नई दिल्ली:देश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है. चार चरणों का चुनाव हो चुका है. हालांकि, राजधानी दिल्ली में छठे चरण में मतदान होना है. 25 मई को दिल्ली में मतदान होगा. राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी है. रैली, रोड शो के साथ ही हाईटेक प्रचार किया जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं एक दौर ऐसा भी था जब राजधानी दिल्ली चुनाव प्रचार में कार्यकर्ता हाथों से पोस्टर बैनर बनाते थे. कपड़े के पोस्टर बनाए जाते थे. जिस पर ना केवल ज्यादा पैसे खर्च होते थे, बल्कि वक्त भी बहुत लगता था. सूचना का माध्यम कम होने की वजह से लोगों तक अपनी बातों को पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी.
दिल्ली के पूर्व मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने बताया कि वह सन 1977 से राजनीति में है तबकी की राजनीति और आज की राजनीति में काफी बदल चुकी है. दोनों में जमीन आसमान का फर्क आ गया है. पहले चुनाव में नेता और कार्यकर्ताओं को शारीरिक मेहनत ज्यादा करनी पड़ती थी. हाथों से पोस्टर बैनर और पर्चियां बनानी पड़ती थी. वोटर लिस्ट पर्चियां को हाथों से बनाया जाता था और उसे घर-घर जाकर बांटते थे.
पोस्टर बनवाने के लिए भी दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ता था, पोस्टर बनाने के लिए प्लेट हाथ से लिखी जाती थी, जिसमें काफी वक्त लगता था. बैनर बनाने में और भी ज्यादा वक्त लगता था, कपड़े के ऊपर हाथ से लिखकर बैनर बनाए जाते थे. एक बैनर को लिखने में डेढ़ से 2 घंटे लग जाते थे. बैनर बनाने वाला भी चुनाव में भी काफी व्यस्त रहता था.
आज वक्त बदल गया है ज्यादातर काम कंप्यूटर से हो रहे हैं. बड़े-बड़े प्रिंटिंग प्रेस आ गए हैं. चंद्र सेकंड में पोस्टर बैनर तैयार हो जाता है. पर्ची भी कंप्यूटराइज निकाली जा रही हैं. श्याम सुंदर अग्रवाल ने बताया कि पहले यमुना पार में एक ही लोकसभा क्षेत्र हुआ करता था. ज्यादातर नेता साइकिल से घूमते थे. गीने चुने लोगों के पास स्कूटर हुआ करती थी. लेकिन आज वक्त बदल गया है. कार्यकर्ताओं से लेकर नेता बड़ी-बड़ी गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं.