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ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में पूर्व MLC को मिली बड़ी राहत, MP-MLA कोर्ट ने खारिज की CBI की चार्जशीट - Brahmeshwar Mukhiya Murder Case - BRAHMESHWAR MUKHIYA MURDER CASE

Ara MP MLA Court: ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में एलजेपीआर चीफ चिराग पासवान के करीबी और पूर्व विधान पार्षद हुलास पांडेय को बड़ी राहत मिली है. आरा एमपी एमएलए कोर्ट ने उनके खिलाफ दाखिल सीबीआई की चार्जशीट को खारिज कर दिया है.

BRAHMESHWAR MUKHIYA MURDER CASE
BRAHMESHWAR MUKHIYA MURDER CASE

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 24, 2024, 12:35 PM IST

आरा: बिहार के बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में 10 साल बाद 16 दिसंबर 2023 को सीबीआई ने आरा सिविल कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी. सीबीआई ने इस हत्याकांड हुलास पांडेय सहित 8 लोगों को आरोपी बनाया है. हुलास पांडेय को नामजद अभियुक्त बनाए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी काफी तेज हो गई थी लेकिन अब इस मामले में आरा की एमपी एमएलए विशेष अदालत ने सीबीआई की चार्जशीट को खारिज कर दिया है.

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ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में हुलास पांडेय को राहत: दरअसल, सूबे के चर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय सहित अन्य आरोपितों को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. आरा की एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने इस मामले में सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट खारिज कर दी है. हत्याकांड के आरोपित रितेश सिंह उर्फ मोनू सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआई की चार्जशीट खारिज कर दी है.

सीबीआई को लगा बड़ा झटका:जानकारी के अनुसार कोर्ट ने केस में ट्रायल शुरू होने के बाद बिना अदालत के आदेश के सीबीआई की ओर से अनुसंधान करने को गलत माना है. कोर्ट के इस फैसले से जहां पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय सहित अन्य आरोपितों को राहत मिली है, वहीं सीबीआई को बड़ा झटका लगा है. अब इस मामले में पूर्व से चल रहे ट्रायल के आधार पर आगामी 30 अप्रैल को सुनवाई होगी. इस बात की जानकारी एपीपी सियाराम सिंह की ओर से यह जानकारी दी गई.

आवास से कुछ ही दूरी पर मारी गोली:मालूम हो कि 1 जून, 2012 को आरा के नवादा थाना क्षेत्र के कतीरा मोहल्ला स्थित ब्रह्मेश्वर मुखिया के आवास से कुछ ही दूरी पर उनकी 6 गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड के बाद मुखिया समर्थकों में काफी आक्रोश भी भड़का था और आरा से लेकर पटना तक उनके शवयात्रा में शामिल समर्थकों ने प्रतिशोध की भावना से जगह-जगह हिंसा और आगजनी भी की थी. तत्कालीन सरकार ने इस बहुचर्चित हत्याकांड के एक साल यानी 2013 में निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को यह केस सौंपा था.

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देसी पिस्तौल से चली थी गोली: याद दिलाएं कि ब्रह्मेश्वर मुखिया को मारी गई सभी गोलियां देसी पिस्तौल से चलाई गई थी. उनकी हत्या से संबंधित एफआईआर आरा के नवादा थाने में दर्ज कराई गई थी. उस एफआईआर में आपराधिक षड्यंत्र और अन्य संगीन धाराएं लगाते हुए अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज कराया गया था. सीबीआई ने एक पोस्टर जारी कर ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड से जुड़े सुराग और जानकारी देने पर 10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी.

हुलास पांडेय को छोड़ना पड़ा था पद: इस मामले में पिछले साल दिसंबर में जब सीबीआई के चार्जशीट में हुलास पांडेय का नाम आया था, तब उनको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई थी. जिसके बाद 18 दिसंबर को उन्होंने एलजेपीआर के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. वह विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं.

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हुलास पांडेय ने क्या बोला था?:हुलास पांडेय ने सीबीआई की चार्जशीट में अपना नाम आने पर सफाई देते हुए इसे राजनीतिक साजिश बताया था. उन्होंने कहा था, 'राजनीतिक षडयंत्र के तहत मेरा नाम जोड़ा गया है. सीबीआई से मेरा कोई विरोध नहीं है लेकिन जरूर कोई अधिकारी है, जो मेरे विरोधी दल से जुड़े हैं. मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. मैं फिलहाल अपनी पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं ताकि कोई यह न बोले कि आरोप लगने के बाद भी मैं पद पर बैठा हुआ हूं.'

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