पटनाःबिहार की राजनीति में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब-जब इसकी चर्चा होती है तो लालू यादव का नाम सबसे ऊपर होता है. होना भी चाहिए, क्योंकि राजनीतिक में सबसे ज्यादा इनके ही परिवार के लोग हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि अन्य नेता इससे अछूते हैं. लालू यादव के साथ-साथ कई ऐसे नेता हैं, जो इससे अछूते नहीं हैं.
उपचुनाव में भी दिखा परिवारवाद : इस बात की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि हाल में बिहार के 4 सीटों पर उपचुनाव हुआ. इन चारों सीट में दो पर बीजेपी, एक पर जेडीयू और एक पर जीतन राम मांझी की बहू की जीत हुई. इस चुनाव में आरजेडी नेता सुरेंद्र यादव और जगदानंद सिंह के बेटे भी मैदान में थे, लेकिन उन्हें हार मिली. लेकिन इस बार परिवारवाद का ठीकरा जीतन राम मांझी के सिर पर फोड़ा गया.
सदन में एक साध दिखे पत्नी-पत्नी और सासः बिहार विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है. इस दौरान सदन में अनोखा नजारा देखने को मिला, जिससे एक बार फिर से परिवारवाद की चर्चा तेज हो गयी है. दरअसल विधानसभा में पति-पत्नी और सास एक साथ बैठे नजर आएं. बिहार सरकार के मंत्री संतोष सुमन, पत्नी दीपा मांझी (MLA) सदन में दिखे. दीपा मांझी की मां ज्योति मांझी बाराचट्टी से विधायक हैं. अब मां के साथ बेटी एक साथ विधानसभा में नजर आईं.
'परिवार' के चक्रव्यूह में उलझी लालू की राजनीति! : बिहार में सबसे पावरफुल पॉलिटिकल फैमिली लालू प्रसाद यादव की है. लालू यादव और पत्नी राबड़ी देवी दोनों 15 साल तक सीएम रहे. दोनों बेटे लंबे समय से राजनीतिक में हैं. लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र से सांसद है. राज्यसभा सांसद भी रही हैं. दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य भी राजनीति में सक्रिय है. लोकसभा 2024 में सारण से टिकट मिला लेकिन हार मिली. लालू यादव के रिश्तेदार भी राजनीतिक में रहे हैं. राबड़ी देवी के दोनों भाई साधु यादव और सुभाष यादव MLA और MLC रह चुके हैं.
'लालू यादव पर ही आरोप क्यों?': वहीं आरजेडीविधायक राजेश रोशन का कहना है कि बिहार में परिवारवाद का आरोप सिर्फ लालू यादव पर लगाया जाता रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि कई ऐसे परिवार हैं, जिनको परिवार के अलावा दूसरा नहीं दिखता. राजेश रोशन का कहना है कि ऐसे लोगों का यही सिद्धांत है कि हम करें तो अच्छा दूसरा करें तो बहुत बुरा.
"बिहार के जनता रामविलास पासवान के परिवार की राजनीति देखी है. अब जीतन राम मांझी के परिवार की राजनीति को देख रही है. खुद केंद्र में मंत्री हैं, बेटा बिहार सरकार में मंत्री हैं. समधन और बहू विधायक हैं. ये लोग खुद राजनीति का रैकेट चला रहे हैं. जब राजनीति में परिवारवाद की बात आती है तो सबों के निशाने पर सिर्फ लालू यादव रहते हैं."- राजेश रोशन, राजद विधायक
रामविलास पासवान का परिवार:बिहार की राजनीति में जब भी परिवारवाद की बात उठती है तो उसमें रामविलास पासवान का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है. रामविलास पासवान के ऊपर अपने परिवार के लोगों को राजनीति में बढ़ाने का आरोप लगता था. रामविलास पासवान खुद कई बार सांसद और केंद्र में मंत्री रहे. अपने दोनों भाई पशुपति कुमार पारस, रामचंद्र पासवान और संबंधी रामसेवक हजारी को राजनीति में आगे बढ़ाए.
चिराग पासवान संभाल रहे विरासतः 2019 में रामविलास पासवान खुद सांसद थे. भाई पशुपति कुमार पारस हाजीपुर से सांसद, बेटा चिराग पासवान जमुई से और भतीजा प्रिंस पासवान समस्तीपुर से सांसद थे. रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी और परिवार में टूट हुई. अलग पार्टी बनी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान ने फिर से अपने परिवार के नए सदस्य को राजनीति में आने का मौका दिया. बहनोई अरुण भारती को जमुई से टिकट देकर सांसद बनाया. रामविलास पासवान की विरासत चिराग पासवान संभाल रहे हैं. वर्तमान में हाजीपुर से सांसद और केंद्र में मंत्री हैं.
बिहार में अब मांझी परिवार का दबदबा :कुछ सालों से एक नया राजनीतिक परिवार सुर्खियों में है. 2014 लोकसभा चुनाव में जदयू के बेहतर प्रदर्शन नहीं होने के कारण नीतीश कुमार ने पद से इस्तीफा देकर जीतनराम मांझी को सीएम बनाया था, लेकिन एक साल बाद ही इस्तीफा देना पड़ा. उन्होंने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) का गठन किया.