कानपुर :राष्ट्रीय शर्करा संस्थान से पढ़ाई करने वाले छात्र अब बायोफ्यूल्स के क्षेत्र में भी सारी जानकारियां हासिल कर सकेंगे. संस्थान में इसके लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेगा. जिसमें आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ अपनी मदद देंगे. केंद्र सरकार की ओर से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए वित्तीय स्वीकृति भी दे दी गई है. एनएसआई में आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल, संयुक्त सचिव शर्करा अश्वनी श्रीवास्तव व निदेशक एनएसआई डाॅ. सीमा परोहा की मौजूदगी में करार हुआ.
इस मौके पर निदेशक एनएसआई डाॅ. सीमा परोहा ने कहा कि अगले चरण में केंद्रीय और राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित संस्थानों, विश्वविद्यालयों और अन्य संगठनों, उद्योगों से भी प्रस्ताव लिए जाएंगे. इस सहयोगात्मक अनुसंधान कार्य में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा बायोमास से ईथेनाल, मीथेनाल, बायो-सीएनजी, एविएशन फ्यूल (विमानीय ईंधन), ग्रीन हाइड्रोजन इत्यादि के उत्पादन को बढ़ाने पर विस्तार से अध्ययन किया जाएगा.
फिलहाल तीन साल के लिए करार : डाॅ. सीमा परोहा ने कहा कि फिलहाल करार तीन वर्षों के लिए किया गया है. अगर जरूरत पड़ी तो हम समयावधि बढ़ा देंगे. आईआईटी कानपुर के निदेश प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर इस संबध में बाजारगत स्थिति एवं तकनीकी आवश्यकताओं को भलीभांति समझते हुए, इस क्षेत्र में लगभग 60 वर्षों से कार्यरत है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के पास रसायन एवं अन्य संबंधित तकनीकी में आधारभूत क्षमता है. इसका उद्देश्य जैव ईंधन के क्षेत्र में भारत को नेतृत्व की स्थिति में लाने में सहयोग करने के लिए अत्याधुनिक विशिष्ट केंद्र निर्मित किए जाने हेतु दोनों संस्थाओं की शक्ति को एकीकृत करना है.