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सिर्फ लालू यादव ही नहीं, ये तमाम नेता भी हैं 'परिवारवाद' के प्रहरी! - BIHAR POLITICAL FAMILY

बिहार में परिवारवाद की चर्चा होती है तो पहले लालू यादव का नाम आता है लेकिन यह गलत होगा, क्योंकि कई नेता इसके शिकार हैं.

बिहार में परिवारवाद
बिहार में परिवारवाद (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 27, 2024, 2:17 PM IST

Updated : Nov 28, 2024, 11:48 AM IST

पटनाःबिहार की राजनीति में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब-जब इसकी चर्चा होती है तो लालू यादव का नाम सबसे ऊपर होता है. होना भी चाहिए, क्योंकि राजनीतिक में सबसे ज्यादा इनके ही परिवार के लोग हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि अन्य नेता इससे अछूते हैं. लालू यादव के साथ-साथ कई ऐसे नेता हैं, जो इससे अछूते नहीं हैं.

उपचुनाव में भी दिखा परिवारवाद : इस बात की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि हाल में बिहार के 4 सीटों पर उपचुनाव हुआ. इन चारों सीट में दो पर बीजेपी, एक पर जेडीयू और एक पर जीतन राम मांझी की बहू की जीत हुई. इस चुनाव में आरजेडी नेता सुरेंद्र यादव और जगदानंद सिंह के बेटे भी मैदान में थे, लेकिन उन्हें हार मिली. लेकिन इस बार परिवारवाद का ठीकरा जीतन राम मांझी के सिर पर फोड़ा गया.

सदन में एक साध दिखे पत्नी-पत्नी और सासः बिहार विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है. इस दौरान सदन में अनोखा नजारा देखने को मिला, जिससे एक बार फिर से परिवारवाद की चर्चा तेज हो गयी है. दरअसल विधानसभा में पति-पत्नी और सास एक साथ बैठे नजर आएं. बिहार सरकार के मंत्री संतोष सुमन, पत्नी दीपा मांझी (MLA) सदन में दिखे. दीपा मांझी की मां ज्योति मांझी बाराचट्टी से विधायक हैं. अब मां के साथ बेटी एक साथ विधानसभा में नजर आईं.

बिहार में परिवारवाद पर नेता और विशेषज्ञ की राय (ETV Bharat)

'परिवार' के चक्रव्यूह में उलझी लालू की राजनीति! : बिहार में सबसे पावरफुल पॉलिटिकल फैमिली लालू प्रसाद यादव की है. लालू यादव और पत्नी राबड़ी देवी दोनों 15 साल तक सीएम रहे. दोनों बेटे लंबे समय से राजनीतिक में हैं. लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र से सांसद है. राज्यसभा सांसद भी रही हैं. दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य भी राजनीति में सक्रिय है. लोकसभा 2024 में सारण से टिकट मिला लेकिन हार मिली. लालू यादव के रिश्तेदार भी राजनीतिक में रहे हैं. राबड़ी देवी के दोनों भाई साधु यादव और सुभाष यादव MLA और MLC रह चुके हैं.

बिहार में परिवारवाद (ETV Bharat GFX)

'लालू यादव पर ही आरोप क्यों?': वहीं आरजेडीविधायक राजेश रोशन का कहना है कि बिहार में परिवारवाद का आरोप सिर्फ लालू यादव पर लगाया जाता रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि कई ऐसे परिवार हैं, जिनको परिवार के अलावा दूसरा नहीं दिखता. राजेश रोशन का कहना है कि ऐसे लोगों का यही सिद्धांत है कि हम करें तो अच्छा दूसरा करें तो बहुत बुरा.

"बिहार के जनता रामविलास पासवान के परिवार की राजनीति देखी है. अब जीतन राम मांझी के परिवार की राजनीति को देख रही है. खुद केंद्र में मंत्री हैं, बेटा बिहार सरकार में मंत्री हैं. समधन और बहू विधायक हैं. ये लोग खुद राजनीति का रैकेट चला रहे हैं. जब राजनीति में परिवारवाद की बात आती है तो सबों के निशाने पर सिर्फ लालू यादव रहते हैं."- राजेश रोशन, राजद विधायक

रामविलास पासवान का परिवार:बिहार की राजनीति में जब भी परिवारवाद की बात उठती है तो उसमें रामविलास पासवान का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है. रामविलास पासवान के ऊपर अपने परिवार के लोगों को राजनीति में बढ़ाने का आरोप लगता था. रामविलास पासवान खुद कई बार सांसद और केंद्र में मंत्री रहे. अपने दोनों भाई पशुपति कुमार पारस, रामचंद्र पासवान और संबंधी रामसेवक हजारी को राजनीति में आगे बढ़ाए.

बिहार में परिवारवाद (ETV Bharat GFX)

चिराग पासवान संभाल रहे विरासतः 2019 में रामविलास पासवान खुद सांसद थे. भाई पशुपति कुमार पारस हाजीपुर से सांसद, बेटा चिराग पासवान जमुई से और भतीजा प्रिंस पासवान समस्तीपुर से सांसद थे. रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी और परिवार में टूट हुई. अलग पार्टी बनी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान ने फिर से अपने परिवार के नए सदस्य को राजनीति में आने का मौका दिया. बहनोई अरुण भारती को जमुई से टिकट देकर सांसद बनाया. रामविलास पासवान की विरासत चिराग पासवान संभाल रहे हैं. वर्तमान में हाजीपुर से सांसद और केंद्र में मंत्री हैं.

