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छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव 2024 : तीसरे चरण में दिग्गजों के बीच बड़ा रण ,जानिए कौन किससे है आगे ? - Third Phase Big Fight - THIRD PHASE BIG FIGHT

Third Phase Big Fight in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में तीसरे चरण का मतदान 7 मई को होना है. पहले दो चरणों के बाद तीसरे चरण के लिए कांग्रेस और बीजेपी जोर आजमाइश कर रही है. तीसरे चरण में जिन सीटों पर मुकाबला होना है,वो सभी हाईप्रोफाइल सीटें हैं.आज हम आपको बताएंगे इन सभी सीटों का कैसा है समीकरण.

Third Phase Big Fight in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ मे दिग्गजों के बीच जंग

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 29, 2024, 5:05 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में तीसरे चरण का मतदान सात मई को होगा.इन सात सीटों पर कई दिग्गजों की किस्मत दाव पर लगी है.सभी सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है. सिर्फ कोरबा लोकसभा सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का उम्मीदवार थोड़ा मजबूत दिख रहा है.फिर भी इस सीट पर सीधी टक्कर कांग्रेस और बीजेपी की ही मानी जा रही है. छ्त्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की सात सीटों पर दिग्गजों ने मुकाबला रोचक बना दिया है.आईए जानते हैं इन सभी सीटों का समीकरण

रायपुर लोकसभा सीट की जंग

रायपुर लोकसभा सीट :रायपुर लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की सबसे ज्यादा वीआईपी सीट है. 1952 से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है.लेकिन 1989 के बाद से अब तक ये सीट बीजेपी के कब्जे में रही है.सिर्फ 1991 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल ने ये सीट जीती थी. लेकिन फिर इसके बाद कभी इस सीट पर बीजेपी के अलावा कोई दूसरा दल इस सीट को नहीं जीत पाया.

कौन हैं आमने-सामने :रायपुर लोकसभा सीट के लिए इस बार बीजेपी ने अपने सबसे बड़े नेता को उतारा है.छत्तीसगढ़ की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले बृजमोहन अग्रवाल रायपुर से बीजेपी उम्मीदवार हैं.जबकि कांग्रेस ने बीजेपी के दिग्गज के सामने अपने युवा ब्रिगेड के तेज तर्रार नेता विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा है. विकास उपाध्याय साल 2018 में बीजेपी के दिग्गज को चुनाव हराकर अपना कद साबित कर चुके हैं.

बृजमोहन अग्रवाल :छत्तीसगढ़ की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का दिग्गज चेहरा बृजमोहन अग्रवाल पिछले 35 सालों से लागातार विधायक हैं. बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का लगातार आठवीं बार प्रतिनिधत्व कर रहे हैं. बृजमोहन अग्रवाल ने अपने राजनीति करियर की शुरुआत ABVP से छात्र नेता के रूप में किया था. जिसके बाद साल 1990 में अविभाजित मध्यप्रदेश के समय पहली बार विधायक बनें. इसके बाद 1993, 1998 में भी अविभाजित मध्य प्रदेश में रायपुर से विधायक रहे. छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद लगातार पांच बार 2003, 2008, 2013, 2018 और 2023 में बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है.

विकास उपाध्याय :राजनीतिक करियर की शुरुआत 1994 में NSUI के छात्रनेता के रूप में की. विकास उपाध्याय 1998 में एनएसयूआई के ब्लॉक अध्यक्ष और 1999 में रायपुर जिले के एनएसयूआई जिला अध्यक्ष बने. इसके बाद 2004 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष बने. 2006 में एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव बने और 2009 में राष्ट्रीय सचिव युवा कांग्रेस बने. 2010 में राष्ट्रीय महासचिव युवा कांग्रेस बने. 2013 से 2018 तक वे जिला कांग्रेस अध्यक्ष रायपुर शहर रहे. इस बीच विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने रायपुर पश्चिम से विकास को अपना प्रत्याशी बनाया. इस विस चुनाव में विकास उपाध्याय ने बीजेपी के दिग्गज नेता और तत्कालीन रमन सरकार में मंत्री राजेश मूणत को करारी शिकस्त दी और रायपुर पश्चिम विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए. हांलाकि, 2023 के विधानसभा चुनाव में राजेश मूणत ने वापसी की और विकास को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा

