छिंदवाड़ा।मध्य प्रदेश की खूबसूरत वादियों में बसा पातालकोट बेहद खूबसूरत होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे अनोखा स्थान है. यहां की जड़ी बूटियां भी अपने आप में बेमिसाल हैं. थोड़ी सी मेहनत करने पर अगर आपके शरीर में थकान होती है या फिर इम्युनिटी कमजोर है, तो पातालकोट की जड़ी बूटियां शरीर में ताकत और स्फूर्ती भर देंगी. सर्दी, गर्मी हो या बरसात यहां की जड़ी बूटियां इम्यूनिटी बूस्टर का काम करती हैं. आईये जानते हैं उन जड़ी बूटियों के बारे में विस्तार से.
'सूरन' दर्द को करता है बाय-बाय
जमीन के अंदर पाया जाने वाला एक कन्द'सूरन'आमतौर पर पातालकोट के जंगलों में पाया जाता है. दरअसल पातालकोट के आदिवासी दिनभर जंगलों में काम करते हैं और शाम को जाकर अपना देसी भोजन करने के बाद बड़े आराम से सो जाते हैं. न तो इन्हें किसी पेन किलर की जरूरत होती है और न ही नींद के लिए किसी दवाई की. क्योंकि उनकी सबसे खास दवा है सूरन. शाम को खाना खाने के बाद आदिवासी सूरन का चूर्ण पानी के साथ लेते हैं. सूरन शरीर की ताकत और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काम करता है. चौरई के सरकारी कॉलेज में वनस्पति शास्त्र के विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि ''इंटरनेशनल जनरल ऑफ़ फार्मेसी और फार्मास्यूटिकल साइंसेज में सन 2014 में प्रकाशित एनिमल स्टडी में बकायदा इस बात की पुष्टि होती है. इसके अलावा भी कई रिसर्च पेपर में सूरन के फायदे के बारे में बताया गया है. सूरन शरीर में ताकत बढ़ाने का काम करता है.''
'कामला' के फल ही नहीं पत्तियां भी चमत्कारी
'कामला'त्वचा में होने वाले रोगों के साथ-साथ लूज मोशन जैसी बीमारी से बचाता है. यह सबसे बड़ा एंटीबायोटिक है. 'कामला'के फलों के छिलकों पर एक पीले लाल रंग का पदार्थ होता है, इस पौधे के फलों के ऊपर के पाउडर को कुमकुम तैयार करने के लिए भी उपयोग किया जाता है. रिसर्च गेट के वर्ल्ड जनरल आफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च के शोध पत्र के अनुसार इसका प्रयोग कैंसर, टीवी, मधुमेह, रक्तचाप, वात रोग, त्वचा रोग से लेकर एचआईवी के उपचार तक में किया जाता है. आज भी गांव देहातों में इसकी पत्तियों के पाउडर का प्रयोग भूख लगने वाली औषधि के तौर पर किया जाता है. जबकि फलों के छिलकों को भूनकर उसके पाउडर को शहद में मिलाकर सांस के रोग खांसी पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के लिए किया जाता है.
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