पटनाः बिहार में वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी लागू करने के बाद से लगभग 8 साल से अधिक का वक्त बीत चुका है. शराबबंदी कानून के तहत सरकार का दावा था कि राज्य को नशामुक्त और अपराधमुक्त बनाया जाएगा. इस दौरान पुलिस और मद्य निषेध विभाग ने कड़ी कार्रवाई करते हुए हजारों गिरफ्तारियां की हैं. हालांकि, शराबबंदी लागू होने के बावजूद राज्य में शराब की तस्करी और सेवन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इसका गवाह सरकार द्वारा जारी आंकड़े हैं.
क्या कहते हैं आंकड़ेः बिहार सरकार की ओर से शराबबंदी को लेकर आंकड़े जारी किए गए हैं. आंकड़ों के अनुसार, इन 8 सालों में कुल 12,79,387 लोगों को शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है. इसमें मद्य निषेध विभाग ने 5,43,326 और पुलिस विभाग ने 7,36,061 गिरफ्तारियां की हैं. इसके अलावा, शराबबंदी कानून के उल्लंघन से जुड़े 8,43,907 मामले भी दर्ज किए गए हैं. इनमें से 3,70,814 मामले मद्य निषेध विभाग और 4,73,093 मामले पुलिस विभाग द्वारा दर्ज किए गए हैं.
ऐसे समझें आंकड़ों कोः अगर इस आंकड़े को विभाजित करके देखा जाए, तो हर महीने औसतन लगभग 12,794 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. हर दिन लगभग 426 लोगों की गिरफ्तारी का मतलब यह है कि राज्य में हर घंटे करीब 18 लोगों को शराब से जुड़े मामले में पकड़ा गया. यह तथ्य बिहार की पुलिस और मद्य निषेध विभाग की कार्रवाई को दर्शाता है. साथ ही एक सवाल भी उठता है कि इतनी गिरफ्तारियों के बाद भी कथित रूप से होम डिलेवरी कैसे हो रही है. वो कौन हैं जो पुलिस की पकड़ से दूर हैं.