रायपुर लोकसभा सीट 2024
बीजेपी बृजमोहन अग्रवाल
कांग्रेस विकास उपाध्याय
पुरुष मतदाता 11 लाख 81 हजार 135
महिला मतदाता 11 लाख 82 हजार 251
थर्ड जेंडर 305
कुल मतदाता 23 लाख 63 हजार 691

2024 में कितने वोटर्स :रायपुर लोकसभा सीट पर करीब 23 लाख 63 हजार 691 वोटर्स हैं. इनमें से 11 लाख 81 हजार 135 पुरुष मतदाता हैं जबकि 11 लाख 82 हजार 251 महिला वोटर्स हैं. वहीं थर्ड जेंडर 305 मतदाता हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में 13 लाख 96 हजार 250 मतदाताओं ने मतदान किया था.

2019 में बीजेपी ने जीती बाजी :2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सुनील कुमार सोनी ने कांग्रेस के प्रमोद दुबे को 3 लाख 48 हजार 238 वोटों से हराया था. सुनील कुमार सोनी को 8 लाख 37 हजार 902 वोट मिले थे. जबकि प्रमोद दुबे को 4 लाख 89 हजार 664 वोट मिले थे. 2019 में रायपुर लोकसभा सीट पर 68 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई थी.

दुर्ग लोकसभा सीट :दुर्ग लोकसभा सीट के भीतर भीतर 9 विधानसभा सीटें आती हैं. जिसमें पाटन, दुर्ग ग्रामीण, दुर्ग सिटी, भिलाई नगर, वैशाली नगर, अहिरवारा, साजा, बेमेतरा, नवागढ़ शामिल है. दुर्ग लोकसभा छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह क्षेत्र होने के कारण दुर्ग लोकसभा पर सभी की निगाहें टिकी हुई है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जिले की एक सीट छोड़कर सभी विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी.फिर भी लोकसभा चुनाव कांग्रेस ना जीत सकी.अबकी बार प्रदेश में बीजेपी की सरकार है.लिहाजा कांग्रेस के लिए ये सीट जीतना नाक का सवाल है.

दुर्ग लोकसभा सीट की जंग

कौन हैं आमने -सामने :दुर्ग लोकसभा सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद विजय बघेल को टिकट दिया है.जबकि कांग्रेस की ओर से राजेंद्र साहू को मौका मिला है.

विजय बघेल :विजय बघेल ने अपनी राजनीति करियर की शुरुआत साल 2000 में की थी. 2000 में विजय बघेल ने भिलाई नगर परिषद का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता. उसके बाद साल 2003 में पाटन विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस के टिकट से पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद विजय बघेल बीजेपी में शामिल हए और साल 2008 के विधानसभा चुनाव में पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. यहां उनके खिलाफ कांग्रेस से भूपेश बघेल चुनाव मैदान में थे. इस चुनाव में विजय बघेल ने भूपेश बघेल को करारी शिकस्त दी थी. विजय बघेल 2019 में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर सांसद बने. अब बीजेपी ने दुर्ग लोकसभा सीट से अपने सांसद विजय बघेल पर दोबारा भरोसा जताया है.

राजेंद्र साहू :राजेन्द्र साहू दुर्ग जिला कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक हैं. राजेन्द्र साहू का साहू समाज में काफी पकड़ माना जाता है. वे कांग्रेस के काफी विवादित नेता भी रहे हैं. एक बार उन्होंने अपनी ही पार्टी के मोतीलाल वोरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. इसके साथ ही कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने निर्दलीय विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए. जिसके बाद 2018 में उन्होंने दोबारा कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था. साल 2019 में राजेंद्र साहू भूपेश बघेल के चुनाव संचालक के तौर पर उनके साथ चुनावी अभियान में साथ रहे. प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद उन्हें जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग का अध्यक्ष भी बनाया गया था.

दुर्ग लोकसभा सीट 2024
बीजेपी विजय बघेल
कांग्रेस राजेंद्र साहू
पुरुष मतदाता 10 लाख 34 हजार 354
महिला मतदाता 10 लाख 38 लाख 133
थर्ड जेंडर 56
कुल मतदाता 20 लाख 72 हजार 643

2024 में वोटर्स :दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में कुल 20 लाख 72 हजार 643 मतदाता हैं. जिसमें 10 लाख 34 हजार 354 पुरुष और 10 लाख 38 लाख 133 महिला मतदाता हैं. इसके अलावा 56 थर्ड जेंडर के मतदाता हैं. दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में दुर्ग और बेमेतरा जिला शामिल हैं. दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के दुर्ग जिले में छह और बेमेतरा जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.

