उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

आज से शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व डाला छठ, नहाय खाय के बाद खरना, 7 नवम्बर को होगा अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य

Chhath Puja 2024: नहाय खाय के साथ आज से लोक आस्था का महापर्व छठ प्रारंभ हो गया है.

Etv Bharat
लोक आस्था का महापर्व छठ (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 5 hours ago

वाराणसी: भगवान भास्कर की आराधना का लोकआस्था का महापर्व डाला छठ या सूर्यषष्ठी जो कार्तिक शुक्ल षष्ठी को किया जाता है. इस बार डाला छठ का महापर्व सात नवंबर को किया जायेगा. वास्तव में इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ ही कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है. जो तीन दिवसीय नियम-संयम व्रत के बाद चौथे दिन अरुणोदय काल में भगवान भास्कर को अघ्र्य देकर पारन किया जाता है. देखा जाये तो इस आस्था के लोकमहापर्व की शुरुआत पांच नवंबर से हो रहा है, जो आठ नवंबर को अरुणोदय काल में अर्ध्य के साथ ही समाप्त होगा.

इस बारे में काशी विद्वत परिषद के पूर्व संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया, कि डाला षष्ठी या कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि छह नवंबर को रात 09 बजकर 37 मिनट पर लग रही है, जो सात नवंबर को रात 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगी. वहीं, सात नवंबर को सूर्यास्त सायंकाल 05 बजकर 28 मिनट पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देना होगा. वहीं, आठ नवंबर को प्रात: 06 बजकर 32 मिनट पर सूर्योदय अरुणोदय काल में द्वितीय अर्ध्य के बाद व्रत का पारन होगा.

इस तरह होता है पालन: पंडित ऋषि ने बताया, कि इस व्रत की शुरुआत मंगलवार 5 नवम्बर चतुर्थी को अर्थात, नहाय-खाय वाले दिन से होगी. चूंकि इस व्रत में स्वच्छता का विशेष महत्व होता है, इसलिए प्रथम दिन घर की साफ-सफाई कर, स्नानादि के बाद इस दिन तामसिक भोजन लहसून-प्याज इत्यादि का त्याग कर दिन में एक बार भात (चावल) एवं कद्दू की सब्जी का भोजन कर जमीन पर शयन करना चाहिए. दूसरे दिन छह नवंबर को खरना, अर्थात पचंमी को दिन भर उपवास कर सायंकाल गुड़ से बनी खीर का भोजन किया जाता है. तीसरे प्रमुख दिन, अर्थात डाला छठ सात नवंबर को निराहार रहकर बांस की सूप और डालियों में विभिन्न प्रकार के फल, मिष्ठान, नारीयल, ऋतुफल, ईख आदि रखकर किसी नदी, तालाब, पोखरा एवं बावरी के किनारे दूध तथा जल से अघ्र्य दिया जाता है. और रात जागरण किया जाता है. यह अर्ध्य अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को होता है. दूसरे दिन प्रात: सूर्योदय के समय या अरुणोदय काल में सूर्य देव को अर्ध्य दिया जाता है.

इसे भी पढ़े-लखनऊ में 88 जगह होगी छठ पूजा, मंत्रियों ने देखीं तैयारियां, प्लास्टिक पर रहेगी रोक

संतान की प्राप्ती के लिए होता है व्रत: डाला छठ पर्व व्रतियों के सभी तरह के मनोकामनाओं सहित चातुर्दिक सुख देने वाला है. इस व्रत को सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, प्रभुत्व एवं संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है. डाला छठ की महत्ता और व्रतों की अपेक्षा इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि भगवान भास्कर के लिए प्राय: व्रत संतान प्राप्ति के लिए होते हैं. जिसमें, प्रत्यक्ष देव सूर्य देव की पूजा होती है, लेकिन डाला छठ पर भगवान भास्कर की दोनों पत्नियां ऊषा-प्रत्युषा सहित छठी मईया का भी पूजन भगवान आदित्य के साथ होता है. सब मिलाकर सूर्योपासना की परम्परा हमारे यहां वैदिक काल से होती आ रही है. जिसका वर्णन प्राय: वेद एवं पुराणों में भरा पड़ा है.

कानपुर में छठ पर्व को लेकर सजने लगे घाट और नहर:देशभर में छठ पूजा के पावन पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है. कानपुर में भी इस त्योहार को लेकर लोगों के बीच काफी ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है. छठ के इस पर्व को लेकर शहर में कई जगह पर घाटों पर भी नगर निगम ने सफाई का काम शुरू कर दिया है. इसके साथ ही लोगों ने भी घाटों के किनारे अलग-अलग प्रकार की रंग बिरंगी वेदियां बनाना शुरू कर दिया हैं.

लखनऊ: अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की ओर से आयोजित 40 वां छठ पूजा महापर्व 7 और 8 नवंबर को छठ घाट लक्ष्मण मेला मैदान गोमती तट पर होगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभु नाथ राय ने बताया, कि 7 नवंबर को सायंकाल 5 बजे मुख्य अतिथि योगी आदित्यनाथ छठ घाट, लक्ष्मण मेला मैदान, गोमती तट लखनऊ पर आकर अर्ध देंगे और विधिवत छठ पूजा कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे.

यह भी पढ़े-महाकुंभ 2025: लाव लश्कर के साथ शाही अंदाज में जूना अखाड़े ने किया नगर प्रवेश

ABOUT THE AUTHOR

...view details