लखनऊ: राजधानी स्थित बसपा मुख्यालय में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एक बार फिर मायावती को अगले पांच सालों के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. इसके साथ ही भतीजे आकाश आनंद का भी कद बढ़ाया गया है. आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर के साथ चार राज्यों का चुनावी प्रभारी बनाया गया है.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने 68 वर्षीय मायावती को छठवीं बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा. जिसके बाद बैठक में शामिल देश भर के बसपा के पदाधिकारी, राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष व कार्यकारिणी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से मायावती राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना. मायावती 2003 से लगातार इस पद पर बनी हुई हैं. इसके साथ ही बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आकाश आनंद का भी कद बढ़ाया गया. नेशनल कोऑर्डिनेटर के साथ ही आकाश आनंद को हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके बाद बैठक में संगठन की मजबूती और वोट बैंक बढ़ाने सहित विधानसभा चुनाव को लेकर हुई चर्चा. मायावती ने बैठक में चुनाव जीतने का मूलमंत्र दिया. बता दें कि एक दिन पहले मायावती सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने की अफवाह उड़ी थी. जिसको अफवाह बताते हुए मायावती ने तत्काल राजनीति से सन्यास लेने की बात से इनकार कर दिया था. अब फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर अफवाहों पर पूरी तरह विराम लगा दिया है.
मायावती ने पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के बहुजनों के हित के लिए बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का मूवमेन्ट अब इतना मज़बूत करना है कि इसको अब विरोधियों के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों प्रकार के जबरदस्त हथकण्डे भी कमजोर ना कर सके. 'बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय' के कल्याणकारी सिद्धान्त पर संघर्ष जारी रखेंगे.
मायावती ने कहा कि पहले के गैर-कांग्रेसवाद की तरह ही अब देश की राजनीति ग़ैर-भाजपावाद में उलझ कर रह गयी है. जबकि ये दोनों ही पार्टियां व इनके गठबंधन देश के बहुजन अर्थात दलितों, आदिवासियों, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के सच्चे हितैषी न कभी थे और न ही कभी इनके सच्चे हितैषी हो सकते हैं. क्योंकि इन बहुजनों के प्रति इनकी सोच हमेशा ही किसी की खुलकर तो किसी की भीतर ही भीतर संकीर्ण, जातिवादी, साम्प्रदायिक द्वेषपूर्ण व तिरस्कारी रही है, जो संविधान की असली मंशा से कतई भी मेल नहीं खाती हैं.