2019 में बीजेपी ने जीता चुनाव :2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विजय बघेल ने कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर को भारी मतों के अंतर से हराया था. विजय बघेल को यहां 61 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस को महज 32 फीसदी वोटों से संतोष करना पड़ा था.

बिलासपुर लोकसभा सीट : बिलासपुर लोकसभा सीट 1952 में अस्तित्व में आई. साल 2019 में अरुण साव इस लोकसभा सीट से सांसद बने थे.मौजूदा समय में अरुण साव प्रदेस सरकार में डिप्टी सीएम हैं. छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट बिलासपुर में पिछले कई सालों से बीजेपी का कब्जा है. 2019 में सांसद लखन साहू का टिकट काटकर अरुण साव को सांसद प्रत्याशी बनाया गया था.अरुण साव ने रिकॉर्ड 1 लाख 41 हजार 763 मतों से अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को हराया था.बीजेपी के गढ़ के रूप में पहचान बना चुकी बिलासपुर संसदीय क्षेत्र में बिलासपुर, बिल्हा, मस्तूरी, बेलतरा, तखतपुर, लोरमी, मुंगेली और कोटा विधानसभा सीट आती हैं.

बिलासपुर लोकसभा सीट की जंग

कौन है आमने-सामने ?: बिलासपुर लोकसभा सीट से इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही नया प्रत्याशी उतारा है. बीजेपी की ओर से जहां लोरमी के पूर्व विधायक तोखन साहू मैदान में हैं,वहीं कांग्रेस की ओर से भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव बिलासपुर से चुनाव लड़ रहे हैं.

देवेंद्र यादव :देवेंद्र यादव 2009 में रुंगटा कॉलेज के एनएसयूआई प्रतिनिधि रहे. 2009 से 2011 तक जिला अध्यक्ष एनएसयूआई रहे. 2011 से 2014 तक प्रदेश अध्यक्ष एनएसयूआई बने. 2014 से 2015 तक राष्ट्रीय सचिव 2015 से 2016 तक राष्ट्रीय महासचिव एनएसयूआई रहे. 2016 में नगर पालिका निगम भिलाई के महापौर बने. 2017–18 में वे राष्ट्रीय सचिव यूथ कांग्रेस रहे. देवेंद्र यादव 2018 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे. देवेंद्र यादव ने स्कूल के दौरान ही कांग्रेस की छात्र राजनीति में कदम रख दिया था. देवेंद्र एनएसयूआई के प्रतिनिधि और एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं. साथ ही एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी संभाली है. 25 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के महापौर बनने का खिताब देवेंद्र यादव को मिला है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में देवेंद्र यादव ने अहम भूमिका निभाई थी.देवेंद्र यादव ने दो बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के पू्र्व अध्यक्ष और मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय को चुनाव में शिकस्त दी है.

तोखन साहू :तोखन साहू बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं. 2013 में पहली बार लोरमी से विधायक चुने गए. 2014-15 में तोखन साहू को महिला एवं बालक कल्याण समिति का सदस्य बनाया गया.साल 2015 में संसदीय सचिव का जिम्मा भी तोखन साहू संभाल चुके हैं.

बिलासपुर लोकसभा सीट 2024
बीजेपी तोखन साहू
कांग्रेस देवेंद्र यादव
पुरुष मतदाता 9 लाख 21 हजार 521
महिला मतदाता 8 लाख 89 लाख 970
थर्ड जेंडर 169
कुल मतदाता 18 लाख 11 हजार 660

बिलासपुर लोकसभा सीट पर कितने वोटर्स :बिलासपुर लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख 11 हजार 606 वोटर्स हैं. इनमें से 9 लाख 21 हजार 521 पुरुष मतदाता हैं जबकि 8 लाख 89 हजार 970 महिला वोटर्स हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में 12 लाख 9 हजार 434 मतदाताओं ने मतदान किया था. 2019 में 67 फीसदी मतदान हुआ था.

