नई दिल्ली: साहित्य अकादमी में आज 25 नवंबर को 'सांस्कृतिक आदान-प्रदान' कार्यक्रम के अंतर्गत उज़्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान और तजाकिस्तान से पधारे लेखक, पत्रकार, विद्वान और कलाकारों को दिल्ली के विभिन्न भारतीय भाषाओं के लेखकों और विद्वानों से मिलवाया गया. अकादमी की तीसरी मंजिल पर स्थित सभाकक्ष में आयोजित इस कार्यक्रम में नौ विदेशी लेखकों और दस भारतीय लेखकों ने शिरकत की. कार्यक्रम के आरंभ में सभी का स्वागत अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने अंगवस्त्रम भेंट करके किया.
सांस्कृतिक एकता की बुनियाद:श्रीनिवासराव ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि इस तरह के समागम से विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक एकता की बुनियाद और मजबूत होती है. उन्होंने पहले भी उज़्बेकिस्तान के साथ हुए इस तरह के आदान-प्रदान का उल्लेख करते हुए बताया कि दोनों देशों के बीच लोक साहित्य की एक साझी समृद्ध परंपरा है. आपसी अनुवाद से इस विरासत को और आगे बढ़ाया जा सकता है. अकादेमी ने ऐसी पुस्तकें प्रकाशित भी की हैं. स्वागत के बाद सभी आमंत्रित अतिथियों ने सांस्कृतिक आदान प्रदान की संभावनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए, तथा भारतीय और उज़्बेकिस्तान की संस्कृतियों की समानता पर अपनी बात रखी.