नई दिल्ली: दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएसएलएसए) ने शनिवार को वर्ष की चौथी और अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न न्यायिक मुद्दों के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया गया. इस अवसर पर दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने तीस हजारी कोर्ट का दौरा किया और लोक अदालत के आयोजनों की व्यवस्था का जायजा लिया. उनके साथ इस कार्य में प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय गर्ग और विनोद कुमार, डीएसएलएसए के सदस्य सचिव राजीव बंसल, तथा अन्य सचिव भी उपस्थित थ.
इस राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने पीठासीन अधिकारियों और एसोसिएट सदस्यों के साथ सक्रिय चर्चा में भाग लिया. उन्होंने विशेष रूप से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, एसिड अटैक सरवाइवर्स और वरिष्ठ नागरिकों की भूमिका की सराहना की और उनके द्वारा कानूनी प्रणाली में किए गए अमूल्य योगदान को मान्यता दी. यह पहल न केवल कानूनी साक्षरता को बढ़ावा देती है बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय सेवाएं सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होती है.
विवाद समाधान का एक सशक्त मंच:राजीव बंसल ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय लोक अदालत विवाद समाधान, सुलह और सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए एक विशिष्ट मंच के रूप में कार्य करती है. उन्होंने बताया कि यह प्रयास एक ऐसी कानूनी प्रणाली विकसित करने के लिए हमारी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है जो न केवल निष्पक्ष और न्यायपूर्ण है, बल्कि सभी वर्गों के लिए सहज सुलभ भी है.
मामलों का निस्तारण:इस बार की राष्ट्रीय लोक अदालत में 352 पीठों का गठन किया गया. कुल 2,79,496 मामले निस्तारण के लिए भेजे गए थे, जिनमें ट्रैफिक चालानों से संबंधित मामलों की संख्या प्रमुख रही. 1,80,000 नोटिस वाले ट्रैफिक चालान और विभिन्न न्यायालयों के 66,026 मामले शामिल थे. इसके अलावा, दिल्ली उच्च न्यायालय, ऋण वसूली न्यायाधिकरण, उपभोक्ता मंचों और स्थायी लोक अदालतों में 30,518 मुकदमे-पूर्व मामले और 2,212 मामले भी निपटाने के लिए प्रस्तुत किए गए.