रांची: लोकसभा चुनाव 2024 में झारखंड के कोल्हान क्षेत्र की सिंहभूम लोकसभा सीट पर अब तस्वीर साफ हो गई है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से कांग्रेस की सांसद रहीं गीता कोड़ा को चुनावी समर में उतारा गया है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हेमंत सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं जोबा मांझी पर दांव चला है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किसकी क्या मजबूती है और कौन कहां पर कमजोर पड़ रहा है.
"हो" जनजाति बहुल क्षेत्र होना गीता कोड़ा की सबसे बड़ी ताकत
सिंहभूम लोकसभा सीट पर 2019 के मोदी लहर में भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में गीता कोड़ा ने जीत का परचम लहराया था. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने इस बार कांग्रेस छोड़ कमल का दामन थाम लिया है. भाजपा ने गीता कोड़ा को ही सिंहभूम से टिकट देकर चुनावी रण में उतार दिया है. ऐसे में क्या गीता कोड़ा 2019 की तरह 2024 में जीत के रथ पर सवार हो पाएंगी या नहीं ?
इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि गीता कोड़ा के पक्ष में सबसे बड़ी बात उनका "हो" जनजाति का होना है. सिंहभूम में करीब 29% आबादी अनुसूचित जनजाति की है जिसमें से अकेले "हो" जनजाति की आबादी 56% के आसपास है. ऐसे में भाजपा का मजबूत संगठन के साथ-साथ कोड़ा दंपती की लोकप्रियता गीता कोड़ा को मजबूती देती है.
संथाल हैं झामुमो की उम्मीदवार जोबा मांझी
झारखंड निर्माण के बाद झामुमो पहली बार सिंहभूम लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रहा है. इसका मतलब यह हरगिज नहीं है कि सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में झामुमो का संगठन नहीं है. दरअसल, गठबंधन की राजनीति में सिंहभूम सीट सहयोगी दलों के खाते में चले जाने की वजह से झामुमो लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं कर पाता था, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान इस क्षेत्र में जेएमएम मजबूती से लड़ता रहा है.