के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद फैन्स का दिल ऐसा टूटा कि देशभर में खिलाड़ियों के पुतले जलाए गए. टीम की खूब आलोचना हुई, क्योंकि वर्ल्ड कप में भारतीय टीम सिर्फ बरमुडा जैसी कमजोर टीम को ही हरा पाई थी. जबकि कमजोर मानी जा रही बांग्लादेश के बाद श्रीलंका के आगे टीम इंडिया ढेर हो गई थी.
Life has come a full circle for Rahul Dravid 🥹 pic.twitter.com/Sj4m1Id21f
— Delhi Capitals (@DelhiCapitals) June 29, 2024
जहां कप्तान को मिला जख्म, वहां बतौर कोच मिली सबसे बड़ी जीत
2007 विश्व कप में टीम के प्रदर्शन के बाद राहुल द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ दी. उस विश्व कप की यादों ने शायद राहुल द्रविड़ और भारतीय खिलाड़ियों को सोने नहीं दिया होगा, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. भारत में खेले गए 2023 विश्व कप के फाइनल में पहुंचकर टीम हार गई और राहुल द्रविड़ एक कोच के रूप में तब भी उसके गवाह बने. किस्मत उस टीम और कोच को 7 महीने बाद वेस्टइंडीज लेकर आई. जहां भारतीय टीम ने 17 साल बाद टी20 वर्ल्ड कप और 11 साल के बाद कोई ICC ट्रॉफी जीती है. ये वर्ल्ड कप ट्रॉफी टीम इंडिया के साथ-साथ अपना आखिरी टी-20 मुकाबले खेल रहे कोहली और रोहित शर्मा भी खास है, लेकिन सबसे खास उस कोच के लिए है, जिसने 17 साल बाद दुनिया से अपना बदला उसी जमीन पर लिया जहां उसे सबसे बड़ा जख्म मिला था.