संभल: जिले में जामा शाही मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए कड़े कदम उठा रहा है. इसी कड़ी में शाही जामा मस्जिद के सामने नई पुलिस चौकी का निर्माण किया जाएगा. जिसकी पैमाइश हो गई है. शनिवार को चौकी निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया. वहीं, चौकी के निर्माण पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन औवेसी विरोध जताया है.
बता दें कि संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़की थी, जिसमें चार युवकों की मौत हो गई थी, जबकि 29 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. इस मामले में पुलिस ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल सहित 40 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है. जबकि 2750 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था.
संभल में मस्जिद के सामने पुलिस चौकी के भूमि का हुआ पूजन. (Video Credit; ETV Bharat) पुलिस ने अब तक 47 दंगाइयों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है. जबकि बाकी की गिरफ्तारी को दबिश दी जा रही है. संभल में सुरक्षा के लिहाज से पुलिस बल तैनात है. इस समय RRF, PAC के अलावा आसपास की पुलिस फोर्स तैनात की गई है. वहीं, शुक्रवार को शाही जामा मस्जिद पर शांतिपूर्वक नमाज अदा कराने के बाद पुलिस प्रशासन ने एक नई पुलिस चौकी निर्माण की कवायद शुरू कर दी.
यह पुलिस चौकी शाही जामा मस्जिद के सामने खाली पड़े मैदान में बनाई जाएगी. अधिकारियों ने चौकी के निर्माण के लिए भूमि चिह्नित करने के बाद उसका भूमि पूजन भी कर हो गया. ASP श्रीश चंद्र ने बताया कि शाही जामा मस्जिद के सामने खाली मैदान में नई पुलिस चौकी बनेगी. इसका शनिवार को भूमि पूजन किया गया. हालांकि चौकी का नाम क्या होगा, इसे लेकर उन्होंने अभी कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. बहरहाल सुरक्षा की दृष्टि से नई पुलिस चौकी का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, यहां 24 घंटे पुलिस तैनात रहेगी.
ओवैसी ने जताई नाराजगीःAIMIM प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने इसे लेकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X हैंडल पर पोस्ट कर लिखा है कि 'संभल की जामा मस्जिद के सामने पुलिस चौकी बनाई जा रही है. मुल्क के किसी भी कोने में चले जाइए, वहां की सरकार ना तो स्कूल खुलवाती है, ना अस्पताल अगर कुछ बनाया जाता है तो वो है पुलिस चौकी और शराब खाने सरकार के पास किसी और चीज़ के लिए पैसे नहीं होते. बस पुलिस चौकी और शराब खाने के लिए पैसे होते हैं. डेटा खुद ये कहता है कि मुसलमानों के इलाकों में सबसे कम सरकारी सुविधाएं फ़राहम की जाती हैं'.
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