अकेले में रहने वाले लोगों को ठग बना रहे शिकार. (Video Credit; ETV Bharat) कानपुर :'ताइवान जाने वाले पार्सल में 5 पासपोर्ट और ड्रग्स मिले हैं. इस पार्सल में आपका आधार कार्ड नंबर लगा है. अगर यह आपका नहीं है तो आप मुंबई साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराएं. नहीं तो आप बुरी तरह फंस जाएंगे'. मोबाइल पर आई साइबर ठगों की इस कॉल ने बिठूर के युवक को बड़ी टेंशन दे दी. साइबर ठगों ने उसे 7 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर 9 लाख रुपये ठग लिए. मौजूदा समय में इस तरह के ठगी के मामलों में इजाफा हुआ है. साइबर जालसाज खुद को पुलिस, सीबीआई या कस्टम अधिकारी बताकर ठगी कर रहे हैं. कानपुर में भी ऐसे मामलों में करीब 3% की वृद्धि हुई है. इनसे बचने के लिए जागरूक रहने की जरूरत है. घबराने के बजाय समझदारी से काम लेना होगा. लोगों का डर जालसाजों का बड़ा हथियार है. हम कुछ ऐसी ही घटनाओं के बारे में जानेंगे और एक्सपर्ट से इनसे बचने का तरीका भी पूछेंगे. पढ़िए डिटेल...
सबसे पहले जानिए क्या होता है डिजिटल अरेस्ट :डिजिटल अरेस्ट में स्कैमर्स पीड़ित को कॉल या वीडियो कॉल करते हैं. वे खुद को पुलिस, सीबीआई या अन्य जांच एजेंसी का अफसर बताते हैं. इसके बाद कहते हैं कि आपके फोन नंबर, आधार बैंक, अकाउंट से गलत काम हुए हैं. ऐसे मामले में गिरफ्तारी भी हो सकती है. आप फोन कट न कीजिएगा. लगातार इसकी जांच की जा रही है. वे फोन को दूसरी जगह ट्रांसफर करते हैं. वहां वीडियो में कुछ लोग वर्दी पहने काम करते दिखाई देते हैं. इससे पीड़ित को लगता है कि वह सच में फंसने वाला है. इसके बाद ठग कई घंटे तक उसे ऑनलाइन रखते हैं. इसके बाद गिरफ्तारी का भय दिखाकर अकाउंट में पैसे भेजने के लिए मजबूर कर देते हैं.
पढ़िए 7 दिनों तक युवक को कैसे रखा डिजिटल अरेस्ट :बिठूर थाना क्षेत्र के रहने वाले एक युवक ने बताया कि उनके पास एक कॉल आई. बताया गया कि ताइवान जाने वाले पार्सल में 5 पासपोर्ट और ड्रग्स मिले हैं. इस पार्सल में उनका आधार कार्ड लगा है. उन्होंने जब इस तरह के किसी भी पार्सल की जानकारी न होने की बात कही तो कॉल करने वाले ने मुंबई साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा. उसके बाद उनकी कॉल दूसरे नंबर पर ट्रांसफर कर दी गई. मुंबई साइबर सेल का अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने युवक को 7 दिन तक डिजिटल अटेस्ट करके रखा. स्काइप और वाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए उससे पूछताछ की. इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने का डर दिखाकर अलग-अलग खातों में 9 लाख रुपए जमा करा लिए.
25 साल की सजा का डर दिखाकर किया डिजिटल अरेस्ट :कानपुर साउथ के नौबस्ता थाना क्षेत्र के अंतर्गत रहने वाले युवक ने बताया कि उनके नंबर पर एक कॉल आई. फोन करने वाले ने कहा कि फेडेक्स कंपनी का एक कोरियर उनके आधार कार्ड पर थाईलैंड भेजा गया है. इस कोरियर में पांच पासपोर्ट, तीन बैंक क्रेडिट कार्ड, 40 ग्राम एमडीएम, एक लैपटॉप और कुछ कपड़े मिले हैं. फोन करने वाले से युवक ने कहा कि उसके द्वारा ऐसा कोई भी कोरियर नहीं भेजा गया है और इसके बाद फोन काट दिया. कुछ देर बाद युवक के पास एक नंबर से कॉल आया कॉल करने वाले ने मुंबई साइबर सेल पुलिस बताकर स्काइप के जरिए वीडियो कॉल पर जुड़ने के लिए कहा.
