भोपाल. नेता बयान देते हैं, वो कविता कहते हैं वो भी तरन्नुम वाली. पत्रकार वार्ता में जब छोटी-मोटी कवि गोष्ठी का समां बांध देते हैं तो अंदाजा लगाइए कि अगर सभा में बुलाएं जाएं तो सभा किसी बड़े कवि सममेलन में तब्दील हो जाए. तुकबंदी में होती है हर बात, शब्दों के तीर और घात पर घात. उनका नाम ही लेने भर से लोग कहते हैं 'वो नेता कविता वाले'. बिल्कुल ठीक समझे आप यहां जिक्र जिनका हो रहा है रहा है वो हैं केन्द्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख राम दास आठवले.
आठवले की पीसी नहीं नहीं काव्य गोष्ठी
चुनावी माहौल में भोपाल आए केन्द्रीय मंत्री राम दास आठवले से सवाल ईवीएम से लेकर एकनाथ शिंदे तक के हुए. मध्यप्रदेश से लेकर महाराष्ट्र की सियासत तक पर हुए सवाल और बाबा साहब के संदेश से लेकर संविधान तक का जिक्र आया. लेकिन आठवले ने अपने अंदाज में वही बताया जो उन्हें बताना था. जैसे उन्हे कविता के अंदाज में गाना था तो पहली कविता नरेन्द्र मोदी के नाम हुई. 'चार सौ पारा का नारा..आठवले जगा रहे भारत सारा..'
आठवले की चार सौ पार कविता के कुछ अंश
' नरेन्द्र मोदी का है चार सौ पार का नारा
इसीलिए हम जगा रहे भारत सारा...
नरेन्द्र मोदी जी है देश में चमकने वाला तारा
फिर क्यों नहीं बजाएगा हम कांग्रेस और इंडी गाड़ी की बाराह'
छिंदवाड़ा पर आठवले का छंद
केन्द्रीय मंत्री आठवले चूंकि एमपी के दौरे पर थे और चुनावी माहौल में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे लिहाजा एमपी में बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल सीट रही छिंदवाड़ा का भी जिक्र आना था. तो आठवले ने छिंदवाड़ा पर भी छंद पढ़ ही दिया. बोले....
' इस बार मोदी सरकार
इस बार चार सौ पार..
और छिंदवाड़ा की करेंगे हम हार'