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बृजेश सिंह के सहयोगी राम बिहारी चौबे हत्याकांड के शूटर की ज़मानत ख़ारिज, विधायक सुशील सिंह ने रची थी साजिश - High Court News

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में हुए चौबे हत्याकांड में शामिल एक शूटर की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. राम बिहारी चौबे की हत्या 2015 में हुई थी.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट. (Photo Credit: Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 8, 2024, 8:14 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के चौबेपुर में राम बिहारी चौबे की हत्या में शामिल शूटर अजय सिंह की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. घटना 8 वर्ष से अधिक पुरानी है. मृतक राम बिहारी बृजेश सिंह के सहयोगी बताए जाते हैं. 4 दिसंबर 2015 को सुबह अज्ञात हमलावरों ने उनके घर में घुस कर ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी थी. बाद में जांच में हत्या की साजिश रचने में विधायक सुशील सिंह का नाम सामने आया. जिसने भाड़े के शूटरों से घटना को अंजाम दिया था. अजय सिंह का नाम शूटरो में शामिल है. जिसकी जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने सुनवाई की.

याची अजय सिंह का पक्ष रख रहे अधिवक्ता का कहना था कि वह निर्दोष है. यदि वह घटना में शामिल होता तो उसे प्राथमिकी में नामजद किया जाता. यहां तक की गवाहों के बयान में भी उसका नाम सामने नहीं आया. मामले की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की गई. क्राइम ब्रांच की जांच में सातवीं बार गवाह के बयान में यह बात सामने आई कि हत्या की साजिश विधायक सुशील सिंह ने रची और भाड़े के शूटर से हत्या करवाई.

याची को 23 अक्टूबर 2017 को जमानत मिल गई थी. जिसे बाद में शिकायतकर्ता की अर्जी पर हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी भी खारिज कर दी और याची को ट्रायल कोर्ट में जमानत अर्जित दाखिल करने के लिए कहा. दोबारा दाखिल की गई जमानत अर्जी को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया. जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में यह जमानत याचिका दाखिल की गई है. जमानत का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि याची कांट्रैक्ट किलर है. जिसका 21 मुकदमों का आपराधिक इतिहास है. हत्या के एक मामले में उसे सजा हो चुकी है. वादी मुकदमा की पत्नी रेणुका चौबे ने पहचान परेड में उसकी पहचान की है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि याची भले ही प्राथमिकी में नामजद नहीं था. लेकिन बाद में गवाहों के बयान में उसका नाम सामने आया और वह कॉन्ट्रैक्ट किलर है. इसके खिलाफ 21 मुकदमे है तथा एक में सजा हो चुकी है. इस मामले के एक सहभियुक्त को जमानत मंजूर हो चुकी है जबकि एक अन्य सह अभियुक्त नागेंद्र सिंह की जमानत हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी है. कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत देने से इनकार करते हुए अर्जी खारिज कर दी है.

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