जबलपुर: यदि छठ पूजा के मौके पर रेलगाड़ियों में रिजर्वेशन ना मिलने की वजह से आप अपने मूल निवास उत्तर प्रदेश या बिहार नहीं लौट पा रहे हैं तो जबलपुर में भी नर्मदा नदी के तट पर छठ की पूजा कर सकते हैं. जबलपुर में 18 स्थान पर बड़े आयोजन होते हैं. पूरा शहर छठी मैया की पूजा करता हुआ नजर आता है.
जबलपुर एक मेट्रोपलिस शहर है. यहां अंग्रेजों के जमाने से ही उत्तर प्रदेश और बिहार से लोग आकर बसते चले गए. इतिहासकार आनंद राणा बताते हैं कि पहले उत्तर प्रदेश से कुछ लोग व्यापार के सिलसिले में जबलपुर आए. फिर वे यहां के स्थाई निवासी हो गए. अंग्रेजों ने जब जबलपुर में रक्षा विभाग की फैक्ट्रियां शुरू की तो उत्तर प्रदेश और बिहार से बहुत से लोग आकर जबलपुर में बस गए. आज तक यह सिलसिला जारी है. अभी भी नौकरी के सिलसिले में उत्तर प्रदेश और बिहार से लोग जबलपुर आते हैं और फिर यहीं के निवासी हो जाते हैं.
जबलपुर में इन 18 स्थानों पर होगी छठ पूजा (Etv bharat)
नर्मदा नदी तट के ग्वारीघाट पर होता है सबसे बड़ा आयोजन
इसलिए जबलपुर की संस्कृति में उत्तर प्रदेश और बिहार की झलक भी देखने को मिलती है. और छठ पूजा के दिन जबलपुर में माहौल पूरी तरह बिहार और यूपी वाला हो जाता है. उत्तर प्रदेश के निवासी अखिलेश त्रिपाठी बताते हैं कि जबलपुर में 18 स्थान पर छठ पूजा होती है. इनमें सबसे बड़ा आयोजन नर्मदा नदी के तट ग्वारीघाट पर होता है. जहां शाम में सूरज को अर्घ्य देने के बाद सुबह तक लोग घाट पर ही सूर्य के उगने का इंतजार करते हैं. और नर्मदा नदी के तट पर छठी मैया की पूजा की जाती है.
जबलपुर में इन 18 स्थानों पर होगी छठ पूजा (Etv bharat)
नगर निगम करता है इन स्थानों पर बिजली, पानी और प्रकाश की व्यवस्था
इसके अलावा जबलपुर के गढा तालाब, अधारताल तालाब, जीसीएफ फैक्ट्री तालाब, तिलवारा घाट, भीटोली घाट, कालीघाट, गोकलपुर तालाब, गंगासागर तालाब और सुपा ताल तालाब जैसे 18 स्थानों पर छठ पूजा का आयोजन किया जाता है. जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं. जबलपुर जिला प्रशासन यहां सुरक्षा के इंतजाम करता है. और नगर निगम इन सभी स्थानों पर बिजली, पानी और प्रकाश की व्यवस्था करता है. इसलिए जबलपुर के लोग छठ पूजा पर वापस उत्तर प्रदेश और बिहार नहीं जाते. बल्कि जबलपुर में ही इन आयोजनों में हिस्सेदार बनते हैं.