कोरिया में हरियाली के कातिल, 41 लाख रुपये खर्च कर भी धरती को उजाड़ दिया ! - Korea administration Negligence - KOREA ADMINISTRATION NEGLIGENCE
कोरिया जिले में मनरेगा से 41 लाख रुपए खर्च कर लगाए गए पौधे सिंचाई के अभाव में बर्बाद हो गए. कृषि विज्ञान केंद्र ने 15 एकड़ भूमि पर एक हजार नारियल और औषधीय पौधे लगाए थे. पौधौं के सूखने के बाद जिला पंचायत के सीईओ कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.
हरियाली के कातिलों को कब मिलेगी सजा ? (ETV BHARAT)
कोरिया:जिले के ग्राम पंचायत फूलपुर के शंकरपुर में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत 15 एकड़ भूमि पर एक हजार नारियल के पौधे और औषधीय पौधे लगाए थे. वेकिन यहां एक भी पौधा जीवित नहीं बचा है. नारियल के पौधे जिस भूमि पर लगाए गए थे वह जमीन भी पथरीली और टीले वाली थी. इसके साथ ही सिंचाई के अभाव की वजह से सभी पौधे मर गए.
सिंचाई सुविधा के अभाव में मर गए पौधे : कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) कोरिया ने 41.27 लाख रुपए खर्च कर 1000 नारियल के पौधों और औषधीय पौधे लगाए थे. जिले में नारियल की मांग 12 महीने रहती है, इसे देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र ने 6 से 8 माह के नारियल पौधों का रोपण किया था. पौधे बढ़ने भी लगे थे, लेकिन सिंचाई सुविधा की कमी में पौधे जीवित नहीं बचे. सिंचाई व्यवस्था के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने यहां बोर खनन भी करवाया, लेकिन बोर में पानी नहीं मिला. झुमका बांध से पाइप कनेक्शन कर पानी लाने की योजना भी आगे नहीं बढ़ सकी.
सीईओ दे रहे कार्रवाई करने का भरोसा : अब पौधौं के सूखने के बाद जिला पंचायत के सीईओ आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा है कि, "आपके माध्यम से जानकारी सामने आई है, लेकिन केवीके के अनुसार इसमें आशा अनुरूप सफलता नहीं मिली. केवीके से जानकारी लेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे."
करीब 41 लाख रुपये हुए थे खर्च : केवीके ने मनरेगा के तहत तीन अलग-अलग स्वीकृति में कार्य को पूरा किया था. इसके तहत 15 एकड़ भूमि का समतलीकरण, फेंसिंग, गड्ढा खनन के साथ पौधे लगाए गए थे. विभाग के अनुसार, साल 2020-21 में शुरू हुए कार्य में पहली प्रशासकीय स्वीकृति 13.09 लाख रुपए की मिली थी. इसमें श्रमिक लागत पर 8.38 लाख रुपए और सामग्री पर 4.71 लाख रुपए खर्च किए गए थे. दूसरी स्वीकृति 14.37 लाख थी, श्रमिक लागत 8.56 लाख और सामग्री पर 5.81 लाख रुपए लगे थे. वहीं तीसरी स्वीकृति 13.18 लाख रुपए थी. इसमें श्रमिकों को 3.55 लाख का भुगतान और सामग्री पर 9.63 लाख रुपए खर्च हुए थे. जो अब बर्बाद हो गया है.