2019 में चुनाव नतीजा :साल 2019 में इस सीट को बीजेपी ने जीता था. बीजेपी ने अरुण साव को उम्मीदवार बनाया था.जबकि कांग्रेस की ओर से अटल श्रीवास्तव मैदान में थे.

जांजगीर चांपा लोकसभा सीट :जांजगीर चांपा लोकसभा 1952 में अस्तित्व में आई. जांजगीर चांपा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति यानी SC के लिए आरक्षित है. 2004 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गुहाराम अजगल्ले ने कांग्रेस के रवि पारसराम भारद्वाज को हराया था. जांजगीर चांपा लोकसभा में विधानसभा की आठ सीटें आती हैं. अकलतरा, जांजगीर-चांपा, सक्ती, चंद्रपुर, जैजैपुर, पामगढ़, बिलाईगढ़ और कसडोल के वोटर्स इस लोकसभा के लिए वोटिंग करते हैं.

जांजगीर चांपा लोकसभा सीट की जंग

कौन है आमने सामने :जांजगीर चांपा लोकसभा सीट के लिए इस बार कांग्रेस ने पूर्व मंत्री शिव डहरिया को मैदान में उतारा है. शिव डहरिया विधानसभा चुनाव हार चुके हैं.वहीं बीजेपी की बात करें तो बीजेपी ने यहां शिव डहरिया के मुकाबले कमलेश जांगड़े को टिकट दिया है.

शिव कुमार डहरिया : शिव कुमार डहरिया का जन्म 18 दिसंबर 1964 को रायपुर जिले के अभनपुर में हुआ. पिता का नाम स्व. आशाराम डहरिया और पत्नी का नाम शकुन डहरिया है. शिव कुमार डहरिया ने बीएएमएस की पढ़ाई की है. शिव डहरिया ने 13 साल की उम्र ही राजनीति में कदम रखा. 1977 से लेकर 1988 तक स्कूल और कॉलेज में छात्र संघ के कई पदों पर नियुक्त हुए. साल 1990 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ के संयुक्त मंत्री की जिम्मेदारी मिली.1997 में युवा कांग्रेस के महामंत्री बने. 1990 से 10 सालों तक जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे. इसके बाद साल 2000 में राज्य परिवहन प्रधिकरण के सदस्य बने. इसी बीच उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला.साल 2001 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री के रूप में नियुक्त हुए.2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने। फिर 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.2023 में चौथी बार विधानसभा चुनाव हार गए.इस बार जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से शिव डहरिया को उम्मीदवार बनाया गया है.

कमलेश जांगड़े : कमलेश जांगड़े सक्ती जिले की मसनियां कला गांव की निवासी है. साल 2002 में कमलेश ने विद्यार्थी परिषद में संयोजक का पद संभाला.इसके बाद 2005 से 2015 के बीच दो बार मसनियां कला गांव की सरपंच भी रहीं. सरपंच के कार्यकाल में अच्छा काम करने के कारण कलेक्टर ने कमलेश जांगड़े को सर्वश्रेष्ठ सरपंच का खिताब भी दिया था. 2015 से 2020 तक प्रदेश महिला मोर्चा में विशेष आमंत्रित सदस्य बनीं. इसके बाद सरगुजा में जिला प्रभारी का दायित्व संभाला. साल 2020 में जांजगीर-चांपा जिला की बीजेपी जिला उपाध्यक्ष भी बनीं. जनवरी 2023 से कमलेश महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष हैं.

जांजगीर चांपा लोकसभा सीट 2024
बीजेपी कमलेश जांगड़े
कांग्रेस शिव डहरिया
पुरुष मतदाता 10 लाख 27 हजार 686
महिला मतदाता 10 लाख 16 हजार 699
थर्ड जेंडर 29
कुल मतदाता 20 लाख 44 हजार 411

जांजगीर चांपा लोकसभा सीट पर कितने वोटर्स :जांजगीर चांपा लोकसभा में इस बार वोटर्स की कुल संख्या 20 लाख 44 हजार 411 है. जिसमें पुरुष वोटर्स 10 लाख 27 हजार 686 और महिला वोटर्स 10 लाख 16 हजार 699 है. वहीं थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 29 है.

