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विधायकों पर मेहरबान मोहन यादव सरकार, सिर्फ 4 परसेंट पर मिलेगा लोन, पहले बंद कर दी गई थी ये सुविधा - Loan at 4 percent to MLAs

निकायों के जनप्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाए जाने के बाद प्रदेश के विधायकों की भी बल्ले-बल्ले होने जारही है. मकान और वाहन खरीदने के लिए सरकार विधायकों को 50 लाख तक का लोन रियायती दरों पर देने की तैयारी कर रही है. इसके लिए जल्द ही विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति की बैठक होने जा रही है, जिसके सुझाव पर राज्य सरकार इसका निर्णय लेगी.

MOHAN YADAV GOVT SUBSIDISED LOAN TO MLAS
विधायकों पर मेहरबान मोहन यादव सरकार (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 18, 2024, 1:00 PM IST

भोपाल : विधायकों को रियायती दरों पर लोन दिए जाने के संबंध में पिछले दिनों संसदीय कार्य विभाग ने विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखा था. विधानसभा सचिवालय ने इसके बाद सदस्य सुविधा समिति के पास प्रस्ताव भेज दिया है. इस पर सदस्य सुविधा समिति के अध्यक्ष सीनियर विधायक नागेन्द्र सिंह ने कहा, '' विधायकों से राय ली गई है. विधायकों के सुझाव के आधार पर सिफारशें तैयार कर विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी जाएगी.इस संबंध में जल्द ही समिति की बैठक होने जा रही है.''

मकान और वाहन के लिए मिलेगा लोन

बताया जा रहा है कि अधिकांश विधायकों ने होम लोन के लिए कम से कम 50 लाख और वाहन के लिए 30 लाख तक के लोन दिए जाने का सुझाव दिया है. बैठक के बाद इस प्रस्ताव को संसदीय कार्य विभाग को भेजा जाएगा, इसके बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा. कैबिनेट में प्रस्ताव पर मुहर लगते ही विधायकों को कम दरों पर लोन मिलना शुरू हो जाएगा.

कोरोना काल में रोक दी गई थी सुविधा

प्रदेश के विधायकों को 2018 तक घर खरीदने या बनवाने के लिए 25 लाख रुपए और वाहन खरीदने के लिए 10 लाख रुपए तक का लोन रियायती ब्याज दरों पर दिया जाता था. इसमें विधायकों को सिर्फ 4 प्रतिशत ब्याज ही देना होता था. बाकी ब्याज की राशि सरकार भरती थी, लेकिन कोराना काल में इसे शिवराज सरकार द्वारा बंद कर दिया गया था. हालांकि, कोरोना खत्म होने के बाद इसे फिर शुरू करने की तैयारी की गई थी, लेकिन यह प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं आ पाया था. अब एक बार फिर इसे लेकर कवायद शुरू की गई है.

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सरकार ने ये फैसला भी लिया

राज्य सरकार विधायकों को रियायती दरों पर होम लोन और व्हीकल लोन देने की तैयारी कर रही हो, लेकिन जून माह में मंत्रियों का आयकर सरकार द्वारा भरे जाने का निर्णय मोहन सरकार वापस ले चुकी है. प्रदेश में इसके पहले तक सरकार मंत्रियों और मुख्यमंत्री का इनकम टैक्स भरती थी. यह फैसला इसलिए लिया गया था, ताकि शासन पर कोई वित्तीय भार न पड़े.

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