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लॉकअप में हुई थी सूरज की मौत, फोन रिकॉर्डिंग से पोल खुली तो CBI ने गिरफ्त में लिए थे IG व DSP रैंक के अफसर - SURAJ CUSTODIAL DEATH CASE

सूरज कस्टोडियल डेथ में आईजी रैंक के साथ डीएसपी रैंक के अफसर की संलिप्तता रही थी, जानिए कैसे इस पूरे मामले का खुलासा हुआ था.

सूरज कस्टोडियल डेथ केस
सूरज कस्टोडियल डेथ केस (फाइल)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 19, 2025, 2:37 PM IST

शिमला: चंडीगढ़ में सीबीआई की अदालत में न्यायमूर्ति अलका मलिक ने शनिवार 18 जनवरी को हिमाचल कैडर के आईपीएस जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी सहित एसएचओ व अन्य को कस्टोडियल डेथ मामले में दोषी करार दिया. इन सभी को 27 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी. एक साधनहीन व निर्दोष नेपाली श्रमिक की कस्टडी में हत्या कर दी गई थी.

हैरतअंगेज है कि इसमें आईजी रैंक के साथ ही डीएसपी रैंक के अफसर की संलिप्तता रही. जैसे ही केस सीबीआई के पास आया, जांच एजेंसी ने कस्टडी के दौरान ही मारे गए सूरज की लाश का अंतिम संस्कार न करने के निर्देश जारी किए गए थे. फिर अचानक से सीबीआई ने आईजी जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी व अन्य को गिरफ्तार कर लिया. यहां पाठकों को जिज्ञासा होगी कि आखिर ऐसे क्या सबूत थे जो सीबीआई ने आईजी रैंक के अफसर पर हाथ डाला. जरूर वो सबूत ऐसे होंगे, जिन्हें अदालत में आसानी से साबित किया जा सकता होगा. यहां जानते हैं कि कैसे गिरफ्त में आए आईजी जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी व अन्य पुलिस कर्मी.

आठ साल पहले का मामला

जुलाई 2017 में ऊपरी शिमला के कोटखाई के हलाइला इलाके के दांदी जंगल में एक स्कूल छात्रा की लाश मिली. ये छात्रा 4 जुलाई को स्कूल से घर जाने के लिए निकली थी, लेकिन घर नहीं पहुंची. परिजनों ने तलाश शुरू की तो छह जुलाई को उसका निर्वस्त्र शरीर दांदी के जंगल में मिला. इस जघन्य घटना पर जनता का गुस्सा फूटा. तत्कालीन सरकार ने आईजी रैंक के अफसर जहूर जैदी की अगुवाई में एसआईटी गठित की. एसआईटी ने जांच शुरू की और कुछ लोगों को पकडऩे के बाद दावा किया कि उसने केस सॉल्व कर लिया है. इसी दौरान पकड़े गए कथित आरोपियों में से एक सूरज की कोटखाई थाने की कस्टडी में मौत हो गई. जनता को पहले से ही पुलिस जांच पर शक था. नाराज जनता ने भारी प्रदर्शन किया और कोटखाई थाने को आग के हवाले कर दिया.

सीबीआई के पास जांच पहुंचने से पहले एसआईटी प्रमुख जैदी सूरज की मौत को दो कथित आरोपियों के बीच हवालात में मारपीट में बदलने में जुटी थी. झूठा मामला बना दिया गया था. यहां तक कि सूरज की लाश को अंतिम संस्कार के लिए लाया गया और जल्दबाजी में संस्कार करने का प्रयास किया गया. उधर, सीबीआई ने निर्देश जारी किया था कि सूरज के पार्थिव शरीर को न जलाया जाए क्योंकि उसे अपने तरीके से पोस्टमार्टम करवाना है. सीबीआई ने एम्स दिल्ली की टीम से पोस्टमार्टम करवाया. रिपोर्ट में सामने आया कि सूरज की मौत अत्याधिक पिटाई से हुई है. यहां आईजी जैदी ने जो जल्दबाजी दिखाते हुए झूठी कहानी गढऩे का प्रयास किया, वही उनके गले की फांस बन गया.

फोन रिकार्डिंग बनी पक्का सबूत

एक नाबालिग लड़की का दुष्कर्म के बाद कत्ल हो जाने पर सरकार भी जन दबाव झेल रही थी. एसआईटी के समक्ष भी जल्दी केस को सॉल्व करने की चुनौती थी. इसी जल्दबाजी में एक ऐसी कहानी गढ़ी गई, जिसका अंजाम सबके सामने है. आईजी जहूर जैदी अपने फोन में की गई एक रिकॉर्डिंग की वजह से सीबीआई के रडार पर आए. पुलिस की एसआईटी ने गुडिय़ा रेप एंड मर्डर केस में सूरज नामक नेपाली श्रमिक को भी पकड़ा था. कोटखाई थाने में 18 जुलाई 2017 की रात सूरज की पिटाई की गई, जिससे उसकी मौत हो गई. उस समय डीएसपी मनोज जोशी ने कोटखाई थाने के एसएचओ राजेंद्र सिंह सिंह के साथ मिलकर इसे हवालात में बंद कैदियों के आपसी झगड़े की शक्ल देने का प्रयास किया.

