भोपाल। उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी कॉलेजों में कार्यरत प्रोफेसर और अतिथि विद्वान के साथ तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए सार्थक एप से ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था की है. जिससे कॉलेज से गायब रहने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर नकेल कसी जा सके, लेकिन यह एप अब उन प्रोफेसरों की हाजिरी में बाधा बन रहा है, जो कॉलेज में उपस्थित तो रहते हैं, लेकिन एप उन्हें गैरहाजिर बता रहा होता है.
कॉलेज से बाहर निकले तो एप में बताना होगा कारण
सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसर, अतिथि विद्वान के अलावा कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन हाजिरी लगाने का मॉड्यूल है, यहां मोबाइल के माध्यम से हाजिरी लगती है. कॉलेज परिसर में पहुंचकर एप के माध्यम से अपनी सेल्फी लेकर अपलोड करनी होती है. एप में मैप भी अपलोड होता है, जिससे पता चल जाता है कि हाजिरी कहां से लगाई गई है. एप में जिस समय हाजिरी लगी, वह समय दर्ज होता है. जब कॉलेज से बाहर निकलते हैं, तो चेक आउट करना पड़ता है. लेकिन लोकेशन वही होनी चाहिए, यदि कॉलेज से 100 मीटर बाहर भी गए तो एप में कारण बताना पड़ता है.
सार्थक एप को वेतन से जोड़ने की तैयारी
सार्थक जिओ फेसिंग एप है, यानि सेल्फी के साथ ही हाजिरी लगेगी. हाजिरी लगाते ही उसे क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक से लेकर उच्च शिक्षा आयुक्त तक देख सकेंगे. हाजिरी लगाने के बाद कोई स्टाफ बाहर भी जाता है, तो उसकी लोकेशन भी दिखाई देगी. अब उच्च शिक्षा विभाग सार्थक एप को स्टाफ के वेतन से जोड़ने की तैयारी भी कर रहा है.
इसलिए परेशान हो रहे हैं प्रोफेसर व स्टाफ
कई सरकारी कॉलेजों में वाईफाई की सुविधा नहीं है या फिर नेट नहीं मिल पाता. ऐसे में सार्थक एप काम नहीं करता है इसलिए नियत समय में प्रोफेसर व अन्य स्टाफ की हाजिरी दर्ज नहीं हो पाती है. यदि स्पोर्ट्स ऑफिसर मैदान में बच्चों को प्रशिक्षण भी देने जाते हैं, तो एप में उनकी लोकेशन आउट हो जाती है. वहीं प्रोफेसर दूसरे कॉलेजों में परीक्षा लेने जाते हैं, तो भी लोकेशन बदल जाती है. इसका उन्हें एप में स्पष्टीकरण देना पड़ता है. कई बार सार्थक एप में हाजिरी तो लग जाती है, लेकिन छुट्टी होने के बाद चेक आउट नहीं होता.