2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे :2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गुहाराम अजगले ने कांग्रेस के रवि परसाराम भारद्वाज को 83 हजार 255 हजार वोटों से हराया था. गुहाराम अजगल्ले को 5 लाख 72 हजार 790 लाख यानी 46 फीसदी वोट मिले थे. वहीं रवि परसाराम भारद्वाज को 4 लाख 89 हजार 535 लाख यानी 39 प्रतिशत वोट मिले थे.

कोरबा लोकसभा सीट :छत्तीसगढ़ की कोरबा लोकसभा सीट परिसीमन के बाद पहली बार 2008 में अस्तित्व में आई थी. ये सीट पहले जांजगीर चांपा के अंदर आता था. इस सीट पर पहली बार चुनाव 2009 में हुआ. जिसमें कांग्रेस के चरणदास महंत ने बीजेपी की करुणा शुक्ला को हराया था. 2014 में बीजेपी के बंशीलाल महतो ने चरणदास महंत को चुनाव हराया. कोरबा लोकसभा में आठ विधानसभा भरतपुर-सोनहत, मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, रामपुर, कोरबा, कटघोरा, पाली-तानाखार और मरवाही आती है.

कोरबा लोकसभा सीट की जंग

कौन है आमने सामने :इस बार कोरबा संसदीय सीट के लिए दो महिला उम्मीदवारों के बीच टक्कर है. कांग्रेस ने जहां इस बार ज्योत्सना महंत को टिकट दिया है.वहीं दूसरी ओर बीजेपी की ओर से पूर्व सांसद सरोज पाण्डेय को चुनाव मैदान में उतारा गया है.

ज्योत्सना महंत :ज्योत्सना महंत : ज्योत्सना महंत पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी है. कोरबा लोकसभा सीट से दूसरी बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया है. ज्योत्सना का जन्म 18 नवंबर 1953 को हुआ था. भोपाल विश्वविद्यालय से वर्ष 1974 में बीएससी और फिर एमएससी पूरी की. ज्योत्सना और चरणदास महंत की शादी 23 नवंबर 1980 को हुई. उनकी तीन बेटी और एक बेटा है. ज्योत्सना महंत को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था. जिसमें उन्होंने बीजेपी के ज्योति नंद दुबे को हराया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 2 सीट ही मिली थी.उसमें से एक कोरबा लोकसभा भी थी. 9 अक्टूबर 2019 को लोकसभा की कमेटी ऑन इंपावरमेंट ऑफ वुमेन की सदस्य बनाया गया. फिर 13 सितंबर 2019 को स्टेंडिंग कमेटी ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, इनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के सदस्य के तौर पर नियुक्त हुईं.

सरोज पाण्डेय :साल 2018 में सरोज पांडेय को राज्यसभा सांसद चुना गया था. सरोज पांडे ने कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू को हराकर जीत दर्ज की थी. सरोज पांडेय 22 जून 1968 को छत्तीसगढ़ के भिलाई में पैदा हुईं. पहली बार साल 2000 और 2005 में दूसरी बार भिलाई निगम की मेयर बनीं. साल 2008 में पहली बार वैशाली नगर से विधायक चुनी गईं. इसके बाद बीजेपी ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में दुर्ग संसदीय सीट से जीत हासिल की. 2013 में सरोज पाण्डेय को बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया.इसके बाद सरोज पाण्डेय ने साल 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा. लेकिन कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने सरोज पाण्डेय को चुनाव हरा दिया.इस हार के बाद भी सरोज पाण्डेय की लोकप्रियता जरा भी कम नहीं हुईं. बीजेपी ने सरोज पाण्डेय को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया.इसके बाद साल 2018 में सरोज पाण्डेय को राज्यसभा के लिए चुना गया.

कोरबा लोकसभा सीट 2024
बीजेपी सरोज पाण्डेय
कांग्रेस ज्योत्सना महंत
पुरुष मतदाता 6 लाख 74 हजार 11
महिला मतदाता 6 लाख 66 हजार 504
थर्ड जेंडर 29
कुल मतदाता 13 लाख 40 हजार 544

कोरबा लोकसभा में वोटर्स :कोरबा लोकसभा सीट पर करीब 13 लाख 40 हजार 544 वोटर्स हैं. इनमें से 6 लाख 74 हजार पुरुष मतदाता हैं जबकि 6 लाख 66 हजार 504 महिला वोटर्स हैं. 2019 में 11 लाख 37 हजार 3 मतदाताओं ने मतदान किया था. यानी 83 फीसदी मतदान हुआ था.

