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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 27, 2024, 5:33 PM IST

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भिलाई में नई दवाओं का होगा क्लीनिकल ट्रायल, अमेरिकी रेगुलेटरी अफेयर्स एंड क्वॉलिटी एश्योरेंस एजेंसी ने दी मंजूरी - CLINICAL TRIAL CENTER IN BHILAI

Clinical trial of new medicines दुर्ग जिले के स्पर्श हॉस्पिटल को दवा के क्लीनिकल ट्रायल करने के लिए हरी झंडी मिली है. अमेरिकी रेगुलेटरी अफेयर्स एंड क्वॉलिटी एश्योरेंस एजेंसी ने हॉस्पिटल का निरीक्षण करने के बाद क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दी है.Sparsh Hospital Clinical Trial Center

Sparsh Hospital Clinical Trial Center of Bhilai
भिलाई में नई दवाओं का होगा क्लीनिकल ट्रायल (ETV Bharat Chhattisgarh)

भिलाई :देश में बड़े शहरों की तर्ज पर नई दवाईयों के क्लीनिकल ट्राइल करने वाले शहरों में दुर्ग भी शामिल हो गया है. अमेरिका की ड्रग टेस्टिंग और रेगुलेशन एजेंसी एफडीए मैप ने निरीक्षण के बाद भिलाई के सुपेला स्पर्श अस्पताल को क्लीनिकल ट्रायल सेंटर बनाने की अनुमति दे दी है. अमेरिकी रेगुलेटरी अफेयर्स एंड क्वॉलिटी एश्योरेंस एजेंसी से जुड़े डॉ. मुकेश कुमार ने इसकी जानकारी साझा की.

कैसे हुआ हॉस्पिटल का चयन ?:स्पर्श हॉस्पिटल को क्लीनिकल ट्राइल के लिए चुनने वाली टीम ने खुद आकर भिलाई का दौरा किया.इसके बाद अस्पताल के फैसिलिटी की जांच की. जिसमें ये देखा गया कि मरीजों की बीमारियों पर नई दवाओं के परीक्षण से पहले किन विशेषज्ञों की जरूरत होगी. इस तरह से सेंटर की स्थापना की जाएगी. इसके बाद इसे क्लीनिकल ट्रायल सेंटर की पूरी मंजूरी और प्रमाण पत्र दिया गया.

गंजेपन का होगा सबसे पहले क्लीनिकल ट्रायल :स्पर्श हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. दीपक वर्मा ने बताया कि अस्पताल में शुरू में एंड्रोजेनिक एलोपेसिया यानी गंजेपन से क्लीनिकल ट्रायल शुरू होगा. जो लोग तरह-तरह के एलोपेथिक उपचार आजमाकर थक चुके हैं, लेकिन मौजूदा दवाएं उनके बाल झड़ने की समस्या में बेकार हैं. ऐसे लोगों से सहमति लेने के बाद उन पर नई ईजाद की गई दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा और नतीजे देखे जाएंगे. इस क्लीनिकल ट्रायल की सफलता के बाद यहां सिकल, डायलीसेट, कैंसर, मल्टीऑर्गन फेलियर जैसी गंभीर बीमारियों के मरीजों पर भी क्लीनिकल ट्रायल होगा.

भिलाई में नई दवाओं का होगा क्लीनिकल ट्रायल (ETV Bharat Chhattisgarh)

मरीजों को क्या होगा फायदा:क्लीनिकल ट्रायल टीम के प्रमुख डॉ. संजय गोयल ने बताया कि क्लीनिकल ट्रायल ऐसे मरीजों के लिए मुफ्त इलाज का विकल्प है, जो परंपरागत इलाज से ठीक नहीं हो रहे हैं.उन्हें नए इलाज का पूरा खर्च मुफ्त दिया जाएगा.इस दौरान मरीजों के हितों का ध्यान रखा जाएगा. अस्पताल में आने वाले सामान्य मरीजों पर यह ट्रायल नहीं किया जाएगा. क्लीनिकल ट्रायल सिर्फ उन्हीं मरीजों पर किया जाएगा,जो इसकी सहमति देंगे.

अमेरिकी रेगुलेटरी अफेयर्स एंड क्वालिटी एश्योरेंस एजेंसी के डॉ. मुकेश कुमार ने बताया कि नई दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल के मामले में हमारा देश काफी पीछे है. पिछले साल अमेरिका में जहां 44 हजार दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल हुए हैं, वहीं भारत में सिर्फ 77 का ट्रायल हुआ है.

''भिलाई में क्लीनिकल ट्रायल सेंटर खुलने से अब यहां ज्यादा से ज्यादा ट्रायल हो सकेंगे।.नई दवा का मरीजों पर कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं हो.नई दवा का क्लीनिकल ट्रायल तीसरे चरण का होगा.इसके मामूली साइड इफेक्ट हो सकते हैं.''- डॉ मुकेश कुमार, अमेरिकी रेगुलेटरी अफेयर्स एंड क्वालिटी एश्योरेंस एजेंसी

आपको बता दें कि क्लीनिकल ट्रायल करवाने वाले मरीजों में किस तरह का साइड इफेक्ट होता है.इस बात की भी रिपोर्ट तैयार की जाती है.किस मरीज पर दवा कितना असर करेगी इसकी सटीक जानकारी क्लीनिकल ट्रायल के दौरान इकट्ठा की जाती है. यह ट्रायल विशेषज्ञों की निगरानी में होता है.हर मरीज का पूरा ध्यान रखा जाता है.ट्रायल के सफल होने के बाद भी दवा को मंजूरी दी जाती है.

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