रायपुर: शिक्षा विभाग ने 2025 से 5वीं और 8वीं के लिए बोर्ड एग्जाम लेने का ऐलान किया है. शिक्षा विभाग के ऐलान के बाद सीबीएसई पैटर्न पर चलने वाले प्राइवटे स्कूलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. प्राइवेट स्कूलों कहना है कि उनके स्कूलों में अब तक सीबीएसई पैटर्न से ही पढ़ाया जा रहा है. शिक्षा विभाग की ओर से जो पांचवी और आठवीं बोर्ड की परीक्षा ली जाएगी उसमें पढ़ाई का पैटर्न छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग का होगा. ऐसे में बच्चे यह परीक्षा कैसे पास करेंगे ये बड़ी बात होगी.
हाई कोर्ट पहुंचे प्राइवेट स्कूल: प्राइवेट स्कूलों की दलील है कि शिक्षा विभाग के इस पैटर्न पर सीबीएसई स्कूल के बच्चे ना तो परीक्षा दे सकेंगे, न ही सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूल उन्हें इतनी जल्दी छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग का कोर्स पूरा करा पाएगी. यही कारण है की शिक्षा विभाग के इस फरमान के बाद सीबीएसई पैटर्न वाले स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का भविष्य अधर में लटक सकता है. सबके सामने अब सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर ये पांचवी और आठवी के बच्चे बोर्ड परीक्षाएं कैसे देंगे.
5वीं और 8वीं बोर्ड की परीक्षा कैसे होगी: अपनी शिकायतों को लेकर निजी स्कूल हाई कोर्ट पहुंच गए हैं. कोर्ट में सुनवाई के बाद स्थिति स्पष्ट होगी कि पांचवी और आठवीं की बोर्ड परीक्षा होगी या नहीं. यदि कोर्ट का फैसला स्कूल के पक्ष में आया तो सरकार को अपने फैसले में बदलाव करना होगा. यदि फैसला प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ में आया तो स्कूल इस विषय को लेकर आगे की रणनीति क्या बनाएगा ये भी देखने वाली बात होगी.
क्या कहते हैं निजी स्कूल: निजी स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि प्रदेश में करीब 8000 ऐसे निजी स्कूल हैं जहां सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई हो रही है. इनमें लगभग दो लाख से ज्यादा छात्र पांचवी और आठवी में पढ़ रहे हैं. ये सभी स्कूल छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त हैं. अब विभाग की ओर से निजी स्कूलों पर यह परीक्षा जबरदस्ती थोपी जा रही है. सत्र के बीच में विभाग पैटर्न नहीं बदल सकते हैं ये मजबूरी है.
शिक्षा विभाग पर मनमानी की आरोप: निजी स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि विभाग ने हमें सीसी मूल्यांकन पैटर्न में पढ़ने की मान्यता दी. हमने यह लिख कर दिया है और हमसे पूछा गया था कि क्या कोई बोर्ड परीक्षा देना चाहता है तो हमने इसे साफ इनकार कर दिया था. हमने कहा था कि हम बोर्ड परीक्षा नहीं देना चाहते. लेकिन इसी बीच 31 दिसंबर को एक आदेश आया जिसके तहत पांचवी आठवी की बोर्ड परीक्षाएं होंगी और पूरे सिलेबस में एग्जाम होंगे. फैसले से छात्र और पेरेंट्स दोनों परेशान हैं.
कोर्ट का खटखटाया दरवाजा: शिक्षा विभाग के फैसले को लेकर राजीव गुप्ता ने कहा कि हमारी मांग को विभाग ने ठुकरा दिया. जिसके बाद हम हाई कोर्ट गए. यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है. 17 फरवरी सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई है. प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि शिक्षा विभाग की हठधर्मिता के कारण विद्यार्थी, पालक और स्कूल प्रबंधन परेशान हैं.
निजी स्कूलों की दलील: वहीं सीबीएसई स्कूल में पढ़ाई के पैटर्न को लेकर राजीव गुप्ता ने कहा कि हमारे पास हाई कोर्ट का एक निर्णय था, जिसमें कहा गया था कि यदि निजी स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें चलाते हैं तो उन पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती क्योंकि शिक्षा विभाग का सिलेबस काफी पुराना है. इसलिए हम एनसीईआरटी या फिर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें बच्चों को पढ़ा रहे थे. यह सिलेबस उनसे अच्छा है.