2019 के लोकसभा चुनाव नतीजे :2019 के चुनाव में चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत इस सीट से चुनाव लड़ीं. ज्योत्सना महंत ने इस सीट पर बीजेपी के ज्योतिनंद दुबे को हराकर जीत दर्ज की थी. ज्योत्सना महंत ने ज्योतिनंद दुबे को 26 हजार 349 हजार वोटों से हराया था. ज्योत्सना महंत को 5 लाख 23 हजार 410 लाख यानी 46 फीसदी वोट और ज्योतिनंद दुबे को 4 लाख 97 हजार 61 यानी 43 प्रतिशत वोट मिले थे.

सरगुजा लोकसभा सीट :आदिवासी बेल्ट के रुप में गिने जाने वाले सरगुजा लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी और कांग्रेस के महामुकाबला होने वाला है. आदिवासी वोटरों का झुकाव जिस ओर होता है जीत उसी पार्टी की होती है. सरगुजा लोकसभा सीट पर हमेशा से आदिवासी वोटर हार और जीत के फैक्टर में निर्णायक साबित होते रहे हैं. सरगुजा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां से कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया. पूरे सरगुजा में सिर्फ कमल खिला. सरगुजा लोकसभा सीट को बीजेपी की परंपरागत सीटों में गिना जाता है.

सरगुजा लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीटें हैं: सरगुजा लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक सीट है. सरगुजा लोकसभा सीट में प्रेमनगर, भटगांव, प्रतापपुर, रामानुजगंज, सामरी, लुंड्रा, अंबिकापुर, सीतापुर समेत 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. सरगुजा लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है. सरगुजा लोकसभा सीट पर हमेशा से मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा है

कौन हैं आमने -सामने :सरगुजा लोकसभा सीट के लिए बीजेपी ने चिंतामणि महाराज को मैदान में उतारा है.जो साल 2018 में कांग्रेस से विधायक बने थे.लेकिन साल 2023 में जब पार्टी ने टिकट काटा तो चिंतामणि बीजेपी के साथ हो लिए.वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री की बेटी शशि सिंह को टिकट दिया है.जिनकी गोंड समाज में अच्छी पकड़ है.

चिंतामणि महाराज:कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले चिंतामणि महाराज छत्तीसगढ़ के संत गहिरा गुरु के परिवार से हैं और उनके बेटे हैं. सरगुजा संभाग में बड़ी संख्या में संत गहिरा गुरु के अनुयायी रहते हैं. संत गहिरा गुरु का प्रभाव अंबिकापुर, लुंड्रा, सामरी, पत्थलगांव, कुनकुरी, बिलासपुर, जशपुर और रायगढ़ जैसे इलाकों में है. प्रदेश भर में इस समाज से जुड़े लोगों के अनुयायी रहते हैं. बीजेपी में उनके आने से और उनको टिकट देने से पार्टी मजबूत भी हुई है उसका जनाधार भी बढ़ा है ऐसा बीजेपी के नेताओं का मानना है. चिंतामणि महाराज के चुनाव मैदान में उतरने से कांग्रेस जरुर बैकफुट पर है.

शशि सिंह:कांग्रेस पार्टी ने चिंतामणि महाराज के सामने तेज तर्रार युवा नेत्री शशि सिंह को मैदान में उतारा है. शशि सिंह तब चर्चा में आईं जब वो राहुल गांधी की न्याय यात्रा से छत्तीसगढ़ में जुड़ीं. शशि सिंह के पिता तुलेश्वर सिंह कांग्रेस की सरकार में मंत्री पद पर रह चुके हैं. राजनीति शशि सिंह को विरासत में मिली है. शशि सिंह की पहचान क्षेत्र में युवा और तेज तर्रार नेताओं में किया जाता है. जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ जुड़कर उनको काम करने की आदत है. शशि सिंह को पार्टी ने जब टिकट दिया तो खुद कांग्रेस पार्टी के कई नेता और पदाधिकारी हैरान रह गए थे.

