पटना: बिहार में अभी नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में कुल 30 मंत्री हैं. इनमें से 10 मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं. 10 में से 6 मंत्री भाजपा के हैं. मुख्यमंत्री सहित जदयू के तीन और हम के एक मंत्री हैं. मुख्यमंत्री के पास पांच विभाग है तो कुछ मंत्रियों के पास तीन विभाग. राजनीति के जानकारों का मानना है कि एक से अधिक विभाग यदि एक मंत्री के पास हो तो उसकी कार्य क्षमता पर असर पड़ना तय है विकास योजनाओं पर भी इसका असर होता है.
"निश्चित रूप से यदि मंत्री के पास अधिक विभाग हो तो इसका असर पड़ता है. ब्यूरोक्रेसी पर काम को लेकर दबाव नहीं बनता है. मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने के कुछ राजनीतिक परिस्थितियों भी होती हैं. इस वजह से मंत्रिमंडल में कुछ सीटों को खाली रखा जाता है."- अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक
ओवरब्रिज का काम 6 माह से ठपः पिछले दिनों एक दर्जन से अधिक पुल गिरने की घटनाएं हुई उसके बाद पथ निर्माण विभाग सक्रिय हुआ और बिहार में 30 मीटर से अधिक 1500 से अधिक पुलों का सर्वे हुआ. एक दर्जन से अधिक पुल अभी तक ऐसे मिले हैं जो जर्जर हालत में है. इन पुलों को लेकर विभाग की तरफ से अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. राजधानी पटना की बात करें तो करबिगहिया में बन रहा ओवरब्रिज कई सालों से पूरा नहीं हुआ है. पिछले 6 महीने से ब्रिज का काम पूरी तरह से ठप पड़ा है.
छोटी से छोटी योजना प्रभावितः इनकम टैक्स के नजदीक मंदिरी नाले पर सड़क निर्माण का काम लटका पड़ा है. पहले नितिन नवीन के समय काम शुरू हुआ फिर तेजस्वी यादव को पथ निर्माण विभाग की जिम्मेदारी मिली तो टेंडर रद्द कर दिया गया, फिर से काम शुरू हुआ और अब विजय सिन्हा के समय भी छह माह से काम बहुत आगे नहीं बढ़ा है. यह सब उदाहरण पटना के हैं, अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण इलाकों में क्या स्थिति होगी. छोटी से लेकर बड़ी योजनाओं पर असर दिख रहा है.