लोहरदगा :भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी गई है. इसके अनुसार लोहरदगा लोकसभा सीट से लगातार तीन बार सांसद रहने वाले सुदर्शन भगत का टिकट कट गया है. यह सुदर्शन भगत के समर्थकों के साथ-साथ लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के आम लोगों को भी समझ में नहीं आ रहा है. बेहद सरल स्वभाव के सुदर्शन भगत की पकड़ ना सिर्फ आरएसएस में थी, बल्कि सुदर्शन बेहद सरल स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे. सुदर्शन भगत ने पिछले 15 साल के दौरान लोहरदगा लोकसभा सीट में भाजपा के लिए एक अभेद किला तैयार कर दिया था. राजनीति की इस पिच पर जो मेहनत सुदर्शन भगत ने की थी, अब उस पर बैटिंग करने का मौका समीर उरांव को मिल गया है.
लोहरदगा लोकसभा सीट में मजबूत स्थिति में रही है भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के लिए लोहरदगा लोकसभा सीट एक मजबूत सीट रही है. यहां पर लगातार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. साल 2009 में सुदर्शन भगत भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आये थे. इसके बाद साल 2014 और साल 2019 में भी सुदर्शन भगत ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. हालांकि साल 2019 के चुनाव में जीत का अंतर मात्र 10 हजार वोटों का था. इसके बाद से ही भाजपा के अंदर एक चर्चा शुरू हो गई थी. इस बार भारतीय जनता पार्टी की ओर से जो सर्वेक्षण कराया गया, उसमें समीर उरांव का नाम काफी ऊपर चल रहा था. हालांकि आशा लकड़ा और डॉक्टर अरुण उरांव का नाम भी संभावित प्रत्याशियों की सूची में शामिल था.
राजनीतिक पंडित भी भाजपा के फैसले से हैं हैरान
राजनीतिक पंडितों की माने तो केंद्रीय नेतृत्व में आशा लकड़ा की मजबूत पकड़ की वजह से सभी को यह विश्वास था कि आशा लकड़ा लोहरदगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. हालांकि अंतिम समय में समीर उरांव के नाम की घोषणा ने सभी को चौंका दिया. साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर ललित उरांव ने यहां से चुनाव जीता था. इसके बाद 1996 में भी ललित उरांव ने जीत हासिल की थी. जबकि वर्ष 1998 में इंद्रनाथ भगत ने चुनाव में जीत दर्ज की थी. वहीं वर्ष 1999 में दुखा भगत ने चुनाव जीता था. साल 2004 में रामेश्वर उरांव ने चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद से लगातार भाजपा इस सीट पर चुनाव जीतती रही है. अब समीर उरांव के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना मुश्किल तो नहीं, परंतु इतना आसान भी नहीं है.
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