सरगुजा लोकसभा सीट 2024
बीजेपी चिंतामणि महाराज
कांग्रेस शशि सिंह
पुरुष मतदाता 9 लाख 2 हजार 27
महिला मतदाता 9 लाख 10 हजार 840
थर्ड जेंडर 34
कुल मतदाता 18 लाख 12 हजार 901

सरगुजा लोकसभा में वोटर्स :साल 2024 के लोकसभा चुनाव में सरगुजा में मतदाताओं की कुल संख्या 18 लाख 12 हजार 901 है. जिसमें 9 हजार 2 हजार 27 पुरुष और 9 लाख 10 हजार 840 महिला वोटर्स और 34 अन्य मतदाता शामिल हैं.

2019 चुनाव के नतीजे :साल 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो सरगुजा लोकसभा सीट पर बीजेपी की रेणुका सिंह ने जीत दर्ज की थी. रेणुका सिंह को 663711 वोट मिले थे.जबकि उनके मुकाबले कांग्रेस ने खेल सिंह साय को टिकट दिया था. जिन्हें चुनाव में505838 मत पड़े थे.

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रायगढ़ लोकसभा सीट :छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों में रायगढ़ लोकसभा सीट काफी अहम माना जाता है. इस सीट का आधा हिस्सा बिलासपुर तो आधा हिस्सा सरगुजा में पड़ता है. इस क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं. यहां से पिछले 7 बार से बीजेपी जीत दर्ज करती आई है. इस बार भी बीजेपी इस सीट पर जीत का दावा ठोक रही है. हालांकि कांग्रेस ने भी इस क्षेत्र में दिग्गज प्रत्याशी को टिकट दिया है.

रायगढ़ लोकसभा सीट की जंग

कौन हैं आमने-सामने :रायगढ़ लोकसभी सीट पर बीजेपी ने राधेश्याम राठिया को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर मेनका देवी सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है.मेनका सिंह राजपरिवार से आती हैं,इसलिए इस बार मुकाबला कड़ा है . दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.

राधेश्याम राठिया :राधेश्याम राठिया साल 1995 से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं. तीन दशकों से पार्टी के लिए वो अलग अलग पदों पर रहते हुए बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राठिया ने साल 2018 और साल 2023 में विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए दावेदारी ठोकी थी. दोनों बार राधेश्याम राठिया को पार्टी ने टिकट नहीं दिया. टिकट नहीं मिलने से राठिया नाराज भी थे. कहा जाता है कि हर बार उनका नाम पैनल से आखिरी वक्त में हटाया जाता रहा. लेकिन इस बार पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है.

मेनका सिंह :मेनका सिंह तत्कालीन सारंगढ़ रियासत के राजा नरेश चंद्र के परिवार से संबंध रखती हैं. रायगढ़ से लोकसभा की सांसद रह चुकी पुष्पा देवी की छोटी बहन हैं. मेनका सिंह लंबे समय से कांग्रेस में रहकर कार्य कर रही हैं.साल 2019 में लोकसभा चुनाव में भी मेनका सिंह का नाम उम्मीदवार के तौर पर सामने आया था.मेनका सिंह के सामने बीजेपी के अनुभवी नेता राधेश्याम राठिया हैं. जिन्हें चुनाव में हराने के लिए कांग्रेस को एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा.

सरगुजा लोकसभा सीट 2024
बीजेपी राधेश्याम राठिया
कांग्रेस मेनका सिंह
पुरुष मतदाता 9 लाख 4 हजार 335
महिला मतदाता 9 लाख 24 हजार 654
थर्ड जेंडर 49
कुल मतदाता 18 लाख 29 हजार 38

रायगढ़ लोकसभा में वोटर्स : रायगढ़ लोकसभा की बात करें तो इस बार कुल वोटर्स की संख्या1829038 है. जिसमें पुरुष वोटर्स 904335 हैं.जबकि महिला वोटर्स की संख्या 924654 है.वहीं थर्ड जेंडर की संख्या 49 है.

2019 चुनाव के नतीजे :साल 2019 के लोकसभा चुनाव में रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में कुल 17 लाख 33805 मतदाता थे. कुल वैध वोटों की संख्या 1334395 थी. इस सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार गोमती साय जीतकर सांसद बनीं. उन्हें कुल 658335 वोट मिले. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार लालजीत सिंह राठिया कुल 592308 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे.

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