गिरिडीह: लोकतंत्र के महापर्व में मतदाता उत्साहित हैं. कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के बूथों पर भी मतदान हो रहा है. उत्साह उग्रवाद प्रभावित बूथों पर भी देखने को मिला है. बिहार के सीमा से सटे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के बूथों में भी लोग बेखौफ होकर निकले और अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जिस चिलखारी में नक्सलियों ने कभी मौत का तांडव किया था वहां के लोगों ने भी खुलकर मतदान किया. यहां दोपहर 12:30 तक 50 प्रतिशत मतदान हो चुका था.
ईटीवी भारत की टीम ने यहां बुधवाडीह स्कूल के बूथ के कतार में लगे वोटरों से बात की. मतदाताओं ने कहा कि इस क्षेत्र के लोग मतदान करते रहे लेकिन क्षेत्र का विकास नहीं हो सका. न तो सड़क बनी, न पेयजल का समुचित व्यवस्था हुआ और न ही सिंचाई की सुविधा मिली. शिक्षा की व्यवस्था भी यहां की दयनीय है. 10वीं की पढ़ाई के बाद बच्चों को 60 किमी दूर गिरिडीह जाना पड़ता है. सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चियों की पढ़ाई में होती है. जीतने के बाद जनप्रतिनिधि कभी भी इस क्षेत्र की तरफ ध्यान नहीं देते. हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है.
लोगों का कहना है कि उन्हें पता है कि वोट लेने के बाद नेता फिर से इस क्षेत्र की अनदेखी करेंगे. इसके बावजूद वे लोग मतदान कर रहे हैं. सिर्फ यही सोचकर मतदान कर रहे हैं कि शायद अबकी बार क्षेत्र का कुछ बेहतर हो सके. इधर यहां के कई लोगों ने बताया कि इस बार वोटर लिस्ट से कुछ ऐसे लोगों का नाम काट दिया गया है जो जीवित हैं.
26 अक्टूबर 2007 को हुआ था चिलखारी नरसंहार
26 अक्टूबर 2007 को गिरिडीह के चिलखारी में फुटबॉल टूर्नामेंट का फाइनल मैच चल रहा था. जिसमें पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी के बेटे और भाई नुनूलाल मरांडी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल थे. मैच के दौरान नक्सलियों ने चारों तरफ से मैदान को घेर लिया और मंच के ऊपर चढ़कर नुनूलाल मरांडी को सामने आने के लिए कहा और फायरिंग शुरू कर दी. जिसमें बाबूलाल मरांडी के बेटे अनूप मरांडी समेत 20 लोगों की मौत हो गई थी.