कोरबा:बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए ढेर सारे उपाय किए जाते हैं. सरकारी विभागों में भी जल संरक्षण और भू जल स्तर को बढ़ाने के लिए ढेर सारे नियम बनाए गए हैं. शहरों में कंक्रीटीकरण के विस्तार और औद्योगीकरण के कारण भू जल स्तर का गिरना लगातार चिंता का विषय बना हुआ है. वर्षा जल के संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण कराया जाता है. किसी भी बिल्डिंग के निर्माण को अनुमति देने के पहले नगरीय निकायों द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग पिट की अनिवार्यता का नियम बनाया गया है. वाटर हार्वेस्टिंग के लिए इंतजाम के बिना भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी जाती है.
बारिश का पानी नहीं हो पा रहा कलेक्ट: छत्तीसगढ़ में मानसून का आगमन हो चुका है, लेकिन वाटर हार्वेस्टिंग पिट को मेंटेन नहीं किया जा रहा है. निजी बिल्डिंग में इसे लेकर कोताही बरता जाना आम बात है. लेकिन बड़ी-बड़ी सरकारी इमारत के वाटर हार्वेस्टिंग पिट भी बिना मेंटेनेंस जर्जर अवस्था में हैं, जिसे वर्षा जल संचयन नहीं हो पा रहा है.
वर्षा जल संचयन के लिए बेहद कारगर वाटर हार्वेस्टिंग फिट: बरसात का पानी पीने योग्य शुद्ध होता है, जिससे कई तरह का काम लिया जा सकता है. आमतौर पर लोगों के लापरवाही और जागरूकता में अभाव के कारण वर्षा जल व्यर्थ हो जाता है. जमीन की सतह के ऊपर यह सतह के नीचे एकत्रित नहीं किया जाता. वर्षा जल संचयन या रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए कई तरह के तरीकों को इजाद किया गया है. इसके लिए प्रत्येक बिल्डिंग में उसके आकर के अनुसार एक गड्ढा बनाया जाता है. इसे बारिश या जल के प्रवाह की तीव्रता और मिट्टी के पुनर्भरण क्षमता के अनुसार इसका डिजाइन बनाया जाता है. आमतौर पर एक गड्ढे का आकार 1 से 2 मीटर चौड़ा और दो से तीन मीटर गहरा हो सकता है. बिल्डिंग में वाटर हार्वेस्टिंग पिट ऐसे स्थान पर बनाया जाता है, जहां पूरे बिल्डिंग का पानी एक ही स्थान पर पाइप के जरिए नीचे गिरता है.गड्ढा खोदने के बाद सबसे नीचे मोटे पत्थर यानी सबसे बड़े गिट्टी से भरा जाता है. इसके बाद मध्यम आकार के पत्थर और सबसे ऊपर बारीक रेत या भी डाली जाती है. इस विधि से पानी किसी फिल्टर होकर ग्राउंड वाटर लेवल को रिचार्ज करता है.