रायपुर : सीबीआई ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी ने दिशा-निर्देशों में फेरबदल किया. इतना ही नहीं टामन सिंह ने सीजीपीएससी-2021 परीक्षा के प्रश्नपत्र अपने दो भतीजों के साथ पहले ही साझा कर दिए, जिससे राज्य सेवाओं में उनके चयन में आसानी हो गई.
रायपुर की विशेष अदालत में आरोप पत्र पेश : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 16 जनवरी को कथित सीजीपीएससी घोटाले में अपना पहला आरोप पत्र रायपुर की एक विशेष अदालत में दायर किया था. इस आरोप पत्र में पूर्व अध्यक्ष सोनवानी और छह अन्य का नाम शामिल है. यह घोटाला पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान प्रकाश में आया था.
पूर्व अध्यक्ष ने दिशानिर्देशों में किया बदलाव : सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, 14 जुलाई 2021 की एक बैठक में तमन सिंह सोनवानी ने दिशानिर्देशों में बदलाव किया. जिसमें ‘रिश्तेदार’ शब्द को ‘परिवार’ से बदल दिया और ‘भतीजे’ शब्द को बाहर करने के लिए ‘परिवार’ की परिभाषा को संशोधित किया. ताकि अपने भतीजों की मदद की जा सके, जिन्हें सीजीपीएससी 2021 की परीक्षा देनी थी. परीक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि सीजीपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों का कोई करीबी रिश्तेदार या परिवार का सदस्य परीक्षा देता है, तो पदाधिकारी स्वयं को चयन प्रक्रिया से दूर रखेंगे.
आरोप पत्र में कहा गया है कि उस वर्ष, मेसर्स एकेडी प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड के अरुण द्विवेदी को नियुक्ति निकाय की तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक ने सीजीपीएससी राज्य सिविल सेवा परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा के लिए दो प्रश्नपत्र तैयार करने का निर्देश दिया था. उन्हें प्रश्नपत्र तैयार करने और प्रश्नपत्रों का संशोधन करने का ठेका दिया गया था.
इन आरोपियों की गिरफ्तारी : अन्य आरोपी व्यक्ति सोनवानी के भतीजे नितेश सोनवानी और साहिल सोनवानी, सीजीपीएससी के तत्कालीन उप नियंत्रक परीक्षा ललित गणवीर, श्री बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड के निदेशक श्रवण कुमार गोयल, उनके बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार हैं. सभी सातों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
सीजीपीएससी 2021 घोटाला : 16 नवंबर 2021 को विभिन्न श्रेणियों में 171 पदों को भरने के लिए सीजीपीएससी 2021 परीक्षा का विज्ञापन प्रकाशित किया गया था. भर्ती निकाय को 1,29,206 उम्मीदवारों से आवेदन प्राप्त हुए. इसके बाद 2020-2022 की अवधि के दौरान सीजीपीएससी परीक्षाओं में कथित गड़बड़ी की शिकायत सामने आई. आरोप लगाया गया कि परीक्षा के जरिए डिप्टी कलेक्टरों, पुलिस उपाधीक्षकों और अन्य वरिष्ठ सरकारी पदों के चयन में कथित पक्षपात किया गया. इसे लेकर राज्य में दर्ज दो मामलों की जांच अप्रैल में केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने अपने हाथ में ली थी.
ऐसे किया गया प्रश्न पत्रों का हेरफेर : सीबीआई के अनुसार, एकेडी प्रिंटर्स ने दोनों प्रश्नपत्रों के अंतिम मसौदे तैयार किए और उन्हें सीलबंद लिफाफे में समीक्षा के लिए वासनिक के पास भेजा. इन्हें फर्म के एक विशेष संदेशवाहक महेश दास के माध्यम से जनवरी 2022 में भेजा गयाा. बाद में दास ने वासनिक के घर से एक सीलबंद लिफाफा लिया, जहां एक अन्य व्यक्ति, जिसकी बाद में पहचान तमन सिंह सोनवानी के रूप में हुई, मौजूद था.