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छिंदवाड़ा में बनाई गई गणेश जी की विशेष मूर्ति, विसर्जन से पानी गंदा नहीं बल्कि होगा और साफ - Chhindwara Herbal Idol of Ganesha - CHHINDWARA HERBAL IDOL OF GANESHA

छिंदवाड़ा में एक कलाकार ने आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके गणेज जी की मूर्ति बनाई है. मूर्तिकार का कहना है कि इसको विसर्जन करने से जल प्रदूषण की समस्या नहीं आयेगी, बल्कि इसमें इस्तेमाल जड़ी-बूटियों से पानी और साफ हो जाएगा.

CHHINDWARA HERBAL IDOL OF GANESHA
छिंदवाड़ा में बनाई गई गणेश जी इको फ्रेंडली मूर्ति (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 7, 2024, 5:18 PM IST

छिंदवाड़ा: गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है. त्योहार बीत जाने के बाद प्रतिमा का विसर्जन किसी नदी या तालाब में कर दिया जाता है. इससे मूर्ति बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल युक्त रंगों की वजह से नदियों में प्रदूषण की शिकायतें सामने आती हैं. जल प्रदूषण की शिकायत से बचने के लिए छिंदवाड़ा के एक युवा कलाकार ने एक नई तरकीब अपनाई है. उन्होंने ऐसी प्रतिमा तैयार की है जिसका विसर्जन करने के बाद जल प्रदूषण की समस्या नहीं आएगी.

'इस मूर्ति से जल प्रदूषण की समस्या नहीं होगी'

छिंदवाड़ा के रहने वाले युवा मूर्तिकार स्पंदन आनंद दुबे ने आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते हुए गणेश जी की प्रतिमा तैयार की है. आनंद दुबे के अनुसार, इस प्रतिमा को आसानी से नदी में विसर्जित किया जा सकता है. इससे जल प्रदूषण की समस्या नहीं होगी, बल्कि इसमें इस्तेमाल जड़ी-बूटियों से पानी और साफ हो जाएगा. भक्ति गंगा संस्था के जरिए होने वाले श्री गणेश स्थापना का यह 58वां साल है. इस साल यहां पर श्री ब्रह्मणस्पति गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण हुआ है.

गणेश प्रतिमा में इन जड़ी बूटियों का हुआ उपयोग

गणेज जी की इस मूर्ति को बनाने में स्पंदन दुबे ने सर्वोषधि, पंचगव्य, पद्म पुष्प, जासोन का फूल, लघु नारियल, पीली सरसों, पंच धातु, पंच रत्न, कमलगट्टा, केले की जड़, पंचामृत, हरिद्रा, चंदन, विभिन्न पौधों के बीज, नीम सत्व, दूर्वा रस, गुलाब अर्क, तीर्थोदक गंगाजल व गंगा कछार की बालू आदि को मिलाकर इस केमिकल मुक्त प्रतिमा का निर्माण किया है.

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बिना सांचें के बनाई गई मूर्ति

पंडित स्पंदन आनंद दुबेने बताया कि, "उन्होंने पुरातत्व शास्त्र के प्रतिमा विज्ञान के अनुसार बिना सांचों का उपयोग किए श्री गणपति के मूल स्वरूप की निर्मिति की जाती है. जिससे प्रथम पूज्य श्री गणपति के मूल स्वरूपों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है. पिछले सालों में श्री गणपति का षट्भुज हेरम्ब स्वरूप का निर्माण किया गया था, उसी तारतम्य में इस वर्ष अष्टभुजी महागणपति विराजित हुए हैं."

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