गिरिडीह: सरकारी अनाज, गोदाम और गड़बड़झाला. यह नई बात नहीं है. वर्षों से झारखंड में गरीबों के अनाज पर डाका एक सुनियोजित तरीके से डाला जाता रहा है. गोदाम से अनाज के निकलने, उसके डीलर के पास पहुंचने से पहले गाड़ी समेत गायब होने का प्रकरण भी कई दफा सामने आ चुका है. ऐसी गड़बड़ी पर शायद जिम्मेदार भी गंभीर नहीं होते हैं. खैर, जिम्मेदार अपनी जिम्मेवारी सही से निभाए या नहीं यह उनका विषय है. लेकिन इस बार गिरिडीह सदर के गोदाम में हो रही ऐसी ही एक गड़बड़ी की खबर हम बता रहे हैं. हम बता रहे हैं कि कैसे एक एजीएम (असिस्टेंट गोदाम मैनेजर) अपनी जवाबदेही को छोड़कर लापता हो जाता है और गोदाम में अनाज को तौलने, उसका हिसाब सरकारी खाते में चढ़ाने और फिर डोर स्टेप डिलीवरी के वाहन पर बोरियों को रखवाने का काम बाहरियों और बच्चे को दे देता है.
यह पूरा मामला गिरिडीह प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित सरकारी अनाज के गोदाम से जुड़ा हुआ है. दरअसल, मंगलवार की शाम को सदर प्रखंड उप प्रमुख कुमार सौरव प्रखंड मुख्यालय परिसर में स्थित सरकारी अनाज के गोदाम में आ पहुंचे. यहां जब वे पहुंचे तो देखा कि एजीएम संजय गोदाम में नहीं हैं. वहीं ऑपरेटर संजीत भी लापता है. एक टेबल पर एक लड़का चावल की बोरियों का वजन करवा रहा है. वहीं थोड़ी दूरी पर दूसरे टेबल पर एक युवक भी अनाज की बोरियों का वजन करवा कर गाड़ी में न सिर्फ रखवा रहा है बल्कि सरकारी रजिस्टर में एंट्री भी कर रहा है.
एक ने गर्व से कहा - भाई हैं हम
इस दौरान मौके पर पहुंचे उपप्रमुख के साथ मौजूद मिडियाकर्मियों ने एक युवक से पूछा कि आप कौन हैं और गोदाम के अंदर कैसे हैं? इस सवाल पर युवक ने गर्व से कहा मैं एजीएम साहब संजय का भाई विपिन हूं, उसने कहा कि एजीएम साहब डीएसओ के पास गए हैं. यहां विपिन ने अपने एजीएम भाई का बचाव भी किया. उसने बताया कि अभी तो भैया यहीं पर थे, अचानक डीएसओ ने बुला लिया.
12वीं में पढ़ते हैं, एजीएम साहब के गांव से हैं
वहीं लड़के से बात की गई. लड़के ने खुद को कक्षा 12वीं का विद्यार्थी बताया. उसने कहा कि वह यहां पर वजन करवाता है और फिर रजिस्टर में मेंटेन भी करता है. इस विद्यार्थी ने बताया कि उसे संजय यादव ने काम पर रखा है, हर रोज वह सुबह 10:30 बजे आ जाता है और फिर देर शाम को घर जाता है. इनसे जब पूछा गया कि एजीएम कहां गए तो बोले हमको नहीं पता.
डीएसओ ने कहा देखते हैं