थाने में नाइट ड्यूटी पर कांस्टेबल दिनेश संतरी के रूप में तैनात था. पिटाई मामले में दिनेश एकमात्र चश्मदीद था. दिनेश ने इस झूठ में शामिल होने से इनकार कर दिया. फिर अगले दिन यानी 19 जुलाई को आईजी जहूर जैदी कोटखाई थाने पहुंचे और खुद के मोबाइल से दिनेश का बयान रिकार्ड किया. यहीं पर आईजी जैदी ने एक चालाकी की. उन्होंने इस रिकॉर्डिंग को जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं किया. जैदी ने एक झूठी शिकायत पर दिनेश के हस्ताक्षर करवाए गए. जबरन साइन करवाने के दौरान उसे सस्पेंड करने की धमकी भी दी गई. दिनेश के नाम से इसी शिकायत पर कथित रूप से आरोपी राजेंद्र उर्फ राजू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान बाद में आईजी जैदी का फोन जब्त किया था और फोन में सीबीआई को दिनेश की रिकार्डिंग मिल गई.

सीबीआई के पास पहुंचा कांस्टेबल दिनेश

दिनेश इस हाई प्रोफाइल इन्वाल्वमेंट का दबाव झेल नहीं पाया. घबराए दिनेश ने अपने परिजनों से बात की और वे उस समय भाजपा के विधायक बलवीर वर्मा से मिले. दिनेश को सीबीआई के पास जाकर सब बताने में ही भलाई लगी. सीबीआई ने दिनेश के फोन में कॉल रिकॉर्डिंग वाला फीचर सक्रिय कर दिया. यहीं से जहूर जैदी का फंसना शुरू हो गया. दिनेश के फोन में आईजी जैदी की एक कॉल रिकॉर्ड हुई, जिसमें वो दिनेश को चुप रहने और मामला संभाल लेने को कह रहे थे. बस, इसके बाद सीबीआई ने तत्कालीन डीजीपी सोमेश गोयल को सब मामला बताया और फिर आईजी जैदी सहित डीएसपी मनोज जोशी व अन्य को पकड़ लिया. एसआईटी में शिमला के तत्कालीन एएसपी भजन नेगी ने भी सीबीआई को गवाही दी थी कि आईजी जहूर जैदी व डीएसपी मनोज जोशी कथित रूप से पकड़े गए आरोपियों से जबरन ये बयान लेना चाहते थे कि गुडिय़ा के साथ उन्होंने ही दुष्कर्म किया है.

हाईकोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में सारे तथ्य

यहां दिए गए तथ्य हाईकोर्ट में दाखिल जहूर हैदर जैदी वर्सेस सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ऑन 19 जनवरी 2018 के दस्तावेज में है. दरअसल, जब केस सीबीआई के पास आया तो शिमला की एसपी सौम्या सांबशिवन थी. गुडिय़ा रेप एंड मर्डर केस सामने आने के बाद सौम्या को डीडब्ल्यू नेगी की जगह एसपी बनाया गया था. शिमला के डीसी रोहन चंद ठाकुर थे. तय नियमों के अनुसार डीसी ही जिला मजिस्ट्रेट भी होते हैं. कस्टडी में डेथ हुई थी और सूरज की लाश का पोस्टमार्टम आईजीएमसी में हो चुका था.

उधर, आईजी जैदी व डीएसपी मनोज जोशी जल्दबाजी में थे. वे चाहते थे कि सूरज की लाश का संस्कार हो जाए तो सबूत ही नहीं रहेगा. डीएसपी मनोज जोशी ने सूरज की लाश को जलाने के निर्देश दिए. एसपी सौम्या ने तय नियमों के अनुसार सीबीआई के संज्ञान में ये बात लाने का फैसला लिया. सीबीआई की टीम ने कहा कि सूरज की पार्थिव देह ही नहीं रहेगी तो केस में क्या करेंगे. सीबीआई ने एम्स की टीम से फिर से पोस्टमार्टम करवाया. पोस्टमार्टम में पिटाई से मौत के कई बिंदु दर्ज किए गए. बहरहाल, अब आईजी जहूर जैदी व डीएसपी मनोज जोशी सहित अन्य पुलिस कर्मियों को 27 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी.

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