मनी लॉन्ड्रिंग में फंसने की बात सुन दहशत में आ गया युवक :कॉल करने वाले ने वीडियो कॉल के जरिए युवक के परिवार के सदस्यों उनके खातों से संबंधित कई अन्य पर्सनल जानकारियां प्राप्त की. उसने आधार कार्ड भी दिखाने के लिए कहा. कॉल करने वाले ने युवक से कहा कि उनके आधार कार्ड पर एचडीएफसी का खाता सक्रिय है. इस पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की जा रही है. इसके बाद कॉल करने वाले ने युवक को 25 साल की सजा का डर दिखाते हुए कहा कि वह इसके बारे में किसी से भी जिक्र न करें. इसके बाद उसे डिजीटल अरेस्ट कर लिया. इसके बाद स्काइप के जरिए युवक के पास दोबारा वीडियो कॉल आया इस बार किसी फर्जी आईपीएस ने उससे बात की. कहा कि उनके अलावा करीब आठ खातों की जांच की जा रही है. कॉल करने वाले ने उनसे खाते में मौजूद 99% रकम जांच के नाम पर मांगी. युवक को धमका कर 6:60 लाख रुपए खातें में जमा करवा लिए.
अब एक्सपर्ट से जानिए इस तरह की ठगी से बचने का तरीका :ईटीवी भारत से खास बातचीत में एसीपी साइबर क्राइम मोहसिन खान ने बताया कि किसी भी तरह के साइबर फ्रॉड से बचने के लिए हमेशा सावधान और बेहद सतर्क रहना चाहिए. भारतीय कानून में कहीं पर भी 'डिजिटल अरेस्ट' का प्रावधान नहीं है. पुलिस को अगर किसी को भी अरेस्ट करना होता है तो हम फिजिकल ही करते हैं. अगर कोई भी आपसे इस तरह की शब्द का उपयोग करता है तो आप तुरंत ही अलर्ट हो जाएं. डिजिटल अरेस्ट शब्द पुलिस टेक्नोलॉजी में नहीं है. ऑनलाइन स्कैम और फ्रॉड के तरीकों और इस तरह की घटनाओं के बारे में आम लोगों को जानना चाहिए. यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार, बैंक या फिर कोई भी जांच एजेंसी कॉल पर आपको डरा या धमका नहीं सकती है. ऐसी कॉल आने पर उसे कट कर दें. शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं.
पुलिस की फर्जी वर्दी देखकर न डरें :मोहसिन खान ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में देखा जाए तो करीब 3% प्रतिशत की डिजिटल अरेस्ट के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. इस तरह के मामलों में ज्यादातर घर पर अकेले रहने वाले वृद्ध या फिर युवाओ को ही टारगेट किया जाता है. उन्होंने बताया कि, अगर आपको किसी भी तरह के स्कैमर्स के कॉल या मैसेज आते हैं तो आपको बिल्कुल भी डरना नहीं है. अगर आपने गलत काम नहीं किया है तो किसी प्रकार की फर्जी पुलिस वाले की वर्दी देखकर न डरे. अगर आपको कुछ संदिग्ध लगता है तो तुरंत इसकी शिकायत स्थानीय थाने में जाकर करें. इसके साथ ही अगर आपके साथ कोई फ्रॉड होता है तो तत्काल 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराएं.
अब जानिए सुरक्षा के सबसे अहम प्वाइंट : साइबर जालसाजों की कॉल आने पर एकदम से घबराएं नहीं, होशियारी दिखाएं. खुद को सहज रखें. साइबर जालसाज खुद को अफसर बताए तो उनका आईकार्ड दिखाने को बोलें, पूछें कि कौन से बैच के हो, आईडी नंबर कितना है. ठगों को डराने के लिए बोलें कि इसी विभाग के एक बड़े अफसर आपके परिचित हैं. आप उन्हें कॉन्फ्रेंस पर ले रहे हैं, जो भी जानकारी करनी हो, घर आकर कीजिए. जब लगे कि साइबर ठग आपको डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश कर रह हैं तो जिस हालत में आप घर में हैं, उसी हाल में घर से बाहर निकल आएं. आसपास के लोगों को जोर-जोर से बताएं कि देखों ठगों का कॉल आया है. डिजिटल अरेस्ट की कोशिश हो रही है. इससे ठगों का मनोबल टूटेगा. वह खुद ही कॉल कट देंगे. ध्यान रहें कि ऐसे मामले में डर ही ठगों का बड़ा हथियार होता है. आपका डरना नहीं बल्कि डराना है. ठगों के कॉल के अंदेशे पर आप पहले ही फोन भी कट सकते हैं. ज्यादातर घर में अकेले रहने वाले इस तरह की ठगी के शिकार बनते हैं.
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