सरगुजा : अम्बिकापुर शहर की आबादी धीरे-धीरे करके बढ़ रही है. लेकिन जिस तरीके से आबादी बढ़ रही है,उतनी तेजी से शहर का विकास नहीं हो पाया है. शहर में वाहनों का दबाव बढ़ता जा रहा है.जिसके लिए बायपास सड़क की मांग उठी थी.इसे लेकर सरकार ने फंड जारी किया और लेकिन अब तक काम शुरु नहीं हुआ.लेकिन अब तक बायपास का सपना अधूरा है.जिसकी वजह से आए दिन सड़क में भारी वाहनों के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं.
शहर के बीच दौड़ रहे भारी वाहन :अंबिकापुर शहर में रिंग रोड के आसपास स्कूल के टाइम में या तो बच्चे जाम के कारण स्कूल देर से पहुंचते हैं. या फिर वापसी में उन्हें घर पहुंचने में देरी हो जाती है. इतना ही नहीं भारी वाहनों के कारण शहर में पैदल यात्री, ऑटो, दोपहिया और फोर व्हीलर वाहन चालकों को अपनी जान का डर सताता रहता है. फिर भी वर्षों से स्वीकृत बाईपास का काम अब तक शुरू नहीं हो सका है.
10 साल में बाहरी सड़क शहर के अंदर समाई :अम्बिकापुर वो शहर है जहां पड़ोसी राज्यों से तेजी से लोग पलायन करके आते हैं. काम धंधे की तलाश में आए लोग यहीं बस जाते हैं.यही कारण है कि इस शहर का स्वरूप बहुत तेजी से बढ़ रहा है. 2017 में 11 किलोमीटर की रिंग रोड बनाई गई, जिससे ये लगा कि ट्रैफिक का बढ़ाव कम होगा.लेकिन कुछ ही वर्षों में रिंग रोड भी बीच शहर का हिस्सा बन गई. अब इस रिंग रोड से भारी वाहन गुजरते हैं और लोग इनसे परेशान हो रहे हैं.
2016 में बायपास का निकला था टेंडर :2016 में नेशनल हाइवे 43 के टेंडर के समय ही 21 किलोमीटर की बाईपास सड़क भी स्वीकृत की गई थी. लेकिन अब तक इस सड़क का काम शुरू नहीं हो सका है. इसके अतिरिक्त 2022 में एक और बाईपास सड़क नेशनल हाइवे 343 को जोड़ने के लिए 14 किलोमीटर की स्वीकृत हो गई. लेकिन दोनों ही बाईपास सड़क का काम अधर में लटका हुआ है. भारत सरकार के राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग ने एनएच 43 पर अंबिकापुर से पत्थलगांव के बीच 95.791 किमी लम्बी सड़क निर्माण का टेंडर वर्ष 2016 में हुआ था. इस सड़क में 21 किमी की सड़क बाईपास के रूप में शामिल की गई थी. निर्माण के लिए टेंडर जीवीआर कंपनी को दिया गया था.लेकिन निर्माण शुरू होने के बाद कंपनी काम नहीं कर पाई और खुद को एनपीए डिफ़ॉल्ट घोषित करा लिया.
किसके जिम्मे है बायपास का काम :इसके बाद केंद्र सरकार ने कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को टेकओवर करते हुए एनसीएलटी के तहत निर्माण का जिम्मा तिरुपति बालाजी कम्पनी लिमिटेड को दिया गया था. अब एनएच 43 की मुख्य सड़क का काम लगभग पूरा हो रहा है. लेकिन पूर्व के ठेकेदार की लापरवाही के कारण बाईपास का काम अटका है. निर्माण में हुई देरी और लागत में वृद्धि होने के बाद भारत सरकार ने नए सिरे से बाईपास सड़क के लिए राशि जारी कर टेंडर करने का निर्णय लिया था. एनएच विभाग ने 21 किमी से अधिक लम्बी बाइपास सड़क के लिए कुल 165 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया. इस टेंडर की प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया गया है.जिसका काम टीबीसीएल कंपनी करेगी.
दो बायपास का होना है निर्माण :जिले और संभाग में कुल 35 किमी बाईपास बीटी और सीसी सड़क का निर्माण किया जाना है. राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग एनएच 43 के कुल 21.200 किमी सड़क का निर्माण 165 करोड़ की लागत से कराया जाएगा. इस सड़क के निर्माण का टेंडर टीबीसीएल कम्पनी को जारी किया गया है. जबकि रामानुजगंज मार्ग एनएच 343 से जुड़ने वाली 14 किमी बाईपास सड़क का निर्माण 110 करोड़ की लागत से कराया जाना है. रामानुजगंज रोड में मिलने वाली बाईपास सड़क का निर्माण जवाहर लाल गुप्ता कम्पनी करेगी. जिसका टेंडर हो चुका है. 14 किलोमीटर की दूसरी बाईपास में अभी फॉरेस्ट क्लियरेंस भी बाधा बना हुआ है.