Chhattisgarh Liquor Scam छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला सामने आने के बाद अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी जेल में बंद हैं.जिन्हें इसी मामले में मेरठ की जेल में रखा गया था.लेकिन ईडी को अब दोनों ही आरोपियों की रिमांड 14 अगस्त तक के लिए मिली है.दोनों आरोपियों को 8 अगस्त को कोर्ट में पेश किया गया जहां से कोर्ट ने दोनों को 14 अगस्त तक के लिए रिमांड पर भेजा है.Anwar Dhebar and Arunpati Tripathi
ढेबर और त्रिपाठी की बढ़ी मुश्किलें, जानिए कहां फंसे (ETV Bharat Chhattisgarh)
रायपुर :प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर महापौर के बड़े भाई अनवर ढेबर और आईटीएस के निलंबित अफसर अरुणपति त्रिपाठी को रिमांड पर लिया है. दोनों को रायपुर की पीएमएलए स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया.जहां से कोर्ट नेदोनों आरोपियों को 14 अगस्त तक ईडी की रिमांड में भेजा है. ईडी को दोनों ही आरोपियों से इस मामले में गहन पूछताछ करनी है.ईडी ने दोनों को प्रोडक्शन वारंट पर मेरठ जेल से रायपुर लाया है.इसके बाद रायपुर की विशेष अदालत में 7 दिन की कस्टोडियल रिमांड मांगी थी.जिसे कोर्ट ने मंजूर किया है.
ईडी की FIR रद्द होने के बाद दूसरा मामला हुआ दर्ज : केंद्रीय एजेंसी ईडी ने पिछले साल शराब घोटाले मामले में अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को अरेस्ट किया था.इसके बाद हाईकोर्ट ने आयकर विभाग की शिकायत के बाद ईडी की ICIR रद्द कर दी थी.प्राथमिकी रद्द होने के बाद एजेंसी आरोपियों के खिलाफ नया मामला दर्ज किया था. दोनों को इस मामले में गुरुवार को दोबारा गिरफ्तार किया गया.इसके बाद रायपुर की एक विशेष धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने दोनों को 14 अगस्त तक के लिए ईडी की हिरासत में भेजा.
क्या है पूरा मामला ?:ईडी की जांच में पता चला है कि 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में भ्रष्टाचार कई तरीकों से किया गया था. पार्ट-ए कमीशन में, सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रत्येक केस के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई थी. पार्ट-बी (कच्ची शराब की बिक्री) में बिना हिसाब-किताब वाली कच्ची देशी शराब की बिक्री. इस मामले में, राज्य के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी आय सिंडिकेट ने अपने पास रख ली. अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी. पार्ट-सी कमीशन में, डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती है ताकि वे कार्टेल बना सकें और एक निश्चित बाजार हिस्सेदारी रख सकें.
21 सौ करोड़ के घोटाले का आरोप :विदेशी शराब सेगमेंट में कमाई के लिए FL-10A लाइसेंस धारकों से कमीशन भी शुरू किया गया था. ईडी की जांच में यह भी पता चला है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के कारण राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों में 2100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय भरी गई.इससे पहले, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लों को भी ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था. शराब घोटाले की चल रही जांच में ईडी पहले ही करीब 205.49 करोड़ रुपये की 18 चल और 161 अचल संपत्तियां जब्त कर चुका है.