पटना: चैत मास के शुक्ल पक्ष में कई अहम पर्व-त्योहार होंगे. इसमे चैत नवरात्र का आरंभ, चैती छठ, रामनवमी, कामदा एकादशी वत, चैत पूर्णिमा प्रमुख है. चैत शुक्ल प्रतिपदा नौ अप्रैल यानी मंगलवार को रेवती नक्षत्र व वैधृति योग में हिंदू नव संवत्सर का आरंभ और चैत नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू होगा. नये संवत के प्रथम दिन मंगलवार होने से इस वर्ष के राजा मंगल होंगे.
जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्तः चैत नवरात्रि की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी. इस नवरात्र में मां के नौ स्वरूप की पूजा होती है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 7:30 से लेकर की 8:45 तक है. अभिजीत मुहूर्त में 12:15 से लेकर की 1:05 तक कलश स्थापना भी किया जा सकता है.
चैत्र नवरात्र की पूजा: 09 अप्रैल घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा. 10 अप्रैल - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, 11 अप्रैल-मां चंद्रघंटा की पूजा' 12 अप्रैल-मां कुष्मांडा की पूजा, 13 अप्रैल- मां स्कंदमाता की पूजा, 14 अप्रैल - मां कात्यायनी की पूजा, 15 अप्रैल- मां कालरात्रि की पूजा, 16 अप्रैल - मां महागौरी की पूजा, 17 अप्रैल - मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी,
" 9 अप्रैल मंगलवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. नवरात्रि में नौ दिनों तक मां के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ होती है.नवरात्र में बहुत सारे भक्त 9 दिन फलहार पर रहते हैं. ऐसे में जो भक्त कलश स्थापना करके माता रानी की पूजा-अर्चना करते हैं. उनको लहसुन प्याज नहीं खाना चाहिए. दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ नित्य दिन करना चाहिए."- मनोज मिश्रा, आचार्य
कैसे करें कलश स्थापना: कलश स्थापना से पहले अपने घर को साफ सुथरा करे. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा की शुरुआत करें. माता रानी का पूजा आरंभ करने से पहले गंगा की मिट्टी या शुद्ध जगह की मिट्टी रखकर मिट्टी पर एक कलश रखे.