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रहवासी इलाकों में जंगल के किंग की बढ़ी दखल, पशु मालिकों का हो रहा नुकसान, जानें मुआवजे का रेट - WILD ANIMALS ATTACK CHHINDWARA

छिंदवाड़ा में जंगली जानवरों के हमले में आसपास के लोगों को पशुधन की हानि होती है. जानें वन विभाग द्वारा कितना मुआवजा दिया जाता है.

WILD ANIMALS ATTACK CHHINDWARA
छिंदवाड़ा में बढ़ा जंगली जानवरों का हमला (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 21, 2025, 6:21 PM IST

छिन्दवाड़ा: सतपुड़ा और पेंच नेशनल पार्क से घिरे छिंदवाड़ा जिले में वन्य प्राणियों का मूवमेंट हर साल बढ़ रहा है. पिछले दो साल के आंकड़ों की तुलना करें तो बाघ और तेंदुए के मूवमेंट और इसके शिकार करने की संख्या बढ़ी है. वर्ष 2022-23 में जहां तेंदुए से 441 पशु हानि हुई थी. वहीं, इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 539 पहुंच गया है. यानी वन्य प्राणियों की मूवमेंट जंगल के आसपास के गांवों में ज्यादा बढ़ी है. हालांकि जानवरों का शिकार बनने वाले पशु मालिकों को उसका हर्जाना दिया जाता है.

रहवासी इलाकों में बढ़ रहा है जानवरों का दखल

जंगल के आसपास के रहवासी इलाकों में जंगली जानवरों का मूवमेंट बढ़ने से ग्रामीणों को पशुधन की हानि उठानी पड़ती है. जंगली जानवर बस्तियों में घुसते हैं और पशुओं को अपना शिकार बना लेते हैं. वन विभाग से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 में छिंदवाड़ा के रहवासी इलाकों में तेंदुए द्वारा हमले में 539 जानवरों की मौत हुई थी, जबकि बाघ ने भी 148 पशुओं को अपना शिकार बनाया. जंगली जानवरों के हमले में मारे गए पशु मालिकों को वन विभाग द्वारा उचित मुआवजा दिया जाता है.

वन विभाग द्वारा तय है इतना मुआवजा

पश्चिमी वन मंडल के तामिया उपवन मंडल अधिकारी एचसी बघेल ने बताया कि "अगर किसी जंगली जानवर के हमले में किसी इंसान की मौत हो जाती है, तो उसके परिजन को 8 लाख रुपये तक का मुआवजा देने का प्रावधान है. वहीं, पशुओं पर हुए हमलों के मामले में अलग-अलग मुआवजा राशि का प्रावधान है. ऐसे मामलों में वन विभाग के अधिकारी या कर्मचारी द्वारा घटना स्थल का निरीक्षण कर पंचनामा के हिसाब से राशि तय होती है. जिसमें सामान्यत: भैंस के लिए 30 हजार, गाय के लिए 20 हजार और बकरी के लिए 5 हजार की मुआवजा राशि निर्धारित है.

पेंच टाइगर रिजर्व का किया जा रहा विस्तार

पेंच नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि "खास तौर पर ठंड के सीजन में बाघ धूप सेंकने के लिए बाहर निकलते हैं और इलाकों में ही अपना ठिकाना बना लेते हैं. 2025 में अभी तक बफर जोन में बाघ के द्वारा शिकार की दो घटनाएं सामने आई है. हालांकि, अब अभ्यारण बनाकर पेंच टाइगर रिजर्व का विस्तार किया जा रहा है. इससे घटनाओं में कमी आ सकती है."

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