इंदौर: फुटकर बाजार में जहां सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं, वहीं सब्जी मंडी में आलम यह है कि किसानों द्वारा लाई जा रही सब्जियों के ग्राहक ही नहीं मिल रहे हैं. लौकी, गिलकी और भिंडी को लेकर हालत यह है कि किसानों को यह सब्जी बिक नहीं पाने के कारण मंडी में ही फेंककर जानी पड़ रही है. नतीजन इंदौर मंडी से अब जेसीबी और डंपर लगाकर खराब हो रही सब्जी को फेंकवाया जा रहा है.
2 रुपए किलो में बिक रही है लौकी
मालवा निमाड़ के किसानों द्वारा बारिश में अच्छी खासी मेहनत के बाद उगाई जाने वाली सब्जियों को इंदौर की चोइथराम मंडी में ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. कई दिनों से मंडी में भिंडी सहित कई सब्जियों को कोई 10 रुपए किलो के भाव से भी खरीदने को तैयार नहीं है. लिहाजा अच्छी से अच्छी लौकी चोइथराम मंडी में 6 रुपए किलो बिक रही है. वहीं औसत दर्जे की लौकी 2 रुपए किलो के भाव से है. यही स्थिति ककड़ी को लेकर है, जिसके 50 किलो के कट्टे को 25 रुपए में खरीदा जा रहा है. इसके बावजूद ककड़ी के मंडी में खरीदार ही नहीं है. यही स्थिति गिलकी और भिंडी के हैं, जो फिलहाल 5 से 6 रुपए किलो में किसानों को बेचनी पड़ रही है.
मंडी में दोगुनी हो गई है सब्जी की आवक
दरअसल, औसत तौर पर इंदौर की चोइथराम मंडी में जितनी सब्जी सामान्य दिनों में आती थी, बारिश के सीजन में दोगुनी हो गई है. आवक दुगनी होने से जाहिर है सब्जियों के दाम घट जाते हैं. इसके अलावा इन दिनों मंडी में सामान्य दिनों की तुलना में खरीददार भी कम है. इस कारण सब्जियों को खरीदने वाला कोई नहीं है. मंडी में सब्जी विक्रेता रवि और जिमी चौहान बताते हैं कि सब्जियों के भाव नहीं मिल पाने के कारण अब तक किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है. यही हालत सब्जी खरीदने वाले थोक खरीदारों की है, जिनके द्वारा किसानों से खरीदा जाने वाला माल फुटकर ग्राहक भी नहीं खरीद रहे हैं.