जयपुर. यूपी एसटीएफ ने मंगलवार को मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. ये लोग टोल प्लाजा पर लगे NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करके बिना फास्टैग के टोल से निकलने वाले वाहनों से होने वाले कलेक्शन में गबन कर रहे थे. हर दिन एक टोल प्लाजा से 45 हजार का घोटाला होता था. लखनऊ स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने देशभर के 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर 120 करोड़ रुपए के घोटाले का पर्दाफाश किया है. एसटीएफ ने सरगना आलोक कुमार सिंह सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. आलोक के खुलासे के बाद उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर दो कर्मचारियों मनीष मिश्रा (निवासी कंजवार, मध्यप्रदेश) और राजीव कुमार (निवासी प्रयागराज) को गिरफ्तार किया गया. इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, असम और गुजरात सहित कई राज्यों के टोल प्लाजाओं पर किया जा रहा था. फिलहाल एसटीएफ मामले की जांच कर रही है. टोल प्रबंधन और अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है.
इस तरह हुआ घपला :नियमानुसार फास्टैग रहित वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स की 50 प्रतिशत राशि एनएचआई के खाते में टोल प्लाजा से जमा करनी होती है, लेकिन आरोपी आलोक के इंस्टॉल किए गए सॉफ्टवेयर के माध्यम से टोल प्लाज मालिक या प्रबन्धक के बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूली गई पूरी राशि का गबन कर लिया जाता है. गबन के बाद टोल प्लाजा मालिक, प्रबन्धक, आईटी और अन्य कर्मियों की ओर से यह राशि को आपस में बांट लेते थे. आरोपी आलोक ने खुद 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया था. आलोक से हुई पूछताछ में सामने आया है कि उसके सॉफ्टवेयर से प्रतिदिन एक टोल प्लाजा पर 45 हजार रुपए का गबन होता है. इस प्रकार दो साल में इस गैंग ने अनुमानित 64.80 अरब रुपए का गबन किया है.
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