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BMHRC का विलय AIIMS भोपाल में होगा या नहीं? सरकार ने हाईकोर्ट को बताया - BHOPAL GAS TRAGEDY CASE

भोपाल गैस त्रासदी मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. केंद्र सरकार ने कोर्ट के निर्देशों पर कितना अमल हुआ, इसकी रिपोर्ट पेश की.

Bhopal Gas Tragedy case
गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 13, 2024, 4:16 PM IST

जबलपुर :भोपाल गैस त्रासदी के संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार ने हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ को बताया कि डिजिटाइजेशन के लिए टेंडर आमंत्रित किये गये थे. लेकिन सिर्फ एक कंपनी द्वारा निविदा प्रस्तुत किये जाने के कारण इसे रद्द कर दिया गया है. सरकार शीघ्र ही दूसरा टेंडर जारी करेगी. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 9 दिसम्बर को निर्धारित की है.

गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे. इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया गया. कोर्ट के निर्देश थे कि मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक 3 माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करेगी. इसके बाद पेश रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. इसी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है.

बीएमएचआरसी में कितने मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति

इसी के साथ याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किए जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई. याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि बीएचएमआरसी में डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ के निर्धारित पदों में 70 प्रतिशत से अधिक की नियुक्ति कर दी गयी है.

बीएमएचआरसी को एम्स में मर्ज करने का मामला

इसी दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से मांग की गई कि बीएचएमआरसी को एम्स में मर्ज नहीं किया जाए. मर्ज की मांग को संसदीय बोर्ड में चर्चा के बाद उसे केन्द्र लोक स्वास्थ्य एव परिवार कल्याण विभाग को भेजा गया. केन्द्र लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने पूर्व में ही मर्ज नहीं किये जाने के संबंध में निर्णय लिया है. युगलपीठ ने बीएचएमआरसी को एम्स में मर्ज नहीं किये जाने के संबंध में लिखित जवाब पेश करने के निर्देश जारी किए हैं. सरकार की तरफ से अधिवक्ता विक्रम सिंह ने पैरवी की.

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