लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विधानसभा के अंदर उत्तर प्रदेश में निजीकरण के नोएडा व आगरा में दोनों प्रयोगों की तारीफ करते हुए कुछ बातें रखीं. उन्होंने कहा कि नोएडा में बिना सब्सिडी के 10 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करके चल रही है.
ऊर्जा मंत्री के इस बयान पर उपभोक्ता परिषद ने कहा कि ऊर्जा मंत्री को जानकारी नहीं है कि नोएडा में जो बिजली दर 10% सस्ती हुई, उसके पीछे वजह क्या है. जारी विज्ञप्ति के अनुसार, उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का आरोप है कि नोएडा में कंपनी अपना लाभ छुपाने के लिए अपने प्रबंध निदेशक को 55 लाख रुपया प्रतिमाह सैलरी देता है और औसत बिजली खरीद से ज्यादा उपभोक्ताओं से वसूली करता है, जिसकी वजह से नोएडा में कंपनी 427 करोड़ के सरप्लस में थी. उसके एवज में 10 प्रतिशत बिजली दरों में कमी की गई. टैरिफ आदेश में सभी मामले दर्ज हैं. कोई भी देख सकता है.
जारी विज्ञप्ति के अनुसार, उनका कहना है कि वर्तमान वर्ष में नोएडा में कंपनी लगभग 1082 करोड़ के सरप्लस में है, इसलिए बिजली दरों में 10 प्रतिशत कमी चल रही है. प्रदेश की बिजली कंपनियां जिनके ऊपर विद्युत उपभोक्ताओं का भी वर्तमान में लगभग 33,122 करोड़ सरप्लस है, लेकिन सरकार के दबाव में विद्युत नियामक आयोग ने पांचों बिजली कंपनियों में बिजली दरों में कमी नहीं होने दी. उपभोक्ता परिषद ने आयोग में याचिका भी दाखिल की और कहा कि इस रकम को बराबर करने के लिए एक साथ 40 प्रतिशत या अगले पांच वर्षों तक आठ फीसद बिजली दरों में कमी करके हिसाब बराबर किया जा सकता है. इसके लिए उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री सहित उत्तर प्रदेश सरकार से भी विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत दरों में कमी करने का अनुरोध किया था. नोएडा की तरह पूर्वांचल, दक्षिणांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और केस्को में बिजली दरों में कमी इसलिए नहीं हो पाई, क्योंकि सरकार ने कमी होने नहीं दी.