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नहीं हो पा रहा बारिश का पानी कलेक्ट, कोरबा में वाटर हार्वेस्टिंग पिट का हाल बेहाल, जमा पैसा जब्त करेगा नगर निगम - water harvesting pit in Korba

कोरबा में वाटर हार्वेस्टिंग पिट का हाल बेहाल है. यही कारण है कि यहां बारिश का पानी जमा नहीं हो पा रहा है. जानकारी के बाद निगम ने जमा पैसा जब्त करने की बात कही है.

water harvesting pit
वाटर हार्वेस्टिंग पिट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 7, 2024, 8:26 PM IST

कोरबा में वाटर हार्वेस्टिंग पिट का हाल बेहाल (ETV Bharat)

कोरबा:बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए ढेर सारे उपाय किए जाते हैं. सरकारी विभागों में भी जल संरक्षण और भू जल स्तर को बढ़ाने के लिए ढेर सारे नियम बनाए गए हैं. शहरों में कंक्रीटीकरण के विस्तार और औद्योगीकरण के कारण भू जल स्तर का गिरना लगातार चिंता का विषय बना हुआ है. वर्षा जल के संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण कराया जाता है. किसी भी बिल्डिंग के निर्माण को अनुमति देने के पहले नगरीय निकायों द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग पिट की अनिवार्यता का नियम बनाया गया है. वाटर हार्वेस्टिंग के लिए इंतजाम के बिना भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी जाती है.

बारिश का पानी नहीं हो पा रहा कलेक्ट: छत्तीसगढ़ में मानसून का आगमन हो चुका है, लेकिन वाटर हार्वेस्टिंग पिट को मेंटेन नहीं किया जा रहा है. निजी बिल्डिंग में इसे लेकर कोताही बरता जाना आम बात है. लेकिन बड़ी-बड़ी सरकारी इमारत के वाटर हार्वेस्टिंग पिट भी बिना मेंटेनेंस जर्जर अवस्था में हैं, जिसे वर्षा जल संचयन नहीं हो पा रहा है.

वर्षा जल संचयन के लिए बेहद कारगर वाटर हार्वेस्टिंग फिट: बरसात का पानी पीने योग्य शुद्ध होता है, जिससे कई तरह का काम लिया जा सकता है. आमतौर पर लोगों के लापरवाही और जागरूकता में अभाव के कारण वर्षा जल व्यर्थ हो जाता है. जमीन की सतह के ऊपर यह सतह के नीचे एकत्रित नहीं किया जाता. वर्षा जल संचयन या रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए कई तरह के तरीकों को इजाद किया गया है. इसके लिए प्रत्येक बिल्डिंग में उसके आकर के अनुसार एक गड्ढा बनाया जाता है. इसे बारिश या जल के प्रवाह की तीव्रता और मिट्टी के पुनर्भरण क्षमता के अनुसार इसका डिजाइन बनाया जाता है. आमतौर पर एक गड्ढे का आकार 1 से 2 मीटर चौड़ा और दो से तीन मीटर गहरा हो सकता है. बिल्डिंग में वाटर हार्वेस्टिंग पिट ऐसे स्थान पर बनाया जाता है, जहां पूरे बिल्डिंग का पानी एक ही स्थान पर पाइप के जरिए नीचे गिरता है.गड्ढा खोदने के बाद सबसे नीचे मोटे पत्थर यानी सबसे बड़े गिट्टी से भरा जाता है. इसके बाद मध्यम आकार के पत्थर और सबसे ऊपर बारीक रेत या भी डाली जाती है. इस विधि से पानी किसी फिल्टर होकर ग्राउंड वाटर लेवल को रिचार्ज करता है.

भवन निर्माण के नहीं मिलती अनुमति: वर्षा जल संचयन के लिए सरकार काफी गंभीर है, लेकिन यह गंभीरता कागजों तक ही सीमित रह जाती है. नगर निगम क्षेत्र में किसी भी नए निर्माण के लिए नक्शा पास करना होता है. इसके लिए विधिवत अनुमति लेनी पड़ती है. यदि लेआउट प्लान में वाटर हार्वेस्टिंग पिट का उल्लेख न हो, तो भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी जाती. इसके लिए 20 से 25 हजार रुपए तक की राशि भी जमा कराई जाती है. जो कि वाटर हार्वेस्टिंग पिट के निर्माण का प्रमाण देने के बाद नगर निगम द्वारा वापस की जाती है.

भवन अनुमति के लिए जिन्होंने आवेदन किया है. यदि उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण नहीं किया और सर्वे में यह पाया गया तो उनकी राशि जब्त कर ली जाएगी. मानसून के आगमन के पहले ही सभी सरकारी कार्यालयों को भी निर्देश जारी किए गए हैं कि वह वर्षा जल संरक्षण के लिए ठोस उपाय करें. वाटर हार्वेस्टिंग पिट को मेंटेन करें. -प्रतिष्ठा ममगाई, आयुक्त, नगर पालिक निगम, कोरबा

मेंटेनेंस के अभाव में नहीं हो रहा जल संरक्षण: घटता भू जलस्तर खास तौर पर शहरी क्षेत्र के लिए बेहद चिंता का विषय है, लेकिन बावजूद इसके वर्षा जल संचयन की दिशा में ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं. बिल्डिंगों के किनारे वाटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण तो कर दिया जाता है, लेकिन इसका मेंटेनेंस नहीं किया जाता. वाटर हार्वेस्टिंग पिट में गंदगी और कचरा भर जाने के कारण पानी सतह के ऊपर से ही बह के बर्बाद हो जाता है. जिला प्रशासन के कई विभागों के कार्यालय के वाटर हार्वेस्टिंग पिट भी जर्जर अवस्था में हैं, जिसके कारण वर्षा जल संरक्षण की परिकल्पना पूरी नहीं हो पा रही.

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