लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी का दलित वोट बैंक खिसक रहा है और इसी वजह से पार्टी की उत्तर प्रदेश समेत देशभर में हालत खस्ता होती जा रही है. दलित वोट बैंक में अब और सेंध न लगने पाए, दलित फिर से बहुजन समाज पार्टी के साथ एकजुट होकर कदम से कदम मिलाएं, इसके लिए अब बीएसपी सुप्रीमो मायावती दलितों के पक्ष में खुलकर उतरने लगी हैं. सभी पार्टियों को आरक्षण के मुद्दे पर चुनौती भी देने लगी हैं.
यूपी में होने वाले उपचुनाव के लिए बसपा की तैयारियों पर संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat) अब मायावती का अग्रेशन भी साफ झलकने लगा है. दलितों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर सरकार पर हमलावर हो रही हैं तो संविधान को हाथ में लेकर दलितों के पक्ष में खड़े रहने का दिखावा करने वाले नेताओं पर भी जमकर बरस रही हैं.
यहां तक कि अब बसपा सुप्रीमो संविदा की नौकरियों में भी दलितों के लिए आरक्षण की डिमांड करने लगी हैं. यही नहीं उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में भी इनके लिए पद आरक्षित करने की डिमांड कर दलितों को फिर से बीएसपी की तरफ आकर्षित करने की कोशिशें में जुट गई हैं.
उत्तर प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उसके लिए सभी राजनीतिक दल जुट गए हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती ने घोषणा कर दी है कि सभी सीटों पर उपचुनाव लड़ा जाएगा. तीन सीटों पर तो उम्मीदवारों का एलान कर दिया है. बीएसपी का इस बार के उपचुनाव में यह प्लान है कि आरक्षण के मुद्दे को लेकर दलितों को एकजुट किया जाए.
उन्हें समझाया जाए कि कैसे सभी पार्टियां आरक्षण खत्म करना चाहती हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी के रहते ऐसा संभव नहीं होने दिया जाएगा. दलित अगर एकजुट होंगे और बसपा के साथ रहेंगे तो फिर कभी आरक्षण पर आंच नहीं आएगी. अपने कैडर को बीएसपी सुप्रीमो ने एक्टिव करते हुए कहा है कि दलितों के बीच जाएं और वहां पर उन्हें इस बारे में खूब समझाएं.
राहुल और अखिलेश पर जमकर साध रहीं निशाना:मायावती को साफ तौर पर मालूम है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के एक साथ होने से अब बहुजन समाज पार्टी को घाटा हो रहा है. दलितों का वोट कांग्रेस पार्टी खींच रही है. लिहाजा, बसपा सुप्रीमो कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी सांसद अखिलेश यादव पर भी खूब बरस रही हैं.
उन्होंने यहां तक कह डाला है कि लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता संविधान की पुस्तक हाथों में लेकर भाजपा पर संविधान बदलने का आरोप लगाने में सफल हुए और दलितों का वोट बैंक भी अपने पाले में कर लिया.
अब दलितों के आरक्षण के मुद्दे पर इन दोनों नेताओं के चुप्पी साधे रहने से दलितों के समझ लेना चाहिए कि यह सिर्फ हाथ में संविधान की पुस्तक लेकर दिखावा करते हैं, लेकिन दलितों को उनका हक देने की बात आती है तो चुप्पी साध लेते हैं. यह कभी भी बीएसपी के हितैषी नहीं हो सकते. दलितों की असली हितैषी बहुजन समाज पार्टी ही है, इसलिए पार्टी अपनी सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की नीति पर आगे बढ़ेगी.
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में आरक्षित नौकरियों की डिमांड:दलित वोट बैंक को लुभाने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस बार एक और बड़ी डिमांड की है. उन्होंने कहा है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी दलितों के लिए पद आरक्षित किया जाए. इतना ही नहीं संविदा की नौकरी में भी उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि दलितों के पद आरक्षित होने चाहिए. बसपा सुप्रीमो मायावती यह दांव खेलकर अपने वोट बैंक को एकजुट करने के प्रयास में जुटी हैं.
इन सीटों पर होना है उपचुनाव:उत्तर प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें अंबेडकर नगर की कटेहरी, मैनपुरी की करहल, अयोध्या की मिल्कीपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, गाजियाबाद, मिर्जापुर की मझवां, कानपुर नगर की शीशामऊ, अलीगढ़ की खैर, प्रयागराज की फूलपुर के साथ ही मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट शामिल है.
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