सरगुजा: नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस ही नहीं भाजपा ने भी युवा चेहरों को मौका दिया है. भाजपा ने करीब 6 युवाओं को पार्षद पद का प्रत्याशी बनाया है. भाजपा ने अम्बिकापुर शहर में कमलेश तिवारी, लवली ताम्रकार, दीपक यादव, राहुल त्रिपाठी, विशेष केशरवानी और अजय सारथी के रूप में 6 युवाओं को मौका दिया है. ये युवा अब नए अंदाज में मैदान में उतर चुके हैं.
पढ़े लिखा युवा चुनावी मैदान में उतरे: 27 साल के युवा पार्षद प्रत्याशी राहुल त्रिपाठी ब्रम्ह पारा से चुनाव लड़ रहे हैं. राहुल की पारिवारिक सियासी पृष्ठभूमि बड़ी रही है. सरगुजा में भाजपा के बड़े नेता रहे पूर्व विधायक स्वर्गीय रविशंकर त्रिपाठी उनके पिता और पूर्व विधायक रजनी त्रिपाठी उनकी मां हैं. राहुल कभी राजनीति में सक्रिय नहीं रहे. वो बाहर रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. अब भाजपा ने इस पढ़े लिखे युवा चेहरे को पार्षद की टिकट दे दी है.
पढ़े लिखे युवाओं को मैदान में उतारा (ETV Bharat)
जनता से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने का दावा: राहुल त्रिपाठी कहते हैं कि भले ही अनुभव कम है, लेकिन जब टिकट मिली तो सबसे पहले अपने क्षेत्र के बड़े बुजुर्गों से मिलकर आशीर्वाद लिया. बुजुर्गों की सलाह से ही आगे बढ़ रहे हूं. राहुल ने बताया कि ''युवा हूं तो वार्ड में मुझे समस्याएं भी अलग तरह की दिख रही है.''
सड़क नाली की समस्या तो है ही, इसके अलावा जब मैं लोगों के घर पहुंचा तो देखा कि कुछ युवा सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उनके पास गाइडेंस नहीं है. मैं बाहर पढ़ा हूं तो मेरे संपर्क हैं, जिससे मैं इनकी मदद करूंगा. मैंने सभी को अपना नंबर दिया और बोला की चुनाव जीतूं या हारूं आप मुझसे संपर्क करना -राहुल त्रिपाठी, भाजपा उम्मीदवार
अनुभव की कमी लेकिन हौसला पक्का: वहीं दूसरे युवा उम्मीदवार दीपक यादव 29 साल के हैं. दीपक कहते हैं कि लगातार विद्यार्थी परिषद में काम किया और कोई भी पारिवारिक सियासी बैकग्राउंड नहीं है.
संघ और भाजपा की नीतियों के कारण पार्टी ने मुझ पर भरोसा जताया है तो निश्चित रूप से वार्ड की जनता के लिये मूलभूत सुविधाओं से ऊपर उठकर शिक्षा और रोजगार के लिये पूरी ऊर्जा के साथ काम करेंगे -दीपक यादव, भाजपा उम्मीदवार
कांग्रेस और बीजेपी ने दिया युवाओं को मौका: कांग्रेस में जहां राहुल गांधी बार बार युवाओं को मौका देने की बात करते हैं तो वहीं भाजपा ने भी 2024 विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण और मंत्री मंडल गठन के जरिये ये संकेत पूरे देश को दे दिए थे कि भाजपा किसी भी आम कार्यकर्ता को किसी भी स्तर पर जिम्मेदारी दी सकती है. लिहाजा राजनीतिक दलों की ये सोंच अब निकाय चुनावों में भी दिख रही है.