चंडीगढ़: चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. चंडीगढ़ मेयर चुनाव रद्द करने की मांग को लेकर आम आदमी पार्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. चंडीगढ़ सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर कांग्रेस की याचिका पर शुक्रवार, 9 फरवरी को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई.
चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी: कांग्रेस की याचिका पर आज पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी चुनावों का बायकॉट करती है तो चंडीगढ़ प्रशासन को भुगतान (Pay) करना होगा. कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी किया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 26 फरवरी को होगी. मेयर चुनाव को लेकर लगी याचिका के साथ ही 26 फरवरी को डिप्टी में और सीनियर डिप्टी मेयर मामले में भी सुनवाई होगी.
क्या कहते हैं कांग्रेस याचिकाकर्ता के वकील: इस मामले में कांग्रेस के गुरप्रीत सिंह और निर्मला देवी की ओर से पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के वकील कर्मबीर सिंह ने कहा 'सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनावों करवाने की जिम्मेदारी मेयर की होती है. जब मेयर का चुनाव ही सही तरीके से नहीं हुआ है तो वह कैसे सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर को चुन सकते हैं. इसके अलावा प्रीसाइडिंग ऑफिसर अनिल मसीह, जिन्होंने सही से चुनाव नहीं करवाए, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने चुनाव सही ढंग से करवाने के आदेश चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम को दिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए उनके खिलाफ अवमानना याचिका (Contempt Petition) दायर होनी चाहिए.'
चंडीगढ़ प्रशासन के वकील की दलील: इस मामले पर चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी किया गया है. इस पर चंडीगढ़ प्रशासन के वकील अनिल मेहता ने कहा 'जब एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में है तो इस याचिका का कोई भी औचित्य नहीं है क्योंकि इस मामले में इन्होंने प्रीसाइडिंग ऑफिसर को भी उत्तरदाता बनाया है जबकि इन चुनाव से प्रीसाइडिंग ऑफिसर का कोई लेना-देना नहीं है. प्रशासन ने कोई ढील नहीं बरती. सही तरीके से चुनाव कराए गए हैं. ऐसे में किसी भी तरीके से कोई भी कंटेम्प्ट नहीं हुआ है.'