रायपुर : प्रदेश की राजधानी रायपुर अब धीरे धीरे महानगर की तर्ज पर विकसित हो रही है. शहर में आबादी बढ़ने के साथ ही रहवासी क्षेत्र का विस्तार भी हो रहा है. इस बीच रायपुर शहर के कई वार्डों में मच्छरों की समस्या की शिकायत सामने आने लगी. जानकारी के मुताबिक, रायपुर नगर निगम में 70 वार्डों के लिए पिछले 3 महीने में मच्छर भगाने के लिए फॉगिंग मशीन और दवाइयां का छिड़काव करने लगभग डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए गए. बावजूद इसके वार्डवासियों को मच्छर की समस्या से निजात नहीं मिल पाई है.
वार्डवासी मच्छर से परेशान : वार्डवासी शांति पांडे ने बताया कि मच्छर मारने के लिए नाली और गंदगी वाली जगह पर महीने में एक बार दवाई का छिड़काव किया जाता है. नालिया ज्यादातर खुली हुई है, जिसमें गंदगी की वजह से मच्छर पनप रहे हैं. सफाई भी कभी-कभार ही होती है. 15 दिन या फिर महीने में एक दो दिन ही नालियों में मच्छर मारने की दवाइयों का छिड़काव और फॉगिंग मशीन वार्ड में चलाई जाती है.
मच्छर की वजह से पूरे वार्ड में आए दिन मलेरिया और डेंगू की शिकायत मिलती रहती है. कई बार मच्छरों के नाम से घर में मेहमान आने से भी कतराते हैं. घर में पूजा पाठ करते समय मच्छरों की वजह से परेशान रहते हैं. दैत्य दानव की तरह मच्छर पूजा पाठ के समय परेशान करते हैं. फागिंग मशीन महीने में कभी कभार ही आता है : शांति पांडे, वार्डवासी
"रेगुलर हो सफाई, फॉगिंग और दवा छिड़काव": वार्डवासी कौस्तुभ पांडे ने बताया कि बीच-बीच में फागिंग मशीन वार्ड में जरूर आता है, लेकिन पूरी तरह से मच्छरों से निजात मिली, ऐसा नहीं कहा जा सकता. मच्छरों को मारने के लिए दवाई और फागिंग मशीन का इस्तेमाल नियमित रूप से होना चाहिए, जिससे मच्छरों से निजात मिल सके. मलेरिया और डेंगू से वार्ड वासी बच सके. वार्ड की नालियों की साफ सफाई रेगुलर होनी चाहिए.
यह कहने और सुनने में काफी अच्छा लगता है कि मच्छरों को खत्म करने दवाइयां डाली जा रही हैं. फागिंग मशीन से धुआं कर मच्छरों को भगाया जा रहा है. दूसरी ओर मीडिया से जानकारी मिलती है कि मच्छर मारने के नाम पर इतना करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता : अरुण कुमार, वार्डवासी