बिहार में अब मांझी परिवार का दबदबा :कुछ सालों से एक नया राजनीतिक परिवार सुर्खियों में है. 2014 लोकसभा चुनाव में जदयू के बेहतर प्रदर्शन नहीं होने के कारण नीतीश कुमार ने पद से इस्तीफा देकर जीतनराम मांझी को सीएम बनाया था, लेकिन एक साल बाद ही इस्तीफा देना पड़ा. उन्होंने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) का गठन किया.

बिहार में परिवारवाद (ETV Bharat GFX)

जीतनराम मांझी के बेटे की राजनीति में एंट्री : इसके बाद बेटे संतोष सुमन की एंट्री हुई. वर्तमान में जीतन राम मांझी सांसद और केंद्र में मंत्री हैं. संतोष सुमन एमएलसी, बिहार में मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. संतोष सुमन की पत्नी दीपा मांझी इमामगंज विधानसभा से विधायक बनी हैं. समधन और दीपा मांझी की मां ज्योति देवी बाराचट्टी से विधायक हैं.

"जनता के बीच रहती थी. इसी कारण जानता का प्यार मिला है. हर क्षेत्र में चुनौती का सामना करना पड़ता है. यदि मेहनत करेंगे तो सफलता मिलेगी ही."-दीपा मांझी, विधायक, इमामगंज

परिवारवाद के अन्य चेहरेःजेडीयू पार्टी में भी परिवारवाद कम नहीं है.अशोक चौधरी जदयू से MLC, MLA और मंत्री रह चुके हैं. वर्तमान में जदयू के अध्यक्ष हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में बेटी शांभवी चौधरी को चिराग पासवान की पार्टी से टिकट दिलायी. समस्तीपुर से शांभवी चौधरी सांसद हैं. अशोक चौधरी के पिता दिवगंत महावीर चौधरी MLC थे. सम्राट चौधरी बिहार के डिप्टी सीएम हैं. इनके पिता शकुनी चौधरी कई बार MLC और सांसद रह चुके हैं.

बिहार में परिवारवाद (ETV Bharat GFX)

आरजेडी में भी परिवारवाद : जगदानंद सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष हैं. बेटे सुधाकर सिंह MLA रह चुके हैं, व्रतमान में सांसद हैं. हाल में उपचुनाव में छोटे बेटे को टिकट दिया था लेकिन हार मिली. बाहुबली भी इससे अछूता नहीं हैं. बाहुबली आनंद मोहन सांसद रह चुके हैं. बेटा चेतन आनंद विधायक हैं. पत्नी लवली आनंद शिवहर से 2024 में सांसद बनीं. छोटे बेटे भी बहुत जल्द राजनीतिक में प्रवेश करेंगे. संभवत: 2025 में विधायिकी का चुनाव लड़ सकते हैं.

परिवारवाद का पुराना इतिहासःबिहार में परिवारवाद का इतिहास पुराना है. कभी अनुग्रह नारायण सिंह की तूती बोलती थी. पुत्र सत्येंद्र नारायण सिन्हा राजनीति में ऊंची मुकाम हासिल की. सत्येंद्र नारायण सिन्हा की पत्नी भी लोकसभा की सदस्य रही. पुत्र निखिल कुमार भी लोकसभा के सदस्य रहे और राज्यपाल रहे. ललित नारायण मिश्र राजनीति में व्यापक प्रभाव रखते थे. इनकी हत्या के बाद छोटे भाई जगन्नाथ मिश्रा मुख्यमंत्री बने. पुत्र विजय कुमार मिश्र सांसद-विधायक रहे. पौत्र ऋषि मिश्रा भी विधायक रह चुके हैं. जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा चार बार विधायक बने हैं और वर्तमान में बिहार सरकार में मंत्री हैं.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक :राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडेय का मानना है कि बिहार में परिवारवाद कोई नई चीज नहीं है. एक समय था जब जीतनराम मांझी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि वह भी परिवारवाद करते हैं, लेकिन उनका बेटा पीएचडी डिग्री धारक हैं. अन्य राजनेताओं के पुत्र से ज्यादा काबिल है. सुनील पांडेय का कहना है कि इस देश ने इन चीजों को अब नकारना भी शुरू कर दिया है.

"मैं इस बात से इनकार नहीं करता हूं कि परिवारवाद नहीं है लेकिन परिवारवाद के साथ-साथ अपनी काबिलियत हो, मेहनत हो, विजन हो, आपका चरित्र और संस्कार हो तो बेशक सफलता मिल सकती है."-सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

हेमंत सोरेन का उदाहरणःसुनील पांडेय ने हेमंत सोरेन का उदाहरण देते हैं. कहते हैं कि इनसे नेताओं को सीख लेनी चाहिए. वहीं महाराष्ट्र की राजनीति की बात करते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे और अजीत पवार दोनों एक परिवार से हैं लेकिन पार्टी अलग बना ली. एनसीपी और शिवसेना दोनों बिखर गई. इसका कारण नेतृत्वकर्ता में काबिलियत नहीं होना है. परिवारवाद अब आने वाले दिनों में कोई चर्चा का विषय नहीं रहेगा.

"हर पार्टी पहले जीत सुनिश्चित करती. यह बात सही है कि यह चीज पहले आरजेडी पर लागू होता था. बीजेपी और विपक्षी पार्टी इसे राजनीति का मुद्दा बनाती थी. लेकिन आज कोई भी राजनीतिक दल इससे वंचित नहीं है. परिवार के बल पर सिर्फ राजनीति कर सकें यह अब संभव नहीं है. राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए हेमंत सोरेन जैसा सोच समझ और काबिलियत होनी चाहिए."-सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

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Last Updated : Nov 28, 2024, 11:48 AM IST

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